मां की लाश मोटरसाइकिल पर बांध कर ले जाने की मजबूरी चुनावी मुद्दा क्यों न बने?
मध्य प्रदेश से आया एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. लेकिन क्या ये सिर्फ सोशल मीडिया की चर्चाओं के लिए ही है या फिर इस पर सरकार को भी संज्ञान लेना चाहिए. उस सरकार को चार महीने में विधानसभा चुनाव में अपनी तकदीर आजमाने जा रही है.
-
Total Shares
मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ का एक ऐसा वीडियो वायरल हो रहा है, जो पूरी इंसानियत को शर्मसार करने के लिए काफी है. वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि एक व्यक्ति अपनी मां का शव मोटरसाइकिल पर बंध कर पोस्टमार्टम कराने पहुंचा, क्योंकि उसे शव वाहन नहीं दिया गया. ये कोई पहला मामला नहीं है, जिसमें किसी के मरने के बाद शव को ले जाने के लिए गाड़ी नहीं दी गई. इस तरह के मामलों को लेकर हर कोई सरकार की निंदा करता है, लेकिन बावजूद इसके ऐसे मामलों का बार-बार सामने आना ये दिखाता है कि इंसानियत को शर्मसार कर देने वाले लोगों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं हो रही है. अगर ऐसा होता तो ये दर्दनाक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल नहीं हो रहा होता.
#WATCH Tikamgarh: Man brought dead body of mother on a motorcycle for post mortem after being allegedly denied hearse van by district hospital in Mohangarh. Upper Collector has ordered an inquiry. (7.7.18) #MadhyaPradesh pic.twitter.com/zyrjasFTVe
— ANI (@ANI) July 11, 2018
इस महिला की मौत सांप काटने की वजह से हुई. इसके बाद पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराने के लिए कहा. यहां आप पुलिस की लापरवाही भी देख सकते हैं कि कैसे वह अपनी बात कह कर वहां से निकल गई. महिला के बेटे ने सरकारी अस्पताल में फोन करके शव वाहन देने का अनुरोध किया, लेकिन वहां से भी निराशा हाथ लगी. आखिरकार उसने मोटरसाइकिल से ही अपनी मां का शव पोस्टमार्टम के लिए ले जाने का फैसला किया. अभी इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है और एक बार फिर से सरकार की आलोचना शुरू हो गई है. यूं तो इस घटना की जानकारी मिलते ही अपर कलेक्टर ने इसकी जांच के आदेश दे दिए हैं, लेकिन सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा ये वीडियो चिकित्सा सेवाओं की पोल खोल रहा है.
पहले भी हो चुके हैं ऐसे वीडियो, इसलिए ये सामान्य तो नहीं हो गया ?
1- ये तस्वीर उत्तर प्रदेश के झांसी की है. एक एक्सिडेंट के बाद इस शख्स का पैर काटना पड़ा. लेकिन हद तो तब हो गई, जब पैर के कटे हुए हिस्से को ही मरीज का तकिया बना दिया गया. झांसी मेडिकल कॉलेज की ये तस्वीर साफ दिखाती है कि अस्पताल और भगवान का दर्जा दिए जाने वाले डॉक्टर कितने असंवेदनशील हो गए हैं.
2- ऐसा नहीं है कि पहली बार अस्पताल की असंवेदनशीलता की कोई तस्वीर सामने आई है. इससे पहले अगस्त 2016 में ओडिशा के बालासोर में एंबुलेंस न मिलने की वजह से अस्पताल कर्मचारियों द्वारा एक महिला की लाश को बांस पर लटकाकर ले जाने का मामला सामने आया था. ये सुनकर आपकी रूह कांप जाएगी कि कर्मचारियों ने पहले महिला के शव को कमर से तोड़ा और फिर बांस पर लटकाकर पोस्टमार्टम के लिए ले गए.
3- अगस्त 2016 में ही ओडिशा के कालाहांडी से एक और घटना सामने आई थी, जिसमें व्यक्ति को कंधे पर अपनी पत्नी का शव रखकर करीब 10 किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ा था. यहां भी मामला था एंबुलेंस नहीं मिलने का. कलेजा कंपा देने वाली बात ये भी थी कि साथ में 12 साल की उनकी बेटी भी थी, जो पूरे रास्ते रोती-बिलखती चलती रही.
4- झारखंड के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल राजेंद्र इंस्टीटयूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में सितंबर 2016 में तो महिला मरीज के साथ जो किया गया, उसके लिए जितनी भी सजा मिले शायद वो कम ही होगी. महिला को खाना परोसने के लिए बर्तन नहीं थे तो उसे फर्श पर ही खाना परोस दिया.
5- दिल्ली के शालीबाग में स्थित मैक्स अस्पताल तो आपको याद ही होगा. जी हां, वही अस्पताल जिसने जिंदा बच्चे को ही मरा बताया. घटना 30 नवंबर 2017 की है. जब परिजन प्लास्टिक में पैक बच्चे के शव को लेकर जा रहे थे तभी उन्हें उसमें हलचल महसूस हुई, जिसके बाद पता चला कि बच्चा जिंदा है और उसे दूसरे अस्पताल में भर्ती कराया गया. घटना पर सख्त कार्रवाई करते हुए दिल्ली सरकार ने मैक्स हॉस्टिपल का लाइसेंस भी रद्द कर दिया था.
6- नवंबर 2017 में उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में जिला अस्पताल से भी एक रूह कंपा देने वाली खबर सामने आई थी. यहां से एक बच्ची के शव को कुत्ता उठा ले गया और किसी को भनक तक नहीं लगी. जब पता चला कि शव गायब है तो अफरा-तफरी मची. अस्पताल ने पल्ला झाड़ते हुए कह दिया कि हमने तो शव परिजनों के सुपुर्द कर दिया था, अब हर मरीज के बच्चे पर गार्ड और चौकीदार नहीं लगा सकते.
7- फरवरी 2017 में छत्तीसगढ़ के कांकेर से एक ऐसी तस्वीर सामने आई, जिसने सबको झकझोर दिया. खस्ता हाल स्वास्थ्य सेवाओं के चलते अमल मंडल नाम के एक शख्स को पोस्टमार्टम के लिए करीब 22 किलोमीटर तक अपने पिता का शव बाइक पर बांधकर ले जाना पड़ा. न तो अस्पताल प्रशासन ने कोई मदद की ना ही पुलिस ने मदद का हाथ बढ़ाया.
8- एक ऐसा ही मामला मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले से भी सामने आया था, जहां स्कूल में खेलने के दौरान एक बच्चे की मौत हो गई थी. अमानवीयता की हदें तो तब पार हो गईं जब पिता को अपने बेटे के लिए कोई एंबुलेंस या गाड़ी नहीं मिली. आखिरकार, मजबूर पिता ने बेटे को शव को बाइक पर बांधा और पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल ले गया.
9- अस्पताल के डॉक्टरों और कर्मचारियों की संवेदना मर चुकी है, जिसका उदाहरण छत्तसीगढ़ के बस्तर की ये घटना है. रमेश नाम के शख्स की पत्नी ने मृत बच्चे को जन्म दिया, जिसके बाद उसे अस्पताल प्रशासन ने बेड खाली करने के लिए कहा. मजबूरी में रमेश ने अपने बच्चे का शव एक झोले में रखकर अस्पताल में भटकता रहा. जब किसी पर पहले ही कोई मुसीबत आई हो तो उसे सहारा देने के बजाय अस्पताल उस पर मुसीबतों का पहाड़ क्यों गिरा देते हैं?
10- बिहार के मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक महिला का शव कचरा ट्रॉली से लाया गया था. मामला जून 2017 का है, जब महिला ने अस्पताल के अंदर एक पार्क के नजदीक दम तोड़ दिया था. यहां से पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल ले जाने के लिए महिला को स्ट्रेचर तक की सुविधा नहीं दी गई, उसे बुरी तरह से कचरे की ट्रॉली में उठाकर ले जाया गया.
आज के समय में अस्पताल शब्द सबसे असंवेदनशील शब्द बन चुका है. जिंदगी बचाने के नाम पर मानो जिंदगी से खिलवाड़ होने लगा है. जिंदा तो जिंदा, मृत शरीर को भी नहीं बख्शा जा रहा है. भले ही शव में जान नहीं होती, लेकिन हड्डियां तोड़कर उसकी पोटली बना देना किसी घिनौने काम से कम नहीं है. सवाल उठता है कि आखिर ऐसी असंवेदनशील घटनाओं पर रोक क्यों नहीं लग रही? जवाब है कि ऐसा करने वालों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई ही नहीं होती है. जब मामला मीडिया में आता है तो थोड़े बहुत सख्त एक्शन ले लिए जाते हैं, लेकिन बाद में उस मामले में क्या हुआ, ये किसी को पता नहीं चलता. तभी अचानक कोई दूसरी घटना हो जाती है और फिर पुरानी घटना को मीडिया भी भूल जाता है और लोग भी.
ये भी पढ़ें-
Burari case postmortem report : राज खुलेगा या रहस्य और गहराएगा ?
Shared psychotic disorder : जिसकी एडवांस स्टेज बुराड़ी कांड को जन्म देती है
आत्महत्या करने वाला भाटिया परिवार अब पड़ोसियों को डरा रहा है!
आपकी राय