सियासत | बड़ा आर्टिकल

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जातिगत प्रभाव कितना हावी है?
मौजूदा सरकार में यूं तो सीएम भाजपा के हैं लेकिन पार्टी येदिरुप्पा वाले लिंगायत प्रभाव से आगे बढ़ना चाहती है. जिसको लेकर हाल ही में पार्टी ने आरक्षण का कार्ड भी खेला है. दूसरी ओर कांग्रेस इस तरह से चुनावों को सुनहरे मौके के रूप में देख रही है कि किसी तरह जनता की नाराजगी को अपनी जीत में तब्दील कर लिया जाए.
सियासत | बड़ा आर्टिकल

ममता बनर्जी की लड़ाई किससे है, भाजपा, कांग्रेस या दोनों से?
ममता बनर्जी ने भाजपा पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी को हीरो बनाने की कोशिश करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि मौजूदा मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए भाजपा द्वारा राहुल की ब्रिटेन में की गई टिप्पणी को तूल देकर संसद की कार्यवाही बाधित किया जा रहा है.
सियासत | बड़ा आर्टिकल

आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा की हालत इस समय तो कमजोर ही लग रही है!
कांग्रेस और अन्य क्षेत्रीय दलों की कोशिश होगी कि वे 2024 से पहले भाजपा को हराने का संदेश दे सकें. आज के समय में विपक्ष में एकजुटता की कमी दिखने के बावजूद भाजपा के लिए उत्साहजनक वातावरण नहीं बना हैं. मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक, तीन राज्य जहां चुनाव करीब हैं और भाजपा अपने लिए मुश्किलें देख रही है.
सियासत | बड़ा आर्टिकल

एकला चलो रे का नारा, ममता बनर्जी के लिए मजबूरी या राजनीतिक हैसियत को बनाए रखने की चिंता?
ममता बनर्जी के सामने 2024 में विपक्ष का प्रधानमंत्री पद का चेहरा बनने का लक्ष्य नहीं है, बल्कि अपने घर को बचाने का, उनके पास इससे भी बड़ी चुनौती है. 2024 में पश्चिम बंगाल में टीएमसी की राजनीतिक हैसियत दांव पर होगी और इसकी वजह है राज्य में भाजपा का बढ़ता जनाधार. यही वजह है कि ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की जनता को ऐसा कोई संदेश नहीं देना चाहती जिससे आगामी लोकसभा चुनाव में टीएमसी का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाए.
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समाज | बड़ा आर्टिकल

अब खैर नहीं हनुमान की, पॉलिटिक्स की कुदृष्टि 'हनुमान चालीसा' पर भी पड़ सकती है
नेताओं की कुदृष्टि पड़ चुकी है, ख़ास जो हो गए हैं उनके. कोई आश्चर्य नहीं बयान आता ही होगा कि हनुमान चालीसा अंधविश्वास की पैरोकारी करती है, बढ़ावा देती है, भूत पिशाच निकट न आवे, महावीर जब नाम सुनावे लाउडस्पीकर में बोला जो जाने लगा है.
सियासत | बड़ा आर्टिकल

त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में भाजपा की राह कितनी आसान?
जल्द ही त्रिपुरा के लिए 13वीं विधानसभा का चुनाव होगा. ये ऐसा राज्य है जो एक वक्त वामपंथी शासन का गढ़ था, लेकिन 2018 के चुनाव में भाजपा ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) यानी सीपीएम की सत्ता को यहां से उघाड़ फेंका. अब आम लोगों से लेकर राजनीतिक विश्लेषकों के जेहन में ये सवाल गूंज रहा है कि क्या इस बार भाजपा अपनी सत्ता बरकरार रख पाएगी या सीपीएम को फिर से मौका मिलेगा.
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