समाज | 3-मिनट में पढ़ें
समाज | एक अलग नज़रिया | 4-मिनट में पढ़ें

सोनाली फोगाट की बेटी ने मुखाग्नी देने के लिए कितनी हिम्मत की होगी, मां को विदा करना आसान तो नहीं
यशोधरा फोगाट का मन कह रहा होगा है कि काश मां कहीं से आकर सिर्फ एक बार मिल जाए तो, वह उससे वो सारी बातें कह दें जो अधूरी रह गईं थीं. दुनिया से जाने वाली सोनाली फोगाट की आखिरी निशानियों को संभालने में अब इस बच्ची की उम्र बीतेगी...
समाज | एक अलग नज़रिया | 3-मिनट में पढ़ें

बेटियों का मुखाग्नि देना, ऐसा सामाजिक बदलाव हिन्दू धर्म में ही संभव है
दोनों बेटियों ने समाज की रवायतें तोड़ते हुए अपने माता-पिता को मुखाग्नि दी और पूरे रीति-रिवाज से उनका अंतिम संस्कार किया. बेटियों ने अपने माता-पिता को एक ही चिता पर मुखाग्नि देने की बात कही, जिसका पालन भी किया गया. इतना ही नहीं दोनों बेटियों ने हरिद्वार जाकर अपने माता-पिता की अस्थियों को मां गंगा में प्रवाहित किया. हिन्दू धर्म के लचीलेपन की यही खासियत है.
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सिनेमा | एक अलग नज़रिया | 6-मिनट में पढ़ें

SidNazz: वो प्रेम कहानी जो अधूरी होकर भी पूरी है…
शहनाज को हमेशा लोगों ने चुलबुले अंदाज में देखा है. हर पल हंसते हुए और चहकते हुए. सिद्धार्थ ने कहा था कि उनका दिल बच्चों जैसा है, मैं उनके साथ जितना खुलकर रहता हूं, किसी और के साथ नहीं रह सकता. मैं उन्हें बहुत पसंद करता हूं. वहीं शहनाज ने भी कहा था कि सिद्धार्थ उनके सबसे करीब हैं, वे मेरी फैमिली हैं.
समाज | एक अलग नज़रिया | 5-मिनट में पढ़ें

सिद्धार्थ शुक्ला के अंतिम संस्कार में शामिल शहनाज गिल को देख रिश्तों का मूल्य पता चलता है
इन सभी गमों के बीच सिद्धार्थ की मां ने वो मिसाल कायम किया है जिसे सुनकर कोई भी अचंभित रह जाए. उन्होंने शहनाज को वो अधिकार दिया जो हमारा समाज सोच भी नहीं सकता...दोनों ही परिवार ने शहनाज और सिद्दार्थ के रिश्ते को सम्मान दिया है.
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समाज | एक अलग नज़रिया | 2-मिनट में पढ़ें

प्यार की ये कौन सी दुनिया है, जहां लड़की के घर के सामने प्रेमी की चिता जले!
ये इश्क नहीं आसां इतना समझ लीजे, इक आग का दरिया है और डूब के जाना है…आग का दरिया तो फिर भी प्रेमी पार कर सकते हैं लेकिन तब क्या जब किसी प्रेमी को पहले जान से मार दिया जाए और फिर प्रेमिका के घर के सामने उसकी चिता को जलाकर अंतिम संस्कार कर दिया जाए.
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