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Updated: 25 दिसम्बर, 2017 04:33 PM
सुजीत कुमार झा
सुजीत कुमार झा
  @suj.jha
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आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का यह कथन बिल्कुल सटीक है कि 'धन्य है वो देश जहां गुरु गोबिंद सिंह जी पैदा हुए थे'. सर्वशदानी, संत सिपाही, सफल नेतृत्वकर्ता, महान योद्धा, सामाजिक, आध्यात्मिक, राजनैतिक चिंतक थे. सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज महान शख्सियत थे. इनका जन्म बिहार की धरती पर माता गुजरी जी और पिता श्री गुरु तेग बहादुर जी के यहां पटना में 22 दिसम्बर 1666 को हुआ था. इन्होंने मानवता की भलाई के लिए सर्वअंश अर्पण कर दिया. कौम की रक्षा के लिए प्राण न्योक्षावर करने के साथ-साथ अपना सब कुछ वतन को समर्पित कर दिया. 42 वर्षों की अल्पायु में इतने महान कार्यों को अंजाम देना असाधारण बात है. यह किसी चमत्कार से कम नहीं. इनका संघर्ष दलित, शोषित, मानवता के लिए था. गुरु गोबिंद सिंह जी सिख आदर्शों को जिंदा रखने के लिए किसी भी हद तक गुजरने को तैयार थे.

मुगलों से सिख वर्चस्व की लड़ाई में उन्होंने अपने बेटों तक की कुर्बानी दे दी और स्वयं भी शहीद हो गए. दबे-कुचलों को एकत्र कर वर्ष 1699 में “खालसा पंथ” का सृजन किया और ऐसी अदम्य शक्तिशाली सेना तैयार की, जिसने उस समय की सबसे बड़ी सैन्य शक्ति को हराया था. जनता की सोई हुई शक्ति को जगाया. खालसा पंथ को बहादुरी एवं भाईचारे के रूप में देखा जाता है. गुरु गोबिंद सिंह जी को ज्ञान, सैन्य क्षमता और दूरदृष्टि का सम्मिश्रण माना जाता है. “सवा लाख से एक लड़ाऊं, चिड़ियों से मैं बाज लड़ाऊं, तबे गोबिंद सिंह नाम कहाऊं...” यह पंक्तियां सिख धर्म के दसवें और आखिरी गुरु गोबिंद सिंह जी के जीवन को समझने के लिए पर्याप्त हैं.

बिहारवासियों के लिए यह गर्व का विषय है कि इसी धरती से महान सर्वशदानी गुरु गोबिंद सिंह जी का प्रकाश इसी धरती से हुआ. भारत के इतिहास में बिहार, शक्ति, संस्कृति एवं शिक्षा के प्रतीक के रूप में जाना जाता रहा है. बिहार विभूतियों की भूमि रही है. इसे ज्ञान एवं मोक्ष की भूमि के रूप में इतिहास में एक अलग स्थान प्राप्त है. अपना देश अनेक धर्मों, अनेक मतों को मानने वालों की भूमि है. सनातन धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म, सूफी मत, सबका जुड़ाव बिहार से प्रमुखता से रहा है. यह धरती कई धर्मों के धर्मगुरुओं की कर्मभूमि भी रही है. अभी इसी अवधि में इसी धरती से दो धर्मों का एक साथ आयोजन हुआ. पटना में गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज का 350 वां प्रकाश पर्व मनाने के साथ-साथ दूसरी तरफ बोधगया में 34वीं कालचक्र पूजा का भी आयोजन हुआ. यह बिहार वासियों के लिए गौरव का विषय है. बिहार की इसी धरती से सौ साल पहले महात्मा गांधी ने चंपारण सत्याग्रह की शुरुआत की. जिसने देश की आजादी को एक नई दिशा दी.

शुक्राना, गुरूगोविंद सिंह, पटना, नीतीश कुमार

पटना में इसी वर्ष श्री गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज के 350वें प्रकाशपर्व में शामिल होकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बिहार में प्रकाश पर्व का उत्साह देश के लिए न केवल प्रेरणा है, बल्कि यह उत्सव देश की एकता का प्रतीक भी है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस बात का विशेष प्रयास कर रही है कि न केवल हिंदुस्तान में, बल्कि पूरे विश्व को इस बात का अहसास हो कि गुरु गोबिंद सिंह जी जैसी दिव्य आत्मा का जन्म यहां हुआ.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने प्रकाशोत्सव के सफल आयोजन के लिए बिहार सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि नीतीश कुमार ने काफी मेहनत से इस आयोजन को सफल बनाया है. पटना में प्रकाश पर्व की विशेष अहमियत है. उन्होंने कहा कि प्रकाशोत्सव पर्व हमें सही रास्ते पर चलना सिखाता है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ये भी कहा कि नीतीश कुमार ने जिस प्रकार बिहार में नशामुक्ति का अभियान चलाया है, उसके लिए मैं उनका अभिनंदन करता हूं. उन्हें बधाई देता हूं. मैं बिहार की जनता और सभी राजनीतिक दलों से गुजारिश करता हूं कि यह सिर्फ नीतीश कुमार का नहीं, बल्कि जन-जन का काम है. यदि इसे सफल बनाएंगे तो बिहार मिसाल बनेगा. मुझे विश्वास है कि बिहार देश की अनमोल शक्ति बनेगा. आगे उन्होंने बिहार सरकार द्वारा राज्य में की गई शराबबंदी की तारीफ करते हुए लोगों से इसमें सहयोग करने का आह्वान किया. समाज परिवर्तन का काम बहुत कठिन होता है. उसे हाथ लगाने का काम भी बहुत साहसपूर्ण होता है, लेकिन श्री नीतीश कुमार ने शराबबंदी का जो काम किया है वो सराहनीय है.

गुरुनानक जी, गुरु तेगबहादुर जी, गुरुगोबिंद सिंह जी का संबंध बिहार से रहा है. इन से जुड़ी जगहों जैसे पटना साहिब का तख्त मंदिर साहिब, पटना सिटी का गुरुबाग, पटना का बाललीला साहब, दानापुर का हांडी साही, गायघाट का गुरु तेगबहादुर साहेब गुरुद्वारा, राजगीर का गुरुनानक कुंड, मुंगेर का गुरु पच्चीस संगत के अलावा आरा, कटिहार, नवादा, गया, सासाराम एवं भागलपुर के अन्य गुरुद्वारों एवं धार्मिक स्थलों को एक साथ जोड़कर “गुरु सर्किट” के विकास का निर्णय बिहार सरकार ने लिया है. इसके अलावा गुरु के बाग के समीप बहुद्देशीय प्रकाश केंद्र की स्थापना की जाएगी जो आने वाली पीढ़ी दश्मेश पिता के त्याग एवं बलिदान से सीख लेगी और मत्था टेकेगी.

बिहार सरकार यह प्रयास कर रही है कि देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को इन सारी जगहों को एक साथ भ्रमण करने का मौका मिले. यह महत्वपूर्ण वर्ष है चाहे गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज जी का प्रकाशपर्व हो या बापू का चंपारण सत्याग्रह. इस विशिष्ट अवसर पर पूर्ण शराबबंदी, नशामुक्ति, दहेज-प्रथा एवं बाल विवाह अभियान को सफल बनाकर इन विभूतियों के प्रति सच्ची श्रद्धांजली अर्पित की जा सकती है.

बिहार की राजधानी पटना में इस आयोजन से देश-दुनिया में एकता, प्रेम और सहिष्णुता का संदेश पूरी दुनिया में गया है. बिहारवासियों ने जिस तरह से श्रद्धालुओं का स्वागत एवं सहयोग किया उसकी सुखद यादें बिहार को एक नई पहचान दिलाई है. जिस तरह सेवादारों एवं जत्थादारों ने लंगर में सेवा दिया वह अविस्मरणीय है. हमारे व्यवहार, सेवा भाव से के इस कार्य से जिस तरह बिहारियों का संस्कार देश एवं देश के बाहर निखरा है उसे बरकरार रखना है. इस प्रकाश पर्व के अवसर पर जो प्रकाश निकला है उनके आशीर्वाद से बिहार एक नई ऊंचाई को प्राप्त कर देश में अपना महत्वपूर्ण योगदान देगा.

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लेखक

सुजीत कुमार झा सुजीत कुमार झा @suj.jha

लेखक आजतक में पत्रकार हैं

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