समाज | एक अलग नज़रिया | 4-मिनट में पढ़ें

कुछ बहुएं घरवालों के हिसाब से ये गलती करती हैं और उनकी नजरों में बुरी बन जाती हैं
बहू को पता है कि अगर वह घर नहीं संभाल पाई तो उसे ही दोष दिया जाएगा. उसी की गलती निकाली जाएगी. इसलिए वह घरवालों का ख्याल रखने में दिन रात एक कर देती है. वह सबके हां में हां मिलाती है. घर का पूरा का काम करती है. यहां तक की घरवालों के हिसाब से अपना पहनावा, खान-पान, रहन-सहन सब बदल देती है. कुछ घरवाले बहू के इतना करने के बाद भी खुश नहीं रहते हैं.
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अनुपमा शो ने साबित किया हर पति 'वनराज' जैसा होता है और अनुज जैसे सिर्फ कल्पनाओं में होते हैं!
अनुपमा शो को पहले देखकर तसल्ली मिलती थी कि चलो वनराज जैसे लोग हैं तो अनुज जैसे भी तो हैं. मगर फिलहाल जो कुछ शो में दिखाया जा रहा है उस हिसाब से तो रियल दुनिया में अनुज जैसे अच्छे किरदार का अस्तित्व ही नहीं है. सच में ऐसा सीरियल में ही हो सकता है, क्योंकि असल दुनिया में लोग इतनी जल्दी अनुज से वनराज नहीं बन जाते. आपका क्या कहना है?
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गृहिणी बनना भी अपनी च्वाइस होती है, जानिए ट्रैड वाइफ पर क्यों छिड़ी है बहस?
हमारे समाज में घर संभालना छोटी बात क्यों मानी जाती है? क्या आपने कभी हाउसवाइफ का इसलिए सम्मान होते देखा है, क्योंकि उसने घर को बड़े ही करीने से संभाला है. लोगों को यह क्यों समझ नहीं आता कि जरूरी नहीं है कि हर महिला को बाहर काम करना ही पसंद हो. घर को मैनेज करना किसी कंपनी को मैनेज करने से आसान काम थोड़ी है.
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गांव की उस औरत की कहानी जो पति के परदेश जाने के बाद घर में अकेली रहती है
जब शादी करके आई थी तो भरा-पूरा परिवार था. फिर धीरे-धीरे सब शहरों की ओर रूख कर गए. पति को पैसे कमाने थे तो वह मना भी कैसे करती? कुछ साल बाद सास और फिर ससुर जी भी गुजर गए. बच्चे पढ़ाई करने शहर चले गए. हां घरवालों ने उसे एक सादा फोन जरूर दे दिया था जिस पर घंटी आ सकती है. किसी ने उसे फोन रिसीव करना तो सिखा दिया लेकिन फोन मिलाना उसे अभी भी नहीं आता, वह अनपढ़ जो है.
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