सियासत | बड़ा आर्टिकल

धर्म और धर्म ग्रंथों के खिलाफ छिड़ी लड़ाई किस दिशा में जा रही है?
कल के माहौल और आज के में कॉमन है पॉलिटिकल हैंड. कल हैंड कम थे, आज वे मल्टीप्लाई कर गए हैं. इसीलिए माहौल ज्यादा खराब है. और सारा कुछ हो रहा है फ्रीडम ऑफ़ स्पीच के नाम पर. बात न्याय प्रणाली की करें तो चीजें कूल नहीं रख पा रही हैं अदालतें!
सियासत | बड़ा आर्टिकल

नुपुर शर्मा पर एक्शन के बावजूद ठाकुर राजा सिंह का एक्ट शक पैदा करता है
ठाकुर राजा सिंह (Thakur Raja Singh) के भी नुपुर शर्मा (Nupur sharma) की ही राह चलने की क्या वजह रही होगी? वो भी तब जबकि बीजेपी (BJP) नेतृत्व तेलंगाना में सत्ता हासिल करने के लिए हद से ज्यादा एक्टिव है - कहीं ये पार्टी की किसी खास रणनीति का हिस्सा तो नहीं है?
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33 साल बाद सलमान रुश्दी पर हुए हमले से नूपुर शर्मा की तुलना जरूरी है
भारतीय मूल के ब्रिटिश लेखक सलमान रुश्दी (Salman Rushdie) ने 1988 में 'द सेटेनिक वर्सेज' (The Satanic Verses) नाम की किताब लिखी थी. सलमान रुश्दी के खिलाफ 1989 में फतवा जारी हुआ था. इसके 33 साल बाद रुश्दी को ईशनिंदा के नाम पर निशाना बना लिया गया है. तो, नूपुर शर्मा (Nupur Sharma) की बात करना जरूरी है.
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तिरंगे पर फैक्ट चेकर जुबैर का लॉजिक बिलकुल सही है, बशर्ते इसे वह समझना तो चाहें
हिंदू देवी-देवताओं के अपमान के मामले में जमानत पर बाहर चल रहे फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर (Mohammed Zubair) फिर से अपने एजेंडे पर लग चुके हैं. मोहम्मद जुबैर अब भाजपा के हर घर तिरंगा अभियान (Har Ghar Tiranga Campaign) को निशाने पर लेने के लिए पता नहीं कौन सा फैक्ट चेक करते हुए आरएसएस (RSS) पदाधिकारियों की सोशल मीडिया डीपी की तस्वीरें शेयर कर रहे हैं.
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'सिर तन से जुदा' का सिलसिला थामने के लिए सरकारों को ही आगे आना होगा
हिंदू-मुस्लिम दंगे की कई वजह होती थीं, लेकिन पिछले कुछ दिनों में 'नबी की शान में गुस्ताखी' (Sar Tan Se Juda) का बहाना लेकर मुस्लिम कट्टरपंथियों ने जो खूनखराबा किया है, उसे अब बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए. इस खूनखराबे को 'भावना आहत' होने की आड़ लेकर जायज नहीं ठहराया जा सकता.
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Nupur Sharma: सुप्रीम कोर्ट ने जो आज कहा, वह 1 जुलाई को क्यों नही कहा?
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जस्टिस जेबी पारदीवाला (JB Pardiwala) और जस्टिस सूर्यकांत (Surya Kant) की बेंच ने इस बार केवल केस से जुड़ी बातें ही कहीं हैं. आसान शब्दों में कहें, तो गिरफ्तारी से राहत देने के साथ ही मौखिक टिप्पणियों के मामले में भी नुपुर शर्मा (Nupur Sharma) को राहत दी है.
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अजमेर शरीफ दरगाह के ये खादिम तो कम से कम 'शरीफ' नही हैं!
पैगंबर टिप्पणी विवाद (Prophet Remark Row) और उदयपुर हत्याकांड (Udaipur Murder Case) के बाद अजमेर शरीफ दरगाह (Ajmer Sharif Dargah) के इन खादिमों का जो रूप सामने आया है. उसे देखकर कोई भी हैरान हो जाएगा. हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की बात करने वाले इन खादिमों के जहरीले और नफरती बोल सुन कहा जा सकता है कि कम से कम ये खादिम तो शरीफ नही हैं.
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