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Updated: 14 अप्रिल, 2018 12:58 PM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
  @parulchandraa
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न्यूयॉर्क में 34 साल के एक व्यक्ति ने मिर्च खाने की प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और कोई ऐसी वैसी मिर्च नहीं, ये दुनिया की सबसे तीखी मिर्च रही है जिसका नाम है 'कैरोलीना रीपर'. जीतने का जुनून इस इंसान पर इस कदर हावी था कि ये इस मिर्ची को जरूरत से ज्यादा ही खा गए, हालांकि इन्होंने केवल एक मिर्च ही खाई लेकिन मिर्च खाते ही ये व्यक्ति हांफने लगा, और अचानक पीठ से दर्द शुरू हुआ जो तेजी से गर्दन और सिर तक जा पहुंचा. ये दर्द इतना भयानक था कि उसे सह पाना इसके लिए मुश्किल हो गया. इस खतरनाक मिर्च का असर इतना भयानक था कि व्यक्ति को तुरंत ही हॉस्पिटल के इमरजेंसी रूम में ले जाना पड़ा.

chilliएक ही मिर्च ने छक्के छुड़ा दिएआपको बता दें कि 'कैरोलीना रीपर' नाम की ये मिर्च 2013 में Scoville scale (मिर्च का तीखापन नापने वाला स्केल) पर 1,569,300 Scoville Heat Units के स्तर पर थी.

chilli'कैरोलीना रीपर' दुनिया की सबसे तीखी मिर्च रही है

देखा जाए तो आजकल ऐसे लोगों की जरा भी कमी नहीं है जो खुद को साहसी दिखाने के लिए कुछ भी कर गुजरते हैं. ये खुद को औरों से बेहतर और साहसी दिखाने की धुन है या खुद को किसी से कमतर न देख पाने की सनक, पर जो भी है इसके चलते लोग साहसिक प्रतियोगिताओं, चैलेंज और एडवेंचर्स में हिस्सा लेते हैं और अपनी जान जोखिम में डालते हैं. उदाहरण के तौर पर आपने डेयरिंग सेल्फीज़ देखी होंगी, चलती ट्रेन में लड़कों को स्टंट्स करते देखा होगा. इनमें से कई तो सफल हो जाते हैं लेकिन कई जान से भी जाते हैं.

दिखिए किस तरह जान जोखिम में डालते हैं लोग

पर सोचने वाली बात है कि जब पहले से ही पता होता है कि खतरा ज्यादा है और बचने के चांस बहुत कम, तो भी लोग जान का रिस्क क्यों उठाता है, शांति से घर पे क्यों नहीं बैठते? आखिर ये सनक क्यों? ये जोखिम उठाने का मनोविज्ञान आखिर है क्या?

सबकी नजर में एडवेंचर के मायने अलग अलग हैं 

कुछ लोगों के लिए एडवेंचर का मतलब होता है यारों-दोस्तों के साथ समय बिताना और मस्ती करना. जैसे एक आम दिनचर्या से बोर होकर जब लोग एक साथ किसी एडवेंचर साइट पर जाने का प्रोग्राम बना लेते हैं और छोटे-छोटे डेयरिंग काम करके खुश हो लेते हैं. अपने सलमान खान को ही लीजिए, उन्होंने भी तो अपने दोस्तों के साथ हिरण का शिकार करने का प्रोग्राम बना डाला था. उनकी नजर में तो वो सिर्फ एक एडवेंचर स्पोर्ट था लेकिन आगे चलकर काफी दुखदायी रहा.

salman khanसलमान खान का एडवेंचर जो उनपर ही भारी पड़ गया

- कुछ लोगों के लिए एडवेंचर का मतलब होता है औरों से ज्यादा प्रयास करना, खुद को औरों से बेहतर दिखाना. कि आप क्या हो और किस तरह दूसरों से बेहतर हो. जब आप अपने बच्चे के साथ सीढ़ियां उतर रहे हों और बच्चा झट से जंप मारकर दो-तीन सीढियां एक बार में उतर जाए तो वो उसके लिए एडवेंचर है, खुद को ब्हतर दिखाने का जज्बा है.

- कुछ लोगों के लिए एडवेंचर का मतलब है पूर्ण प्रतिबद्धता. चुनौतियों को गले लगाकर सफलता अर्जित करना. और पूर्ण प्रतिबद्धता का मतलब यहां अंध विश्वास नहीं बल्कि चुनौतियों का सामना करने के लिए खुद पर विश्वास होना है. जैसे- किसी नए प्रोजेक्ट को पाकर एक व्यक्ति कैसे सफलता पाने के लिए जी-जीन लगा देता है. इसमें वो लोग भी शामिल हैं जो एडवेंचरस स्पोर्ट्स में हिस्सा लेते हैं और नए नए रिकॉर्ड्स बनाते हैं.

- और कुछ लोगों का मानना है कि वो एडवेंचर ही क्या जिसका परिणाम पहले से पता हो. वो तो किसी एम्यूजमेंट राइड पर झूलने जैसा हुआ, कि बस थोड़ा खुश हो लिए और हो गया. इनकी नजरों में एडवेंचर का मतलब होता है रिस्क. वो रिस्क जिसमें आगे का पता ही न हो, कि सफलता मिलेगी या नहीं. और यकीन कीजिए यही वो लोग हैं जो एडवेंचर को एडवेंचर नहीं बल्कि रिस्क की तरह लेते हैं.

कोई छोटे-छोटे रिस्क लेकर सफल हो जाता है तो कोई बड़े-बड़े रिस्क लेकर खुश होता है, या इसे ऐसा भी कह सकते हैं कि बड़े रिस्क लेकर ही लोगों को 'किक' मिलती है. जिन्हें रोजमर्रा की चीजें उबाऊ लगती हैं वो 'किक' के लिए और भी बड़े जोखिम उठाते हैं. यहां सलमान खान की फिल्म 'किक' का उदाहरण देना सही होगा, जिसमें वो एक किक के लिए तरह तरह के काम करते रहते हैं.

और यहीं से शुरुआत होती है साहस को दुस्साहस में बदलने की.

यही वो लोग हैं जिन्हें रिस्क लेते-लेते और बड़े-बड़े रिस्क लेने का नशा चढ़ने लगता है. दो मंजिल इमारत से कूदना साहस हो सकता है, लेकिन जब कोई 14 मंजिला इमारत से कूदने की बात करता है तो इसे दुस्साहस कहते है. साहस दिखाने में सफल या असफल हो सकते हैं लेकिन दुस्साहस दिखाने में जान भी जा सकती है, जिसके चांस काफी ज्यादा होते हैं. 

riskसाहस कब दुस्साहस में बदल जाता है पता ही नहीं चलता

साहस का मनोविज्ञान-

साहस के मनोविज्ञान को समझने के लिए कुछ रहस्यों को समझना होगा. हम सबके अंदर कहीं न कहीं साहस की भावना होती है, किसी न किसी रूप में हर कोई इसका अनुभव करता है. जो बड़े रिस्क लेते हैं अक्सर वही दूसरों की तुलना में ज्यादा साहसी लगते हैं. लेकिन साहस कैसा भी हो कुछ बातें बेहद कॉमन होती हैं. वो हैं- शुरुआती अफलताएं या जख्म, संघर्ष, मौके या परेशानियां, एक गुरु की भूमिका और प्रशिक्षण, चरमोत्कर्ष जिसपर पहुंचने के लिए एक व्यक्ति किसी खास चुनौती के लिए तैयार रहता है और अंततः विजय. इस तरह की प्रक्रियाओं से हमारे व्यवहार और हमारी पसंद का निर्माण होता है. फिल्मों की स्क्रिप्ट भी अक्सर इसी फॉर्मूले पर लिखी जाती हैं.

रिस्क लेने का मनोविज्ञान-

रिस्क लेने के कारण मस्तिष्क में काफी बदलाव होते हैं, जिसके कारण हो सकता है कि जोखिम लेने वाले बहुत जल्द एड्रेनालाईन अडिक्ट बन जाते हैं. रिस्क की वह से एड्रेनालाईन और डोपामाइन नाम का हार्मोन सिक्रीट होते हैं. एड्रेनालाईन की वजह से इंसान जल्दबाजी करता है और डोपामाइन से असीम आनंद की अमुभूति होती है, जिसे 'किक' मिलना भी कह सकते हैं. हालांकि इन रसायनों का असर ज्यादातर उन लोगों में होता है, जो उदासी या अवसाद की भावनाओं से जूझ रहे होते हैं. समय के साथ-साथ, रिस्क लेना ड्रग्स की तरह ही काम करता है.

रिस्क को लेकर व्यक्तित्व भी बहुत अहम रोल निभाता है. मनोवैज्ञानिक दृष्टि से, साहस का गहरा संबंध आपकी चुनौतियों, तनाव, संघर्ष, परेशानियों, और डर से है. रिसर्च बताती है कि जिन लोगों में घबराहट, चिंता और उदासीनता होती है, वो लोग ज्यादा बड़े रिस्क लेते हैं.

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लेखक

पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

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