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Updated: 17 जुलाई, 2019 07:59 PM
अरविंद मिश्रा
अरविंद मिश्रा
  @arvind.mishra.505523
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देश की आर्थिक राजधानी और मायानगरी मुंबई में फिर से एक जर्जर इमारत ढ़हने से एक दर्जन से ज़्यादा लोग मौत के गाल में समा गए. यह पहली बार नहीं हो रहा है. यहां खासकर बरसात के महीने में इमारतें जमींदोज़ होती ही रहती हैं और लोग मरते ही रहते हैं. इसी महीने की 1 तारीख को कल्याण इलाके में तेज बारिश से राष्ट्रीय उर्दू स्कूल की दीवार रात में ढहने से 3 की मौत हो गई थी. वहीं 2 तारीख को मलाड के झुग्गी बस्ती में दीवार गिरने से 25 लोगों की मौत हो गई थी. लगता है मुंबई अब हादसों का शहर बन गया है. हर बार की तरह इस बार भी राजनेता इस दुखद घटना पर शोक व्यक्त कर रहे हैं. पीड़ित परिवार के लिए कुछ आर्थिक सहायता का भी ऐलान होगा, जांच का आश्वासन भी मिलेगा. एक विभाग दूसरे के ऊपर दोषारोपण करेंगे और फिर अगले हादसे का इंतजार होगा.

विफल होता प्रशासन

इतना होने के बावजूद प्रशासन की विफलता साफ-साफ झलकती है. हर बार हादसे होते हैं, प्रशासन मौके पर पहुंचकर राहत और बचाव कार्य करता है लेकिन इसे रोकने में विफल होता है. कहा जा रहा है कि जो इमारत इस बार गिरी है वो 100 साल पुरानी थी. लेकिन अहम सवाल यह है कि जब यह इमारत 100 साल पुरानी और जर्जर थी तो समय रहते इसका पता क्यों नहीं लगाया गया? क्यों नहीं इसे खतरनाक इमारतों की श्रेणी में शामिल किया गया? और इसे समय रहते खाली क्यों नहीं करवाया गया? क्या यह प्रशासन का विफलता नहीं है?

मुंबई, इमारत, दुर्घटना mumbai building collapsedमुंबई के डोंगरी इलाके में हुई इस दुर्घटना में 13 लोगों के मारे गए हैं

हादसे के लिए जिम्मेदार कौन

अब खेल शुरू होता है जिम्मेदारी लेने का. मुंबई के डोंगरी इलाके में जिस 4 मंजिला इमारत गिरने से करीब 12 लोगों की जान गई उसकी जिम्मेदारी लेने के लिए कोई भी तैयार नहीं है. महाराष्ट्र हाउसिंग और एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (MHADA) का कहना है कि जो इमारत ढही वो उसके अधीन आती ही नहीं. वहीं बृहनमुबंई नगर निगम (बीएमसी) का कहना है कि इमारत की रिपेयरिंग की जिम्मेदारी MHADA की है. हालांकि बाद में MHADA ने इसमें एक पेंच जोड़ते हुए कहा कि इमारत का जो हिस्सा गिरा वह अवैध था इसलिए यह उसकी जिम्मेदारी नहीं बनती है. लेकिन यहां यह बात तो साफ है कि बीएमसी और MHADA में से ही कोई इस हादसे के जिम्मेदार हैं. अगर ये दोनों एजेंसियां साथ मिलकर काम करतीं तो इन बेकसूर लोगों को मौत से बचाया जा सकता था.

mumbai building collapseबीएमसी और MHADA में से कोई इस दुर्घटना की जिम्मेदारी नहीं ले रहा

अब तक करीब 900 जानें जा चुकी हैं

MHADA के रिपेयर एंड रिकंस्ट्रक्शन बोर्ड (R&R Board) की रिपोर्ट के मुताबिक साल 1971 से 2018 के बीच 3528 इमारतें ढहने की घटनाएं हुईं जिसमे 894 लोगों की मौत हुईं. इस रिपोर्ट के मुताबिक हर साल मुंबई में 20-25 इमारतें गिरती हैं. इसी रिपोर्ट में कहा गया है कि मुंबई में (MHADA के अधीन) 100 साल से पुरानी इमारतों की संख्या करीब 16000 है जिसमें कुछ तो इससे भी पुरानी हैं. इसमें खास बात यह है कि MHADA हर साल बारिश का मौसम शुरू होने से पहले इन इमारतों का सर्वे करवाता है और खतरनाक हो चुके इमारतों को खाली करवाता है. लेकिन इसके बावजूद मुंबई में जर्जर इमारतों का गिरना जारी रहता है.         

इस प्रकार मुंबई में लगातार हो रहीं मौतों को लेकर प्रशासन हमेशा ही सवालों के घेरे में रहता है. लेकिन जवाब केवल एक ही होता है कि जांच हो रही है और यह जांच कब तक होती रहेगी इसका जवाब किसी के पास नहीं होता है. बस अंजाम एक ही होता है, बेकसूर लोगों का मौत के गाल में समाते रहना.

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लेखक

अरविंद मिश्रा अरविंद मिश्रा @arvind.mishra.505523

लेखक आज तक में सीनियर प्रोड्यूसर हैं.

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