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Updated: 09 जनवरी, 2017 04:14 PM
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हाय रे ये प्यार! अगर हो जाए तो भी दिक्कत और अगर ना हो तो भी दिक्कत. चाहें बॉलीवुड हो या असली जिंदगी ये जरूर दिखाया जाता है कि प्यार में सब जायज है. पर असल में ऐसा है नहीं. आखिर कौन ये तय कर सकता है कि प्यार में क्या जायज है और क्या नहीं? सही और गलत का फैसला कौन करेगा?

हाल ही की एक घटना है जिसमें ग्रेटर नोएडा के पास एक गांव में रहने वाले हेमन्त ने अपनी प्रेमिका के मर्डर का एकदम फिल्मी प्लान बनाया. पहले उसकी शादी किसी और से करवाई ताकी अगर प्रेमिका को कुछ भी हो तो उसके पति पर शक जाए, फिर अपनी प्रेमिका के पति के खिलाफ रिपोर्ट करवाई और प्रेमिका को ले भागा. अंत में गला दबाकर प्रेमिका को मार डाला. इस पूरी घटना को अंजाम देने के लिए प्लानिंग 6 महीने पहले से ही शुरू कर दी थी.

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 ये फैसला कौन करेगा कि प्यार किस हद तक सही रहता है

मसला ये है कि आए दिन ऐसी खबरें आती रहती हैं कि किसी प्रेमी ने अपनी प्रेमिका को मार डाला, उसपर एसिड फेंक दिया, उसको अगवा कर लिया या ऐसी ही किसी हरकत को अंजाम दिया हो. क्या इतना आसान है प्यार के नाम पर ये सब करना? आखिर कैसे कोई इंसान पहले तो किसी को प्यार करने का दावा करता है और बाद में उसी के साथ ऐसी विभत्स हरकत करता है.

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प्यार नहीं सनक...

ये प्यार तो यकीनन नहीं हो सकता जिसमें एक आशिक अपनी जान को ही मार दे. हां इसे सनक जरूर कहा जा सकता है. हालांकि, विज्ञान ने भी ऐसी हरकतों को कुछ नाम दिए हैं जैसे इंटरमिटेंट एक्सप्लोसिव डिसऑर्डर (IED) यानी अत्यधिक गुस्से का शिकार हो जाना.

इसके अलावा, सबसे आम बीमारी पेरेनॉया. ये भी एक किस्म का मानसिक रोग है जिसमें जलन, खुद की अहमियत, किसी के प्रति गुस्सा, चिड़चिड़ापन जैसे लक्षण सामने आते हैं, कई बार तो ये रोग इतना खतरनाक हो जाता है कि इंसान असलियत भूल जाए.

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क्या वाकई ये सिर्फ मानसिक रोग की वजह से होता है?

क्या वाकई ये सिर्फ मानसिक रोग की वजह से होता है? वजह है नहीं, जरूरी नहीं की प्यार में जान लेने वाला हर इंसान मानसिक रोगी हो, लेकिन प्यार में जान लेने वाला हर इंसान सनकी जरूर होता है. गुस्सा, ईगो, जलन ये सब एक हद तक तो फिर भी माना जा सकता है, पर किसी की जान लेने या उसपर एसिड फेंकने को प्यार तो बिलकुल नहीं कहा जाएगा.

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कोई इंसान एकदम से ये तय नहीं कर लेता कि ऐसा कोई अपराध करना है. कई बार ऐसी सनक पहले से ही दिखने लगती है. मसलन जल्दी गुस्सा हो जाने की आदत, अत्यधिक जलन या छोटी सी बात पर हाथ उठा देने को भी एक तरह की सनक ही माना जाएगा. कई बार ये हरकतें सिर्फ इसलिए नजरअंदाज कर दी जाती हैं क्योंकि ये छोटी सी बात है, लेकिन ये जब तक छोटी बातों पर आवाज नहीं उठाई जाएगी तब तक बड़ी घटनाएं होती रहेंगी. जरूरी नहीं कि हर छोटी बात पर बवाल ही किया जाए, लेकिन ये भी जरूरी नहीं कि हर छोटी बात नजरअंदाज ही कर दी जाए.

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