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Legislative Assembly Election 2023: चुनाव में जीत का मुद्दा किसान रहेगा या रोजगार?
चुनाव आते ही कुछ मुद्दे जैसे बेरोज़गारी, महंगाई, किसान और महिला सशक्तिकरण, खुद-ब-खुद ट्रेंड में आ जाते हैं. 2018 में कांग्रेस ने किसान के नाम पर ही मध्यप्रदेश में मतदाताओं को आकर्षित करने में सफलता हासिल की थी. इसलिए अब भी कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस इन्ही मुद्दों को थामे रखना चाहेगी. भाजपा की बात करें तो मध्यप्रदेश में पार्टी हर सर्वे में जीत से दूर नज़र आ रही है.
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आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा की हालत इस समय तो कमजोर ही लग रही है!
कांग्रेस और अन्य क्षेत्रीय दलों की कोशिश होगी कि वे 2024 से पहले भाजपा को हराने का संदेश दे सकें. आज के समय में विपक्ष में एकजुटता की कमी दिखने के बावजूद भाजपा के लिए उत्साहजनक वातावरण नहीं बना हैं. मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक, तीन राज्य जहां चुनाव करीब हैं और भाजपा अपने लिए मुश्किलें देख रही है.
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कांग्रेस की राह बहुत मुश्किल है और महाधिवेशन से बहुत कुछ नहीं बदला है!
कांग्रेस के 137 साल के इतिहास में पहली बार ऐसा होगा कि नेहरू गांधी परिवार के तीन सदस्य एक साथ कांग्रेस कार्य समिति में होंगे. इससे पहले संभवतः कभी ऐसा नहीं हुआ है. परिवार के दो सदस्य तो एक साथ कार्य समिति में रहे हैं. लेकिन कांग्रेस की जो नई कार्य समिति बनेगी उसमें परिवार के तीन सदस्य एक साथ रहेंगे.
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राजस्थान में चुनावी घमासान, तीन महीनों में प्रधानमंत्री मोदी का ये चौथा राजस्थान दौरा
विधानसभा चुनाव सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे और कमल निशान पर लड़ने का फैसला कर चुकी भाजपा जातिगत समीकरण साधने के लिए प्रधानमंत्री मोदी का भरपूर इस्तेमाल भी कर रही है. उसी सिलसिले में प्रधानमंत्री मोदी अब 12 फ़रवरी को मीणा बाहुल्य इलाक़े पूर्वी राजस्थान के दौरे पर आ रहे हैं.
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त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में भाजपा की राह कितनी आसान?
जल्द ही त्रिपुरा के लिए 13वीं विधानसभा का चुनाव होगा. ये ऐसा राज्य है जो एक वक्त वामपंथी शासन का गढ़ था, लेकिन 2018 के चुनाव में भाजपा ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) यानी सीपीएम की सत्ता को यहां से उघाड़ फेंका. अब आम लोगों से लेकर राजनीतिक विश्लेषकों के जेहन में ये सवाल गूंज रहा है कि क्या इस बार भाजपा अपनी सत्ता बरकरार रख पाएगी या सीपीएम को फिर से मौका मिलेगा.
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