सियासत | 4-मिनट में पढ़ें

जनता के लिए 'नमो' कूल है और विपक्षी नेताओं को मोदी फोबिया है!
'मोदी हटाओ' के नारे में I.N.D.I.A का इमोशनल फैक्टर डाल दिया गया है. विपक्ष के लिए गुपचुप नीति बनाने की ज़रूरत है, लेकिन वे तो अपनी किसी भी चाल को गोपनीय नहीं रख पा रहे हैं. 'हम साथ साथ हैं मोदी को हटाने के लिए' जैसी राजनीतिक चाल का भी खुल्लम खुल्ला ढिंढोरा पीट रहे हैं.
सियासत | 7-मिनट में पढ़ें
सियासत | बड़ा आर्टिकल

कितनी सफल होगी नीतीश कुमार की विपक्षी एकता मुहिम?
नीतीश कुमार अपने भाजपा विरोधी मुहिम में जुटे हुए हैं. मगर उन्हें बहुत से स्थानों पर सफलता भी नहीं मिल रही है. कहने को तो उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक उनके बहुत ही पुराने घनिष्ठ मित्र हैं. मगर वह नीतीश कुमार की मुहिम में शायद ही शामिल हो. नवीन पटनायक केंद्र की भाजपा सरकार को हर मुद्दे पर साथ देते हैं.
सियासत | 6-मिनट में पढ़ें

बिहार की राजनीति में क्यों अहम हुईं अगड़ी जातियां?
90 के दशक में जब मंडल-कमंडल की राजनीति ने अपने पांव फैलाए, तो देश के तमाम दूसरे राज्यों की तरह बिहार की सियासत का नक़्शा भी बदल गया. लेकिन हाल के दिनों में, बिहार की राजनीति में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है. अचानक वहां अगड़ी जातियों की अहमियत बढ़ गई है.
सियासत | बड़ा आर्टिकल

मुजरिमों पर मेहरबानी: आनंद मोहन सिंह...एक 'हत्यारे' का 'बेचारा' हो जाना
1994 में गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैया को सरेराह पीट-पीट कर मार डालने के आरोप में फांसी की सजा पाए आनंद मोहन सिंह का किस्सा दिलचस्प है. कैसे एक हत्यारे की फांसी को पहले आजीवन कारावास में बदला गया, और फिर सियासत की जलेबी बनाकर रिहा करवा दिया गया. राजनीतिक दलों के अपने-अपने 'लाड़ले' अपराधी रहे हैं. जिन पर समय-समय पर मेहरबानी होती रही है...
सियासत | 7-मिनट में पढ़ें

'भाईजान' ओवैसी के लिए बिहार के सीमांचल दौरे के मायने क्या हैं?
एआईएमआई एम चीफ असदुद्दीन ओवैसी बिहार के सीमांचल के दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे हैं, लेकिन भाईजान नाम से मशहूर ओवैसी ने सीमांचल को ही लोकसभा चुनाव 2024 और बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के चुनावी आगाज के लिए क्यों चुना? आइए इस दौरे के मायने समझते हैं.
सियासत | बड़ा आर्टिकल

जांच एजेंसियों की कार्रवाई पर नीतीश कुमार पूरी तरह विपक्ष के साथ क्यों नहीं हैं
विपक्षी नेताओं (Opposition Leaders) के खिलाफ जांच एजेंसियों की कार्रवाई के मामले में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) का रुख काफी रहस्यमय नजर आ रहा है - क्या ये बीजेपी (BJP) के साथ विकल्प खुले रखने का संकेत है? या विपक्षी खेमे में दबाव बनाने की कोई खास रणनीति?
सियासत | बड़ा आर्टिकल

बीजेपी कहां, राहुल गांधी तो विपक्ष को कांग्रेस के खिलाफ ही खड़ा कर रहे हैं
राहुल गांधी (Rahul Gandhi) जिस हिसाब से आने वाले आम चुनाव की तैयारी कर रहे हैं, लगता है कांग्रेस (Congress) को विपक्षी खेमे में अलग थलग करके ही छोड़ेंगे - और विपक्षी दलों के साथ मिल कर एक बार भी थाली सजाकर बीजेपी (BJP) की ही सरकार बनवा देंगे.
सियासत | बड़ा आर्टिकल
