New

होम -> समाज

 |  4-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 09 मार्च, 2020 10:29 PM
अनु रॉय
अनु रॉय
  @anu.roy.31
  • Total Shares

सोशल मीडिया (Social Media) पर लिख रहीं औरतों के हिस्से में सम्मान सिर्फ़ एक दिन (International Womens Day) के लिए आता है और गालियां (Abuse), फब्तियां ट्रोलिंग (trolling) साल भर मिलते रहते हैं. कभी आप पीएम मोदी (PM Modi) के पक्ष में लिखिए तो विपक्ष आ कर गलियां सुना जाता है. कभी प्रधानमंत्री (Prime Minister) के ख़िलाफ़ लिखिए तो भक्त गालियों से कॉमेंट सेक्शन भर के चले जाते हैं. औरतों के हक़ के बारे में लिखिए तो पुरुष फ़ेक फ़ेमिनिस्ट (feminist) और लोकप्रिय होने का हथकंडा अपनाती औरत का टैग दे जाते हैं. किसी धर्म के किसी रिवाज के ख़िलाफ़ बोलिए तो एक धर्म फ़तवा (Fatwa) जारी करने लगता है तो दूसरे धर्म वाले सीधे बलात्कार की धमकी (Rape Threat) देने लगते हैं.

ये तो हुआ सोशल मीडिया की कहानी जहां लिखने वाली औरतों को हर दिन यही देखना और सुनना पड़ता है. वैसे हक़ीक़त भी कुछ-कुछ सोशल मीडिया जैसी ही है औरतों के लिए. रोज़मर्रा की ज़िंदगी में भी तो हर काम को ढंग से करने के बाद भी ऑफ़िस में प्रमोशन मिले, तो सहकर्मी बॉस से नज़दीकियों का इल्ज़ाम लगा जाते हैं. तो कभी लड़की है इसलिए प्रमोशन मिला कह कर मेहनत पर सवाल खड़ा कर देते हैं. ऑफ़िस से घर आने के बाद बाक़ी के किरदारों को निभाते हुए भी औरतें हर दिन अग्नि-परीक्षा से गुजर रही होतीं हैं. कभी ढंग का खाना नहीं बना उसके ऊपर से ताना तो कभी बच्चे एग्जाम में फेल कर गए तो फ़ेलियर मां का तमगा.

International Womens Day, Social Media, Women, PM Modi  इन दिनों सबसे ज्यादा खतरा उन महिलाओं को है जो सोशल मीडिया पर हैं और हर मुद्दे पर लिख रही हैं

इसके साथ-साथ हर दिन घर से बाहर निकलने पर सही सलामत घर लौट आने का डर. कभी बस में तो कभी मेट्रो तो कभी यूं ही सड़क पर चलते हुए छेड़खानी को झेलना. उसके बाद भी चुप रह जाना क्योंकि बोलने से लोग मर्द पर कम औरत पर ही ज़्यादा इल्ज़ाम रख देते हैं. औरत के कपड़ों और उसके व्यवहार को ज़िम्मेदार ठहरा देते हैं किसी भी अप्रिय घटना के लिए.

ज़रा ठहरिए और सोच कर देखिए एक औरत कितना कुछ झेलती है हर दिन. क्या इतना सब झेलने के बाद उसके हिस्से में सिर्फ़ एक दिन आना चाहिए? क्या वो आपकी गाली, मार, थप्पड़ और दुत्कार डिज़र्व करती है या प्यार और सम्मान हर दिन.

International Women’s Day बीते कुछ ही घंटे हुए हैं और हम ये भी देख चुके हैं कि कैसे सोशल मीडिया पर एक दिन के लिए औरतों को सम्मानित किया गया. कुछ ने अपनी मां के लिए कविता लिखी तो वहीं ऐसे भी लोग थे जिन्होंने अपनी एंजल प्रिया वाली आईडी का इस्तेमाल करते हुए पिरीयड वाले जोक चिपके. कुछ लोग ऐसे भी मिले जिन्होंने प्रधानमंत्री मोदी वाले #SheInspiresMe के साथ किसी की फ़ोटो पोस्ट की और उसकी तारीफ में ग्रन्थ ही लिख दिया. पूरा दिन इसी में ख़त्म हो गया.

वैसे ये सब करना भी कुछ बुरा नहीं है. लेकिन पता है सबसे ज़रूरी क्या है? इस Women’s Day पर ख़ुद से ये वादा कीजिए कि चाहे कोई भी सूरत हो, किसी लड़की को किसी बात पर कितना भी ग़ुस्सा आया हो आप गलियां नहीं देंगे. ख़ास कर सोशल मीडिया पर. भले ही आपकी फेक आईडी हो आप उसका भी इस्तेमाल किसी को गरियाने के लिए नहीं करेंगे.

आपको किसी बात से ग़ुस्सा आ रहा तो उसे ब्लॉक कर दें या फिर तर्क से हराइए. मगर अश्लील शब्दों का इस्तेमाल नहीं, ये आपको शोभा नहीं देता. साथ ही साथ असल ज़िंदगी में भी अपने आस पास की औरतों को अपने सानिध्य में सुरक्षित और सम्मानित महसूस करवाइए. उन्हें आपके साथ हो कर अच्छा लगे. वो ख़ुद को कम न समझें.

आप से ये करवाना आपकी ज़िम्मेदारी है.आप बेहतर इंसान हैं. आप कल किसी लड़की के पिता बनेंगे सोचिए अगर आप अपनी बेटी की फ्रेंडलिस्ट में हों और उसे कोई यूं ही गाली दे जाए, तो एक पिता के तौर पर आप कैसा महसूस करेंगे? तो अब आप सब से मैं इतनी उम्मीद तो कर ही सकती हूं न. एक ख़ूबसूरत पुरुष बनिए. जो स्त्रियों का सबसे प्यारा मित्र हो. अपनी बेटी के लिए हीरो बनिए. बस इतनी सी इल्तिजा है.

ये भी पढ़ें -

Corona थीम पर Porn से लेकर फर्जी मास्क तक! बीमार तो हम पहले से हैं

गजब की ये महिलाएं और अजीब इनकी दुनिया...

महिला-मत हथियाने के लिए 'जाल' बिछाते सियासी दल

#महिला दिवस, #महिलाएं, #फेसबुक, International Womens Day, Social Media, Woman

लेखक

अनु रॉय अनु रॉय @anu.roy.31

लेखक स्वतंत्र टिप्‍पणीकार हैं, और महिला-बाल अधिकारों के लिए काम करती हैं.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय