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Updated: 16 सितम्बर, 2020 01:06 PM
प्रीति 'अज्ञात'
प्रीति 'अज्ञात'
  @preetiagyaatj
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उन दिनों जब Covid-19 का प्रकोप चीन (China) से प्रारम्भ हो यूरोपीय देशों में अपना असर दिखा रहा था, हम भारतवासी (Indians) स्वयं के लिए कुछ हद तक निश्चिन्त थे. हमारा जीवन सामान्य था. देश भर में आवाजाही जारी थी. न जाने कब यह वायरस (Coronavirus) हवाई रास्ते से हमारे देश आ पहुंचा और अब तक लाखों लोग इसके शिकंजे में फंस चुके हैं. ठीक होने वालों का अनुपात भले ही अधिक है लेकिन मृत्यु के आंकड़े बेहद भयावह हैं. उस पर WHO से मिलने वाली सूचनाएं हर बार एक नए संशय को जन्म दे रही हैं. बहरहाल, इतना तो तय हो चुका है कि हमें अपनी सुरक्षा के लिए किसी के भरोसे नहीं बैठना है. हमारी सलामती के लिए इस समय मास्क (Mask) (मुखौटा)और सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) की एकमात्र उपाय है. 

Coronavirus, Disease, Death, Rescue, Mask. Burqaकोरोना के मद्देनजर जैसे हालात हैं मास्क हमारी ज़िंदगी का अहम हिस्सा है

हां, स्वच्छता को ध्यान में रखते हुए घर में साबुन से हाथ धोना और बाहर सैनिटाइज़र का उपयोग भी अब अनिवार्य ही समझ लीजिए.वैसे आपको भले ही विश्वास न हो पर मास्क की परम्परा तो सदियों पुरानी है.

Coronavirus, Disease, Death, Rescue, Mask. Burqaपुराने ज़माने में राजा महाराजा भी सुरक्षा के लिए मास्क पहना करते थे

राजाओं का भी आभूषण रहा है

जब हम किसी प्राचीन किले या महल को देखने जाते हैं तो उससे सटा एक म्यूज़ियम जरुर होता है. इसमें सम्बंधित राजा की तमाम वस्तुओं के साथ वह पोशाक भी होती है जो उसने युद्ध के समय पहनी थी. भारी-भरकम पोशाक के साथ ढाल, तलवार और मुकुट जाने कैसे संभालते होंगे. उसके बाद लड़ना भी होता था इन्हें.

हां मुकुट पर आगे धातु की पांच छः पतली डोरियां और लटकी रहती थीं जैसे कि कई बार दूल्हे के सेहरे पर गेंदे की माला लटकी होती है.बताइए इतना सब तो कोई हमारी जान ले ले तो भी पहनने को तैयार नहीं होंगे. लेकिन अभी तो मखाने सा हल्का-फुल्का मास्क भर है जो हमारी रक्षा करेगा.

Coronavirus, Disease, Death, Rescue, Mask. Burqaकहीं न कहीं हमारे दो चेहरों को भी दर्शाता है मास्क

दो चेहरों की तो हमें आदत है!

कहते हैं कि इस दुनिया में प्रत्येक इंसान के दो चेहरे होते हैं. एक वह जो दुनिया के सामने है और दूसरा वह जो व्यक्ति स्वयं है. लोगों के सामने हम अपने पूरे व्यक्तित्व को प्रदर्शित नहीं करते. इसे यूं समझिये कि हम हरेक से एक सा व्यवहार नहीं करते. जिससे जैसा रिश्ता, वैसी ही भाषा. औपचारिक और अनौपचारिकता से बंधे सभी रिश्तों में हमारा अलग-अलग पक्ष बाहर निकलकर आता है. कुछ ऐसे स्वार्थी और धोखेबाज़ भी होते हैं जिनका असल चेहरा बाद में नज़र आता है. यही दुनिया की रीत है. खैर! बात मास्क की है अभी.

Coronavirus, Disease, Death, Rescue, Mask. Burqaबच्चों को अगर प्रदूषण और बीमारियों से बचाना है तो भी मास्क जरूरी है

मास्क और बच्चे

मास्क से कई बच्चों का बचपन जुड़ा है. स्कूल की फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता में तरह-तरह के रूप धरकर, हंसते -खिलखिलाते हुए जाने कितनी बार गए हैं. बहुधा मेले से ज़िद कर खरीद भी लाते थे और फिर खेल-खेल में एक-दूसरे को ख़ूब डराया करते थे. सर्कस के जोकर का मास्क भी हमें ख़ूब याद है जिसे पहन वो तमाम उल्टी-सीधी हरक़तें करते हुए दर्शकों को हंसाता था. उस दौर का वह आनंद भी अद्भुत था. जिम कैरी की मूवी भी हम कहां भूले हैं. इसमें 'मास्क' हम सबका चहेता बन बैठा था.

Coronavirus, Disease, Death, Rescue, Mask. Burqaऐसे कायो दृश्य हम देख चुके हैं जहां मास्क की आड़ लेकर अपराध हुए हैं

इसकी आड़ में हुए अपराधों को भी नहीं भूलना चाहिए

ये नया समय है जहां सरेआम अपराध होते हैं. कैमरे के होते हुए भी अपराधियों के मन में पकड़े जाने का भय नहीं रहा. एक वो दौर था जब डाकू लूटने आते थे तो उनके मुंह पर गमछा बंधा होता था. शायद अपराध करते हुए थोड़ी शर्म जीवित रहा करती थी तब. यूरोप के इतिहास में 'वाइकिंग' की अलग ही भूमिका रही है.

ये जलदस्यु, मास्क पहनकर लूटपाट, अपहरण की घटनाओं को अंजाम देते थे. हमारी फ़िल्मों में भी मास्क का बहुत उपयोग किया गया है. कई बार तो नायक का चेहरा लगा नायिका को धोखा दिया जाता है तो कभी अँधेरी रातों में, सुनसान राहों पर इसे पहने एक शहंशाह मदद करने निकलता है.

बैंक लूटते समय अपराधी नक़ाब अवश्य ही पहनते हैं. तभी तो अगले दिन के अखबार में 'दो नक़ाबपोश लुटेरों ने बैंक को लूटा' की सनसनीखेज़ ख़बर बनती है. वैसे आजकल उतनी सनसनी होती ही नहीं. अपराध जीवन में घुल गए हैं और हम इसे आसानी से गटक भी लेते हैं.

Coronavirus, Disease, Death, Rescue, Mask. Burqaबाइक पर मास्क लगा कर बैठना भी वक़्त की जरूरत है

दुपहिया वाहनों में आपका हमसफ़र

कुछ पल के लिए कोरोना को भूल मई-जून की भीषण गर्मी या नौतपा याद कीजिए. कैसे हम लोग अपनी स्कूटी या बाइक पर ममी की तरह पैक होकर जाते हैं. यदि वाहन का नंबर न याद हो तो मां, अपने बच्चे तक को न पहचान सकती. घर की सफ़ाई करते समय जाले वगैरह हटाने हों तब भी हम चेहरा और बाल ढक लेते हैं. कुल मिलाकर धूप/ एलर्जी से स्वयं की सुरक्षा का ख़ूब भान है हमें.

Coronavirus, Disease, Death, Rescue, Mask. Burqaइसमें कोई शक नहीं कि मास्क त्वचा की खूबसूरती को भी बरक़रार रखता है

ख़ूबसूरती बनाए रखता है

हल्दी-बेसन के उबटन की परम्परा हमारे देश में सदियों से है. अब इसका स्थान फेस मास्क ने ले लिया है जो इन्हीं तत्वों का प्रयोग करते हैं. चॉकलेट, मिट्टी, फल हर चीज़ का पैक में इस्तेमाल होने लगा है. पहले तो केवल स्त्रियाँ ही इसे लगती थीं लेकिन अब पुरुष भी इसका जमकर उपयोग करने लगे हैं. आख़िर सुंदर, स्निग्ध त्वचा का मोह किसे नहीं होता!

Coronavirus, Disease, Death, Rescue, Mask. Burqaआलोचना लाख हो मगर बुर्का भी एक तरह का मास्क ही है 

नक़ाब भी एक तरह का मास्क ही है

मुस्लिम समाज में स्त्रियां प्रायः नक़ाब में ही रहती आई हैं. पर्दानशीं नायिकाओं पर शायरों ने ख़ूब लिखा है. अनगिनत शानदार गीत बने हैं जिसमें इश्क़ की कहानी आंखों से ही परवान चढ़ी है. इन गीतों को हम आज भी गुनगुनाते हैं. याद है न 'मेरे महबूब तुझे मेरी मोहब्बत की क़सम', 'रुख से जरा नक़ाब हटा दो मेरे हुज़ूर' और वो 'परदा है परदा' वाली मशहूर क़व्वाली. आज भी कैसा दिल खिल जाता है न अक़बर इलाहाबादी की ज़िद को देखकर.

Coronavirus, Disease, Death, Rescue, Mask. Burqaसाफ़ है कि मास्क नजर से भी बचाता है

यह नज़रबट्टू भी है

बच्चे को नज़र न लगे, यह सोच मां काला टीका लगा देती है लेकिन जब नया घर लेते हैं तो अपने सपनों के महल को बुरी नज़र से बचाने के लिए लोग उस पर एक मुखौटा टांग देते हैं. प्रायः यह काले रंग का अथवा कोई राक्षसी चेहरा होता है. सोच यही कि शुभ काम में अमंगल न हो, कोई विघ्न न हो. अब दकियानूसी भले ही लगे पर यह किया जाता है.

कुल मिलाकर यह समझ लीजिए कि मास्क की अपनी एक विशाल दुनिया और समृद्ध इतिहास रहा है और यह किसी न किसी रूप में हमारे जीवन का अटूट हिस्सा रहा है. पूरी कथा का सार यह है कि अब जब ये इतने वर्षों से है ही तो बाहर निकलते समय पहन लिया कीजिए. क्या दिक्क़त है?'जान है तो जहान है'. अपना और अपनों का ख्याल हमें ही तो रखना है. इसके लिए बस, SMS (सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क, सैनिटाइज़र) का त्रिदेव मंत्र याद रहे.

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लेखक

प्रीति 'अज्ञात' प्रीति 'अज्ञात' @preetiagyaatj

लेखिका समसामयिक विषयों पर टिप्‍पणी करती हैं. उनकी दो किताबें 'मध्यांतर' और 'दोपहर की धूप में' प्रकाशित हो चुकी हैं.

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