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Updated: 29 मार्च, 2018 07:33 PM
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मेरा देश महान, 100 में से 99 बेइमान! ये कहावत अक्सर लोगों के मुंह से सुनने को मिल जाती है. फेसबुक की वॉल में अपने विचार देने से लेकर नुक्कड़ की पान की दुकान पर खड़े होकर चर्चा करने वाले सभी लोग एक बात पर तो राज़ी जरूर हो जाएंगे कि भारत में घोटाले जरूरत से ज्यादा होते हैं.

नीरव मोदी और विजय माल्या जैसे लोग बैंक का पैसा लेकर भाग जाते हैं तो कुछ ज्यादा अक्लमंद लोग खुद अपना बैंक ही बना लेते हैं. ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश में सामने आया है. वाराणसी में एक इंसान बैंक से लोन न लेकर उसने आम नागरिकों से ही लोन ले लिया. दरअसल, आफाक अहमद नाम के एक व्यक्ति ने कर्नाटका बैंक की एक फेक ब्रांच ही खोल ली.

बैंक, घोटाला, नीरव मोदी, कर्नाटका बैंक

ये मामला है बलिया जिले के फेफना शहर के मुलायम नगर का. अहमद ने लोगों से बैंक अकाउंट खोलने को कहा. अहमद ने नकली नाम विनोद कुमार कांबले सबको बताया. उसके पास इस नाम का आधार कार्ड, वोटर आईडी और अन्य दस्तावेज भी थे. अहमद लोगों को कम से कम 1000 रुपए से अकाउंट खोलने की सुविधा देता था और साथ ही साथ एफडी के लिए 30 हजार से लेकर 70 हजार तक लेता था. ऐसा करते-करते अहमद ने 15 सेविंग्स बैंक अकाउंट और एफडी खोल ली थीं.

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कैसे खुला राज़..

अहमद उर्फ विनोद की गतिविधियों पर बैंक के किसी ग्राहक को शक हुआ. उसने दिल्ली में कर्नाटका बैंक के एडिश्नल जनरल मैनेजर (AGM) को कॉल करके बैंक की बलिया ब्रांच में हो रही धोखाधड़ी के बारे में बताया. AGM ने इसकी तस्वीरें मंगवाई. जब इस मामले की जांच हुई तो पता चला कि बलिया में बैंक की कोई ब्रांच ही नहीं है. तस्वीरें मिलने और पड़ताल करने के बाद AGM ने वाराणसी ब्रांच और पुलिस को खबर दी. पुलिस के साथ सर्कल ऑफिसर हितेंद्र कृष्णा और बैंक के कुछ कर्मचारी भी शामिल थे.

पुलिस ने ब्रांच पर छापा मारा जो एक पूर्व आर्मी ऑफिसर के घर पर चलाया जा रहा था. पुलिस को कंप्यूटर, टेबल, चेयर आदि सब बैंक की तरह ही मिला. पुलिस ने RBI लाइसेंस और कर्नाटका बैंक द्वारा आधिकारिक दस्तावेज मांगे और ये सब न मिलने पर उन्होंने अहमद को गिरफ्तार कर लिया.

हाई-प्रोफाइल प्लानिंग...

अहमद ने ऑफिस की जगह 32000 रुपए प्रति माह पर किराए पर ली थी. इसके बाद कुछ कर्मचारियों को नौकरी पर रखा जो 5000 रुपए महीने कमाते थे. कर्मचारियों का कहना था कि उन्हें इस धोखेबाज़ी की कोई जानकारी नहीं है और उन्हें लगा कि ये असली बैंक है.

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अहमद ने न तो मकान का किराया दिया और न ही किराए पर लिए गए सामान के पैसे दिए. कुल मिलाकर अहमद ने बहुत से लोगों को चूना लगाया. हमारे देश में बैंक और बैंक से जुड़े फ्रॉड की कमी नहीं है. अगर सिर्फ लोगों की बात करें तो आधे तो इस चक्कर में फंस जाते हैं कि कागज-पत्तर हमें समझ नहीं आते. जी हां, इनकम टैक्स रिटर्न भरने से लेकर साधारण सा कोई फॉर्म भरने तक लोग किसी और इंसान की मदद लेते हैं और इसीलिए फर्जी स्कैम करना आसान हो जाता है. बड़ी-बड़ी कंपनियों को छोड़ दिया जाए तो भी नेटवर्क मार्केटिंग जैसे कई स्कैम मिल जाएंगे जहां आम लोगों को धोखे से अपना शिकार बनाया जाता है और लोगों को जब तक इसकी भनक लगती है बहुत देर हो चुकी होती है. बेहतर है कि अपने फाइनेंस और पैसे से जुड़े दस्तावेज बहुत ध्यान से देखें और अगर कहीं भी थोड़ी सी भी गड़बड़ समझ आए तो तुरंत किसी एक्सपर्ट की सलाह लें.

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