सियासत | बड़ा आर्टिकल

राहुल गांधी भी भारत जोड़ो से कांग्रेस-जोड़ो पर आ ही गये!
गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने पहले कांग्रेस जोड़ो यात्रा शुरू करने की सलाह दी थी. लगता है भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) के बाद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को भी वो बात समझ में आ ही गयी - वरना, कश्मीरी नेता से माफी मांगने की क्या जरूरत थी?
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नड्डा ने अपनी तरफ से कोई कसर बाकी तो नहीं रखी, एक एक्सटेंशन तो बनता है
20 जनवरी, 2020 को बीजेपी के अध्यक्ष (BJP President) बने जगत प्रकाश नड्डा (JP Nadda) के नाम कुछ उपलब्धियां तो दर्ज होंगी ही, बीते तीन साल में ऐसे पड़ाव भी आये जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के साये में रहते हुए भी मन मसोस कर रह जाना पड़ा.
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बस स्टैंड-रेलवे स्टेशन का 'शृंगार' रही भीड़ दिल्ली एयरपोर्ट पर धब्बा कैसे बन गई!
दिल्ली एयरपोर्ट पर बढ़ रही भीड़ को नियंत्रित करने के लिए विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया खुद मौके पर पहुंचे. इंतजाम किए गए कि अब वहां भीड़ ना लगे. इंडिगो ने तो यात्रियों से साढ़े तीन घंटे पहले पहुंचने तक को कह दिया है, लेकिन सवाल ये है कि भारत जैसे देश में भीड़ पर इतना बवाल क्यों मचा है?
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राहुल गांधी को मध्य प्रदेश में बीजेपी से बदले का बड़ा मौका दिखाई पड़ा है
राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को दक्षिण के बाद मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की राजनीति ही सुहावनी लग रही है, 2024 से पहले वहां बीजेपी से बदला लेने का एक मौका तो है ही - वैसे असली हिसाब-किताब तो ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) से करने का इरादा होगा.
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राहुल ने जिस हार्दिक पटेल को सिरमौर समझा, मोदी के आगे उन्हें फिर साबित करना होगा
हार्दिक पटेल (Hardik Patel) पांच साल पहले राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के साथ समर्थकों के लिए सीटों पर मोलभाव कर रहे थे, बीजेपी ने चुनाव जीत कर विधायक बनने की चुनौती दे डाली है - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की पार्टी में सबको नये सिरे से साबित करना होता है.
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नितिन गडकरी और शिवराज सिंह चौहान की बीजेपी संसदीय बोर्ड से विदाई के मायने
बीजेपी के संसदीय बोर्ड और चुनाव समिति में हुई फेरबदल में नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) और शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) का पत्ता साफ हो गया है - और लगता है सैयन शाहनवाज हुसैन (Syed Shahnawaz Hussain) को भी बिहार में सत्ता परिवर्तन की कीमत चुकानी पड़ी है.
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चिंतन शिविर से कांग्रेस को जो भी हासिल हो - सचिन पायलट की उम्मीदें ज्यादा हैं
सचिन पायलट (Sachin Pilot) की काफी दिनों बाद अप्रैल, 2022 में ही सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) से मुलाकात हो पायी थी, लेकिन अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के बयान से लगा था कि वो जल्दी हथियार नहीं डालने वाले हैं - कांग्रेस के चिंतन शिविर से किस-किस को कितनी अपेक्षा होगी?
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