'लव जिहाद' में फंसी लड़कियों के परिवार वालों का ग्रुप कुछ कहता है
केरल में बने इस अनूठे समूह का उद्देश्य राज्य व केंद्र सरकार पर दबाव डालकर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई करवाना है. यह समूह केंद्र और राज्य सरकार के उदासीन व्यहवार से निराश है और अब खुद ही अपनी लड़ाई लड़ने को तैयार नज़र आ रहा है.
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केरल 'लव जिहाद' में फंसी लड़कियों के अभिभावकों ने अपना समूह बनाकर अपनी बेटियों को वापिस लाने का प्रयास आरंभ कर दिया है. इस समूह का उद्देश्य राज्य व केंद्र सरकार पर दबाव डालकर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई करवाना है. यह समूह केंद्र और राज्य सरकार के उदासीन व्यहवार से निराश है और अब खुद ही अपनी लड़ाई लड़ने को तैयार नज़र आ रहा है.
एनआइए ने केंद्र सरकार को सितंबर 2017 में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपी थी, परंतु अभी तक पीएफआई पर कोई प्रतिबंध नहीं लगा है. दूसरी ओर केरल सरकार इस समस्या को गंभीरता से ही नहीं ले रही है. केरल सरकार इसे केवल धर्म के चश्मे से ही देख रही है. धर्मांतरण और आतंकवाद के गठजोड़ को केरल सरकार लगातार नज़रअंदाज़ कर रही है.
यदि यह एक आदि घटना होती तो इसे नज़रअंदाज़ किया जा सकता था, परन्तु केरल में ऐसे कई मामले सामने आए हैं. लड़कियों का धर्मांतरण कर उनसे शादी की जाती है. वह लड़कियां फिर अचानक गायब हो जाती हैं. कुछ समय बाद उन्हें आईएसआईएस की आतंकवादी गतिविधियों में सीरिया व अफ़ग़ानिस्तान में लिप्त पाया जाता है. यह सिर्फ़ संयोग नहीं, अपितु एक साजिश का हिस्सा नज़र आता है. पिछले एक साल में केरल से ऐसी कई ख़बरें सामने आई हैं जो साफ़-साफ़ संकेत दे रही हैं कि राज्य में धर्मांतरण और कई स्थानों में इस्लामीकरण का बोलबाला है.
जब देश की सरकारें आम जन मानस के दुख और परेशानी को महत्व नहीं देती हैं तो जनता खुद को ठगा महसूस करती है. उन लड़कियों के अभिभावक भी अपने आपको इस समय ठगा महसूस कर रहे होंगे. इस परिस्थिति में देश की जनता का दवाब ही उन्हें न्याय दिला सकता है.
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