सियासत | 5-मिनट में पढ़ें

तो क्या संघ के सर्वे ने डाल दिए हैं पीएम मोदी के माथे पर चिंता के बल?
संघ ने अपने सर्वे में पाया है कि भाजपा के पास चुनाव जीतने के लिए इस वक्त एक ही सिंगल चेहरा है और वह हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. तय है अगर 2024 में भाजपा नरेंद्र मोदी को प्रोजेक्ट करती है तो 180 सीटें जीत सकती है. अगर ऐसा नहीं होता है तो 30-35 सीटों पर सीधा नुकसान होगा.
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भाजपा के लिए क्षेत्रीय दलों का साथ अचानक महत्वपूर्ण क्यों हो गया है?
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में और संघ परिवार के सहयोग से काम कर रही भाजपा को हराना संभव नहीं है. इसलिए वे अब सोचने लगे हैं कि जब भाजपा को टकराना संभव नहीं है और उसी को सत्ता में आना है तो कांग्रेस के साथ गठबंधन करके क्यों उससे कड़ी दुश्मनी पाली जाए.
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केजरीवाल के साथ भी बीजेपी सिसोदिया जैसा ही सलूक चाहती है
मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) की गिरफ्तारी के बाद अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) का आक्रामक हो जाना स्वाभाविक है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के खिलाफ तो वो शुरू से ही हमलावर रहे हैं - अपने मंत्रियों की गिरफ्तारी के बाद अब देश में इमरजेंसी जैसे हालात बता रहे हैं.
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त्रिपुरा चुनाव सत्ता बचाने के लिए भाजपा तैयार, विरोधी भी हैं दमदार...
त्रिपुरा में भाजपा का विजय रथ रोकने के लिए माकपा और कांग्रेस इस बार साथ आए हैं. वजह है कि त्रिपुरा की सत्ता पर 25 साल राज करने वाली माकपा पिछले विस चुनावों में केवल 16 सीटों पर सिमट गई थी. कांग्रेस का हाथ खाली रहा जबकि क्षेत्रीय आदिवासी संगठन और भाजपा की एलाइंस पार्टी इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) के खाते में 8 सीटें आई.
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2024 का शोर, 80 पर जोर: भाजपा में बैठक और गहन वार्ता, सपा-बसपा भी बना रही रास्ता
भाजपा मिशन-2024 में जुट गई है. उसकी शुरुआत पूर्वांचल से की गई है. जेपी नड्डा ने जब पहली जनसभा करने के लिए किसी जिले को चुना तो वह गाजीपुर है. क्योंकि 2019 में भाजपा इस सीट को नहीं जीत पाई थी. दिल्ली में पार्टी का दो दिनों तक जो मंथन हुआ था, उसमें भी सबसे ज्यादा जोर इसी बात पर दिया गया कि हारी हुई बाजी को कैसे जीता जाए.
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मोदी की ट्रिपल इंजन सरकार मुहिम का परीक्षण भी चुनावी साल में हो ही जाएगा
मिशन 2024 के लिए मौजूदा चुनावी साल (Elections 2023) में बीजेपी किसी भी स्तर पर ही कोई कसर बाकी नहीं रखना चाहती. ट्रिपल इंजन सरकार (Triple Engine Sarkar) का जो फॉर्मूला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने आगे बढ़ाया है - असली मकसद उसका हर जगह जमीन मजबूत करना ही है.
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नड्डा का एक्सटेंशन उनके प्रति मोदी-शाह के भरोसे की कमी का संकेत है
जेपी नड्डा (JP Nadda) को एक और कार्यकाल काम करने (BJP President) का मौका भी दिया जा सकता था, लेकिन मोदी-शाह (Modi-Shah) की नेतृत्व वाली बीजेपी कार्यकारिणी ने सिर्फ साल भर का एक्सटेंशन मिला है - आगे सब इस बात पर निर्भर करता है कि 10 में से कितने मार्क्स मिलते है?
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