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 |  एक अलग नज़रिया बड़ा आर्टिकल  |  
Updated: 26 जुलाई, 2021 09:57 PM
ज्योति गुप्ता
ज्योति गुप्ता
  @jyoti.gupta.01
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सुनो खूबसूरत लड़कियों,

हां तुम जैसी भी हो खूबसूरत हो, शीशे में अपने सांवले रंग और जूड़़ा बनाए हुए बालों को निहारते हुए कहो कि तुम सुंदर हो. तुम अपने मन की खूबसूरती देख सकती हो. बाकी जो बाहरी सुंदरता है उसे थोड़ा संवारने के लिए मेकअप कर सकती हो. अब मेकअप का नाम सुनते ही तुम किसी और का ख्याल अपने मन में ला ही चुकी हो तो बताओ अपने लिए तुम कब सजी थी…सजने से यह मतलब बिल्कुल नहीं है कि तुम बिना मेकअक के आकर्षक नहीं लगती.

तुम्हें याद है, तुम बचपन में घंटों बैठकर खुद को शीशे में देखती रहती थी. अब क्या हुआ… वो लड़की अब 5 मिनट में तैयार होने लगी है…लाल रंग की सुर्ख लाल लिपिस्टिक और काला काजल लगाना तुम्हें कितना पसंद था, अब बताओ आखिरी बार कब लगाया था, बर्थ डे पर या शादी की सालगिरह पर...प्लीज यार, अब ये मत कहना कि मेकअप करना बुरी बात है...क्योंकि तुम ऐसी हो नहीं!

तुम्हें तो पढ़ने का शौक था लेकिन अब वो किताबों की दुनियां तुम्हारे ख्वाबों में तो है लेकिन जिंदगी में नहीं. अच्छा तो तुम किसी के प्यार में हो, क्या उसे पता है कि तुम्हें पढ़ने का कितना शौक है लेकिन दूसरों से थोड़ा अलग. 

कॉलेज के दिनों में तुमने तमाम रातें उसके नाम की डायरी लिखने में गुजार दिए थे. लिखती थी उसके लिए और तारीफ लोग किया करते थे. क्या हुआ अब तुम लिखना भूल गई…अच्छा तुम कभी-कभी अब भी लिखती हो लेकिन अपने ख्यालों में हकीकत में नहीं. तुम्हें तो गाने का शौक था वो अब गुनगुनाना भी भूल गई है, तुम्हें तो कभी खुलकर नाचना था अब तो तुम्हारे पैर थिरकते भी नहीं.

कॉलेज में तो तुम्हारे टिप-टॉप और करीने से सजे बालों के चर्चे थे. तुम्हें सजने सवरने का इतना शौक था कि शायद ही कोई फैशन तुसमे छूटा हो. लेकिन अब तुम पार्लर भी तभी जाती है जब घर में किसी की शादी हो. वो जो आलमारी में कपड़े पड़े-पड़े सड़ रहे हैं उन्हें पहनने का मुहूर्त इस साल भी निकालोगी या नहीं...अच्छा उनके साथ जाओगी तब पहनोगी...लेकिन कब?

Open letter, girls, relationship, life, fall in love तुम तो प्यार में हो फिर इतनी उदासीन कैसे

तुम तो प्यार में हो फिर इतनी उदासीन कैसे...अच्छा तो सारा ध्यान पार्टनर पर है. वह तो तुम्हें बहुत चाहता है. क्या वो चाहत एहसास से जाकर शब्दों तक सीमित हो गई है. क्या वह व्यस्त रहता है या तुम उसके सभी महत्वपूर्ण कामों के बाद आती हो. अच्छा तो वह अपनी जिंदगी जी रहा है. उसका परिवार है, नौकरी है, जिम्मेदारियां हैं फिर तुम इतनी फ्री कैसे रहती हो...

ओह, तो तुम्हें उसकी चिंता है. वह ऑफिस पहुंचा कि नहीं, लंच किया कि नहीं, ऑफिस ने निकला की नहीं...रूको, संभल जाओ तुम तो पत्नी बनने से पहले ही उसकी मां की जगह ले रही हो. ख्याल रखने में और दिनभर उसका नाम जपने में अंतर है. तुम, तुम्हारी जिंदगी, तुम्हारे काम, तुम्हारा परिवार, तुम्हारे दोस्त सब कहां गए…तुम तो हमेशा बिंदास खुश रहती थी तो अब दूसरे कपल की तस्वीरों में खुद को और अपने साथी को क्यों खोजती रहती हो...

तुम उसका समय चाहती हो, उसका अटेंशन चाहती हो तो खुद को उसके लिए 24 घंटे उपलब्ध क्यों महसूस करवाती हो. प्यारी लड़की, असल में तुम उसे प्यार करते-करते खुद से प्यार करना भूल गई हो. जो इंसान खुद को प्यार ना करे उसे कोई और कैसे प्यार कर सकता है...तुम याद करती हो उसके साथ बीताए गए समय को, जब उसने अपने प्यार का इजहार किया था कैसे बिना सोचे ही तुमने उसे मना कर दिया था. बड़ी मुश्किल से मानी थी तुम, तुम्हें अच्छा लगता था उसकी आंखों में तुम्हारे लिए पागलपन वाला प्यार देखना...वह जूनून जो हर लड़की देखना चाहती है.

अब तुम्हें लगता है कि वह तुम्हें महत्व नहीं देता. तुम्हारा फोन पहले की तरह एक बार में नहीं उठाता, कॉलबैक नहीं करता, मैसेज का रिप्लाई तुरंत नहीं करता...मैसेज फ्लैश होते ही तुम्हें लगता है कि कहीं उसका कोई संदेश तो नहीं...कभी-कभी तुम्हें लगता है कि उसे कोई और तो पसंद नहीं आ गई...तुम यह सोचकर ही घबरा जाती हो, क्योंकि वह तुम्हारी दुनियां है. तुम्हारा सबकुछ उसके उपर आकर रूक सा गया है. ना पहले की तरह मुलाकातें होती हैं और ना ही रोमैंटिक डेट...कुल मिलाकर तुम्हें लगता है वह बदल गया है...रूको अब तुम यह बताओ तुम पहले से कितनी बदल गई हो...सोचो, सोचो, हां तुम और तुम भी…

सुबह उठते ही तुम्हें याद आती है बच्चे की स्कूल बस, पति का लंच बॉक्स और ऐसे उन सभी 10 कामों की जिनमें तुम्हारे नाम की लिस्ट एक भी नहीं. हो सकता है कि तुम अपने पार्टनर से इतना डूबकर प्यार करती हो कि हर उसका ही नाम तुम्हारे सीने में धड़कता हो. तुम्हें पता भी नहीं चला और तुम्हारी हर छोटी-बड़ी खुशी उस पर ही निर्भर हो गईं.

यह भी हो सकता है कि जिसके प्यार में तुम गुम रहती हो उसे तुम्हारी परवाह ही ना हो. या परवाह हो लेकिन वह जता नहीं पाता हो. हो सकता है कि वह वैसा नहीं सोचता जैसा तुम सोचती हो, हो सकता है तुम फिल्मी हो और वो साधारण सा जिंदगी जीने वाला, हो सकता है कि जिस पति के लिए तुम हर व्रत करती हो उसे तुम्हारे जीने-मरने से फर्क भी न पड़ता हो. हो सकता है कि यह सब सच हो लेकिन तुम फिर भी तुम उसे प्यार करती हो और सोचती हो कि एक दिन सब ठीक हो जाएगा.

वह तुम्हें डांटता है, तुम्हारे ऊपर चिल्लाता है और इसके पीछे की वजह वह तुम्हें ही बताता है. वह बोलता है कि गलती तुम्हारी है. तुमने ऐसा कहा कि मुझे गुस्सा आ गया. तुम्हें सब पता है कि सच क्या है लेकिन तुम अपना रिश्ता बचाना चाहती हो, क्योंकि तुम्हें उसकी आदत है. वह झगड़े में तुम्हें रोता हुआ छोड़कर फोन काट देता है, तुम फिर कॉल लगाती हो और उसके सामने रोते हुए बड़बड़ाती हो...

तुम उसे यह कहते हुए माफ कर देती हो कि अगली बार ऐसा मत करना...जबकि तुम्हें यह पता होता है कि वह ऐसा कर सकता है...उसके एक प्यार से सॉरी से तुम खिल उठती हो, ऐसी चहकती कि जैासी गलती सारी तुम्हारी थी...तुम उससे प्यार करती हो और तुम्हें लगता है कि प्यार में तो यह सब चलता ही रहता है.

सुनो, प्यार में छोटी-मोटी नोक-झोंक और नीरसता में अंतर होता है. वह तुम्हें फोन नहीं करता फिर भी तुम दिन में उसे 10 बार फोन मिलाती हो. वह झल्लाकर जवाब देता है, बिजी हूं यार, बस आ रहा हूं, मना किया है ना बार-बार फोन मत किया करो. तुम्हें कई बार गुस्सा भी आता है लेकिन तुम हर तरफ से बंधा हुआ महसूस करती हो कि क्योंकि तुम्हारी दुनिया उसी से शुरू होकर उसी पर खत्म हो जाती है.

तुम उसी पर जीती हो और उसी पर मरती हो, भले वह तुम्हें इग्नोर करता है लेकिन वह तुम्हारी पहली प्रायोरिटी है. तुम गूगल पर रिश्ते में मिठास भरने और दूरी खत्म करने के टिप्स पढ़ती हो, उसके घरावावों का ख्याल रखती हो लेकिन खुद का ख्याल रखना कबका छोड़ चुकी हो. अब तो तुम उसकी पसंद का खाना बनाना भी सीख चुकी हो और खुद जो पसंद था उसका क्या...

शादी होते ही जैसे तुम्हारी दुनिया बदल सी गई है. ऐसा भी नहीं है कि तुम्हें किसी बात की कमी है लेकिन तुम अब उसे भूल सी गई हो जो कभी हुआ करती थी. तो अब लड़कियों, हां तुम सबसे पहले एक लड़की हो शादी हुई हो या नहीं. ये दुनियां तुम्हारी है और तुम वो सब कर सकती हो जो करना चाहती हो. कुछ भी अगले जन्म को लिए बचा कर मत रखो या फिर अपने सपने को अपनी बेटी पर थोपने की मत सोचो...तुम थी, तुम हो और तुम रहोगी.

तुमसे ही यह दुनिया है. तुम्हारी हंसी से सूरज की चमक बढ़ती है. तुम बारिश की बूंद भी हो और समुंदर भी. ख्याली पुलाव बहुत बना लिया अब सच में उसे चखो, देखना स्वाद लाजवाब ही होगा...तुम लड़ाकू बने, ज़िद्दी और अड़ियल भी ताकि दुनिया को और उनको तुम्हारे होने का एहसास हो...

उस शख्स के सामने प्यार के लिए गिड़गिड़ाना छोड़ दो, जिसे तुम्हारी वैल्यू नहीं है. तुम उसे तुम्हारे साथ रहने के लिए फोर्स मत करो. वो तुम्हारी रिस्पेक्ट करे, तुम्हें समझे और तुम्हें प्यार करे, अगर इसके लिए तुम्हें उससे लड़ना पड़ता है तो यकीनन तुम गलत रिश्ते में हो. वह फोन नहीं उठाता तो दोबारा फोन मत करो. वह मैसेज का जवाब नहीं देता तो उसे मैसेज करना बंद कर दो.

वह अगर तुम्हें अकेला छोड़ जाता है तो तुम भी उसके पीछे मत भागो... तुम अपना पूरा दिन उसके बारे में सोचते हुए मत बिताओ कि वह कहां होगा, क्या कर रहा होगा. तुम अपना समय अपने साथ बिताओ. तुम अपने लिए जीना शुरू करो, अपनी खुशियों के बारे में सोचो, क्योंकि थोड़ा सेल्फिश होना किसी के लिए रोने से बेहतर है. याद रखो तुम्हारे होने से ही जिंदगी है, रौनके हैं, ये बहार है…

तुम आत्मनिर्भर बनो, शौक पूरे करो, शॉपिंग करो, पार्लर जाओ या फिर सोलो ट्रैवेल. तुम किसी और सी नहीं बल्कि जैसी हो वैसी ही बनो. ये दुनिया तुम्हारी है और ये जिंदगी भी. चलो अब लौट के आ जाओ, क्योंकि इस बार देर रात तक तुम उसका नहीं बल्कि अपना इंतजार कर रही हो...

लड़कियों खुद से प्यार करो, खुद तो तवज्जो दो और हां  जिससे उसने प्यार किया वो बनो...याद रखो अगर वह तुम्हारा है तो कहां जाएगा और जिसे खोने का इतना डर हो उसके साथ रहना ही क्यों…तुम जो वास्तव में हो वही तो उसका प्यार है, शायद उसकी आई लव यू तुम्हारे एहसासों में उतर आए…और हां किसी को इतना मत चाहो कि खुद से प्यार करना ही भूल जाओ...

खुद से उम्मीद करो!!

बहुत सारा प्यार...

लेखक

ज्योति गुप्ता ज्योति गुप्ता @jyoti.gupta.01

लेखक इंडिया टुडे डि़जिटल में पत्रकार हैं. जिन्हें महिला और सामाजिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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