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Updated: 12 जुलाई, 2018 01:28 PM
पूजा शाली
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  @pooja.shali
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6 जुलाई को जम्मू-कश्मीर के शोपियां में आतंकवादियों ने पुलिस कांस्टेबल जावेद अहमद डार की हत्या कर दी थी. डार की हत्या पर देशभर से उनके परिवार के लिए सांत्वना के संदेश आए. लेकिन श्रीनगर में तैनात एक वरिष्ठ अधिकारी के लिए डार की मौत किसी सदमे से कम नहीं थी. जावेद डार को 'जेडी' के रूप में जाना जाता था, जो पुलिस अधिकारियों की एक टीम के बीच एक कोड वर्ड था. जेडी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी), शैलेंद्र मिश्रा का पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर (पीएसओ) था.

श्रीनगर से बातचीत के दौरान, शैलेंद्र मिश्रा की आवाज बहुत गंभीर थी और थकी हुई थी. "अपने लड़कों" में से एक के अंतिम संस्कार से लौटने के बाद, उन्होंने अपने उस दोस्त के बारे में लंबी बात की जिसे वह फिर कभी नहीं देख पाएंगे. मिश्रा ने कहा, "मैंने अपना छोटा भाई खो दिया है. वह पांच साल से मेरी आंखें और कान था. तमाम खतरों के बावजूद, मेरी सभी सात पोस्टिंग में जेडी मेरे साथ रहा. वो एक ऐसा खालीपन छोड़कर गया है जो कभी भर नहीं पाएगा."

shopian, jammu kashmirसेबों के गढ़ शोपियां में कई आतंकी हमले हो रहे हैं.

गुरुवार को दोपहर 2 बजे तक डार, मिश्रा के साथ श्रीनगर में ही था. उन्होंने दोपहर में एक साथ खाना खाया. तब दोनों में से किसी को भी इस बात का अहसास नहीं था कि ये उनका आखिरी भोजन होगा. जेडी के माता-पिता हज यात्रा के लिए जा रहे थे इसलिए डार ने छुट्टी मांगी. मिश्रा ने कहा "उन्होंने अपने माता-पिता के हज जाने से पहले उनके लिए गिफ्ट खरीदे थे और उसे अपने घर की मरम्मत का भी कुछ काम कराना था. हालांकि शुरुआत में पुलिसकर्मियों के ऊपर के खतरों को देखते हुए मैंने उसे छुट्टी देने से मना कर दिया था. लेकिन उसने दबाव बनाना शुरु कर दिया. अंत में मैंने हां कर दिया."

उसी रात वेहिल शोपिंया के अपने घर से कुछ दूरी पर स्थित एक दवा दुकान से आतंकवादियों ने डार का अपहरण कर लिया था. अगले दिन सुबह कुलगाम जिले में डार का गोलियों से छलनी शरीर मिला. मिश्रा और जेडी ने साथ में कई चुनौतीपूर्ण कार्यों को अंजाम दिया था. उनकी टीम ने आठ आतंकवादियों को मौत के घाट उतारा था. जिनमें से वसीम मल्ला और सद्दाम पादर जैसे मोस्ट वांटेड अपराधी भी शामिल थे.

अप्रैल 2016 में शोपियां में, हिजबुल मुजाहिदीन आतंकवादियों नसीर पंडित और वसीम मल्ला को स्थानीय पुलिस, सीआरपीएफ और सेना के संयुक्त अभियान में मार गिराया गया था. मल्ला के मुठभेड़ के दौरान था मिश्रा को एहसास हुआ कि जेडी ने कितना बड़ा जोखिम उठाया था. वह मुठभेड़ शोपियां में ही हो रही थी. उसी गांव में जिसमें डार का घर था. हमारे बीच ये डर फैल गया कि डार को आतंकवादी पहचान न लें. लेकिन जेडी ने अपनी बात पर टिका रहा और अपनी पोजिशन पकड़े रहा.

उस दिन का ऑपरेशन सुरक्षा बलों के लिए बड़ी जीत थी. जुलाई 2016 में बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद, शोपियां में कई महीनों तक तनाव की स्थिति बनी रही. मिश्रा को जिले में दो कार्यकाल के लिए तैनात किया गया था. एसएसपी ने कहा, "जेडी पूरे समय मेरे साथ रहा था. आतंकवादी हमलों के खतरों के बीच, मैंने अक्सर उसे कहा कि किसी और अधिकारी के साथ कम संवेदनशील पोस्टिंग में चला जाए. पर हर बार उसने पूरी दृढ़ता से इनकार कर दिया."

श्रीनगर में 2014 की बाढ़ के दौरान मिश्रा की मुलाकात पहली बार डार से हुई. तब वह राहत अभियान के तत्कालीन प्रभारी थे. जबकि डार बाढ़ में फंसे नागरिकों को सामग्री वितरित करने की ड्यूटी पर तैनात था. अचानक ही हवाईअड्डे के पास दोनों में बातचीत हुई और जल्दी ही दोनों के प्रगाढ़ संबंध हो गए. अगले साल संयोग से मिश्रा और जेडी दोनों लद्दाख में मिले. मिश्रा को एसएसपी, कारगिल के रूप में नियुक्त किया गया था. दोनों के बीच का रिश्ता मजबूत हो गया और डार ने मिश्रा के पीएसओ के रूप में शामिल होने का फैसला किया.

"वह एक जोशीला और बहादुर आदमी था. फुरसत के पलों में, हम गाने गाते थे और घंटों बातें करते थे. डार ने नुसरत फतेह अली खान को सुनना शुरू कर दिया क्योंकि उनके गाने मुझे पसंद थे. एक परिवार के रूप में, जेडी ने मेरे माता-पिता को मां और पापा कहना शुरु कर दिया. वे उस पर भरोसा करते थे. और अक्सर मैं कहां हूं, ठीक हूं भी कि नहीं ये जानने के लिए डार को ही फोन लगाते थे. वह उनके लिए उनका दूसरा बेटा था."

मिश्रा के पास एक काला चश्मा है जिसे कभी-कभी जेडी पहन लेता था. अक्सर मजाक मजाक में मिश्रा उसे डांटते कि ऑफिसर की चीजों को हाथ न लगाया करे. आज मिश्रा ने वो चश्मा अपने हाथ में पकड़ रखा है और अपने दोस्त को याद कर रहे हैं. उस दोस्त को जिसकी नृशंस हत्या कर दी गई. जिसे समय से पहले मौत के घाट उतार दिया गया. एसएसपी ने दावा किया कि कैसे जेडी ने कभी भी किसी ऑफिसर के साथ होने का फायदा नहीं उठाया और अपनी पोजिशन को अपने व्यक्तिगत फायदे के लिए इस्तेमाल नहीं किया. उसने हमेशा अपने कर्तव्यों का पालन पूरी दृढ़ता से किया. "उसके पास छोड़कर जाने का रास्ता हमेशा खुला था, लेकिन वो यहीं रहा. मेरे साथ."

Shopian, Javed Darक्रिकेट फैन होने के बाद भी उसके लिए अपने ऑफिसर की सुरक्षा जरुरी थी

पीएसओ की ईमानदारी को याद करते हुए, एसएसपी एक क्रिकेट मैच के समय हुई एक घटना को याद करते हैं. मिश्रा ने बल्लेबाजी करने का फैसला लिया और जेडी को उसमें भाग लेने के लिए बुलाया. लेकिन क्रिकेट का जबरदस्त फैन होने के बावजूद, डार ने मना कर दिया. मिश्रा अपने पीएसओ के बयान को याद करते हुए कहते हैं, "हम दोनों में से कोई एक ही खेल सकता है. जबतक आप खेलेंगे मैं आपकी सुरक्षा का ध्यान रखूंगा."

एक बार मिश्रा ने शाम को डल झील के किनारे सैर पर जाने का फैसला किया. मिश्रा बेपरवाह होकर घूम रहे थे. कभी फोन पर बात करते तो कभी कहीं रुक जाते. लेकिन डार ने गति बनाए रखी. वो मिश्रा के 100 मीटर पीछे चल रहा था और चारों ओर नजर बनाए हए था. साथ ही उसने सुरक्षा के लिए एक हथियार भी छुपा रखा था. मिश्रा ने इस बात की सराहना की कि कैसे पीएसओ ने ये सुनिश्चित किया कि उन्होंने किसी का भी ध्यान आकर्षित नहीं किया जिसके कारण उनकी सुरक्षा को खतरा हो सकता था.

डार अब इस दुनिया में नहीं है और मिश्रा ने अपने एक बहुत ही करीबी सहयोगी को खो दिया है. वो शोपियां में जेडी के घर गए और वहां लोगों के बीच फैली निराशा देखी. जेडी के पिता के चेहरे पर गंभीरता थी. वो शोक में थे. लेकिन उन्हें अपने शहीद पुत्र पर गर्व महसूस हो रहा था. मिश्रा ने जेडी के पिता के साहस का भी उल्लेख किया, जिसने अपने बेटे की छाती में मारी गई चार गोलियों से छलनी शरीर की पहचान की.

मिश्रा जब जेडी के अंतिम संस्कार के बाद वापस आए तो उन्हें एक फोन आया. दूसरी तरफ एक युवा लड़की की आवाज थी. मिश्रा ने कहा, "मैंने उससे वादा किया था कि मैं जेडी को अपहरणकर्ताओं के चंगुल से जिंदा छुड़ाकर लाऊंगा. मुझे नहीं पता कि अब मैं उसे क्या जवाब दूं. मैं बस अब इसी बात की आशा कर सकता हूं कि वो इस दुख को सहन कर पाए और अपनी जिंदगी में आगे बढ़ जाए."

Shopian, Javed Darडार की ये चीरती आंखें हमेशा अपने एसएसपी की सुरक्षा में चौकस रहती थीं

जेडी की हत्या की पुष्टि के कुछ घंटे बाद ही मैंने देखा कि मिश्रा ने व्हाट्सएप पर अपनी प्रोफाइल फोटो बदल दी. इसमें वह बेफिक्र होकर फोन पर किसी से बात कर रहे हैं. जबकि उनके ठीक पीछे जेडी अपनी चौकस निगाहें लगाए उनकी सुरक्षा में खड़ा है. जेडी को भेदती, चीरती हुई आंखें अपने अंतिम समय तक अपना काम कर रही थीं. अपने ऑफिसर की सुरक्षा की ड्यूटी. अपने भाई की रक्षा की ड्यूटी. और अपने देश की रक्षा की ड्यूटी.

(DailyO से साभार)

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पूजा शाली पूजा शाली @pooja.shali

लेखक इंडिया टुडे टीवी में विशेष संवाददाता हैं

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