समाज | एक अलग नज़रिया | 2-मिनट में पढ़ें

विदेश में मंदिर साथ ले जाने वाले रामचरण और उनकी पत्नी उपासना पर हर भारतीय को गर्व है
ऑस्कर से पहले का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें रामचरण और उनकी पत्नी उपासना एक छोटे से मंदिर की पूजा करते दिख रहे हैं. रामचरण का कहना है कि वे और उनकी पत्नी देश-विदेश जहां भी जाएं अपने साथ इस छोटे से मंदिर को लेकर जाते हैं और इसकी स्थापना कर पूजा करते हैं.
समाज | एक अलग नज़रिया | 3-मिनट में पढ़ें
समाज | 1-मिनट में पढ़ें

रावण की इतनी प्रशंसा क्यों हो रही है?
रावण (Ravan) विद्वान था, महाप्रतापी था, महातपस्वी था, आदि-आदि... सब मान लिया है. यह सब पीढि़यों से कहा जा रहा है. शायद इसलिए कि बुरे व्यक्ति से हम सबक लें कि एक बुराई तमाम अच्छाइयों को शून्य कर देती है. लेकिन, सोशल मीडिया पर इन दिनों अलग ही चरस बोई जा रही है. रावण को इतना भला कह दिया जा रहा है कि उसने कभी कोई पाप किया ही नहीं!
समाज | एक अलग नज़रिया | 3-मिनट में पढ़ें
सिनेमा | एक अलग नज़रिया | 3-मिनट में पढ़ें

आदिपुरुष में राम बने प्रभास क्या बाहुबली से बड़ा किरदार रच पाएंगे?
आदिपुरुष फिल्म में भगवान राम के रूप में प्रभास को कुछ ज्यादा ही पौरुष के रूप में दिखा गया है. ना राम वाली सौम्यता है ना भव्यवता. ऊपर से इतनी बड़ी-बड़ी मूछें और डोले-शोले ...कहने का मतलब यहा है कि प्रभास (Prabhas) बाहुबली के किरदार में जम सकते हैं लेकिन राम के रोल में नहीं.
संस्कृति | 6-मिनट में पढ़ें
सिनेमा | 3-मिनट में पढ़ें

कभी पौराणिक किरदारों से परहेज करते थे बड़े एक्टर, अब उन्हीं के लिए 75-75 करोड़ की फीस मिल रही है!
रामायण (Ramayan) पर इस वक्त बॉलीवुड में कई प्रोजेक्ट बन रहे हैं जो चर्चाओं में हैं. इनमें से एक प्रोजेक्ट नितेश तिवारी (Nitesh Tiwari) का है. चर्चा है कि राम और रावण की भूमिका के बदले रणबीर कपूर (Ranbir Kapoor) और रितिक रोशन (Hritik Roshan) को 75-75 करोड़ की फीस ऑफर की गई है.
सिनेमा | एक अलग नज़रिया | 4-मिनट में पढ़ें

अरविंद त्रिवेदी, जो रावण का किरदार निभाने के बावजूद आदरणीय रहे!
रावण के किरदार का पर्याय रहे अरविंद त्रिवेदी का 82 वर्ष की आयु में निधन हो गया है. अरविंद त्रिवेदी ने रावण के चरित्र को इस खूबी के साथ निभाया कि उस चरित्र के प्रति लोगों में भले गुस्सा या घृणा का भाव आया, लेकिन उससे अरविंद जी के प्रति आदर बढ़ता गया.
संस्कृति | एक अलग नज़रिया | 3-मिनट में पढ़ें
