New

होम -> समाज

 |  2-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 25 जून, 2015 03:39 PM
  • Total Shares

  • पानी रे पानी तेरा रंग कैसा
  • जिसमें मिला दो लगे उस जैसा

कभी पानी पर लिखा गया यह गीत आज फिर याद आ रहा है. वजह है चीन के यूलिन प्रांत में मनाया गया डॉग मीट फेस्टिवल. पिछले 5-10 दिनों के अंतरराष्ट्रीय खबरों पर नजर डालें तो डॉग मीट फेस्टिवल चर्चा में रहा है. पूरी दुनिया में इसका विरोध हुआ, यूरोपीय लोगों ने ज्यादा किया.

पानी पर गीत और डॉग मीट फेस्टिवल में क्या संबंध हो सकता है? यही सोच रहे हैं न! संबंध है, बहुत गहरा संबंध है. दरअसल डॉग मीट तो एक जरिया मात्र है. इसको लेकर तथाकथित डॉग लवर यूरोपीय लोग चीनी लोगों की फूड हैबिट पर भी सवाल उठा रहे हैं.

जरा इन शब्दों पर गौर करें: notorious Yulin festival, sickening treatment of the dogs. ऐसे शब्द कई यूरोपियन मीडिया हाउसेज ने डॉग मीट फेस्टिवल के लिए प्रयोग किए हैं. शब्दों पर जोर इसलिए क्योंकि यह नजरिये को दर्शाता है.

धर्म, देश, समय से परे ऐसी कोई जगह या व्यवस्था बताएं, जहां मांसाहार होता है, लेकिन उसमें हत्या न हो? हो ही नहीं सकता न! हिंदुओं की बलि प्रथा हो, इस्लाम की कुर्बानी हो या क्रिश्चियन लोगों का क्रिसमस के दिन स्पेशल टर्की डिश. सब के सबमें हत्या होती है. डॉग मीट फेस्टिवल के खिलाफ लिखने-बोलने वालों का तर्क है कि इसमें कुत्तों के साथ बहुत बेरहम व्यवहार किया जाता है. हाइजेनिक नहीं होता है. जनाब! हत्या को आप बेरहम और मानवीय की कैटिगरी में कैसे तौल पाते हैं. हत्या तो हत्या है.

आंकड़ों की बात करें तो चीन के यूलिन प्रांत में दो दिन चले डॉग मीट फेस्टिवल में लगभग 10,000 कुत्ते मार डाले गए. वैसे अकेले मई में ब्रिटेन में 19 लाख जानवर कसाईखाने में मीट मार्केट का हिस्सा बने. बकरीद के दिन पूरे विश्व में मारे जाने वाले जानवरों की संख्या, नेपाल में भैंस-बकरों की बलि, दुर्गा और काली मंदिरों में बलि... नहीं लेकिन तब यह आपकी श्रद्धा और विश्वास की बात होती है. उस पर कोई उंगली कैसे उठाए? हालांकि उंगली चीन के लोग भी उठा रहे हैं - क्रिसमस के दिन आप टर्की खाना छोड़ दो, हम कुत्ता खाना छोड़ देंगे.

आप क्या लेंगे? क्या खाना पसंद करेंगे? मतलब खान-पान ऐसी चीज है, जो आपकी पसंद पर आधारित है. आपसे पूछा जाता है. घर में भी, बाहर भी. दो भाइयों के फूड हैबिट भी अलग-अलग होते हैं. एक शाकाहारी तो दूसरा मांसाहारी. पूरी दुनिया भी तो एक घर ही है - इंसानों का घर. सब को अपने-अपने अंदाज में जीने दें. खाने दें, रहने दें. अपनी पसंद को दूसरों पर थोपने और दूसरों की पसंद को खारिज कर देने से दुनिया के रंग ही गायब हो जाएंगे. क्या आप बदरंग दुनिया में जीना चाहते हैं?

#डॉग मीट, #चीन, #डॉग मीट फेस्टिवल, डॉग मीट, चीन, डॉग मीट फेस्टिवल

लेखक

चंदन कुमार चंदन कुमार @chandank.journalist

लेखक iChowk.in में पत्रकार हैं.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय