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Updated: 25 अक्टूबर, 2020 03:33 PM
नवेद शिकोह
नवेद शिकोह
  @naved.shikoh
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क्या असत्य के ख़िलाफ सत्य की लड़ाई कमज़ोर पड़ रही है? ये सवाल इसलिए खड़ा हुआ है क्योंकि रावण और यज़ीद जैसे किरदारों के प्रशंसकों की तादाद बढ़ रही है. इसकी एक वजह ये भी है कि जातिवाद और मसलकी अलगाव तेज़ हो रहा है. एक जाति विशेष के लोग रावण की प्रशंसा के कुछ ज्यादा ही गुण इसलिए गा रहे हैं क्योंकि दशानन उनकी जाति का था. इसी तरह मुसलमानों का एक मसलक यजीद के कसीदे पढ़ रहा है. इस मसलक को लगता है कि वो यजीदी कुंबे से है. इस बात के संकेत मिलने लगे हैं कि कलयुग नज़दीक है. पहला मौक़ा है जब यज़ीद और रावण के समर्थक सामने आने लगे हैं. भारत मेंं रावण दहन पर सवाल उठ रहे हैं, पाकिस्तान में यजीद यानी आतंकवाद का समर्थन करने वाले जुलूस निकाले जा रहे हैं. सनातन धर्मावलंबियों के आराध्य भगवान राम का विरोध करके रावण हिन्दुओं के लिए सबसे बड़ा खलनाक साबित हुआ. इसी तरह पैगम्बरे इस्लाम के नाती इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों को शहीद करके यजीद मुसलमानों की नजर में खलनायक समझा जाता है. किंतु अब दोनों ही धर्मों के कुछ लोग इन दोनों किरदारों को खलनायक नहीं मानते. दोनों की खूब खूबियां बयान होने लगी हैं. ये सच है कि दोनों ज्ञानी, महाप्रतापी, महापंडित, महाबलशाली, शक्तिशाली, इबादतगुज़ार-तपस्वी थे.

Ravan, Dussehra, Ram, Sita, Imam Hussain, War, Hindu, Muslimचाहे यजीद हो या फिर रावण आज दोनों के समर्थन में एक बड़ा वर्ग आ गया है

रावण और यज़ीद की ख़ूबियां बयान करने वालों को शायद ये नही पता कि सही मायने मे ये ख़ूबियां इन दोनों किरदारों को खलनायक से महा खलनायक बनाती हैं. धर्म और ज्ञान के नज़दीक होते हुए रावण और यज़ीद दोनों सत्य को अपनाने के बजाय असत्य के पैरोकार बने रहे. धर्म और ज्ञान की रौशनी से वाकिफ होते तो अधर्म के रास्ते पर क्यों चलते त्रेता युग में लंका नरेश लंकेश और चौदह सौ साल पहले अरब के अधिकांश भू-भाग के बादशाह यजीद की होती प्रशंसा और इसपर एतराज़ ने एक नई बहस छेड़ दी है.

क्या धर्म और ज्ञान की रौशनी अहंकार से छुटकारा नहीं दिला सकती?

यज़ीद का किस काम का नमाज़ रोज़ा और इबादतें, जब उसके इशारों पर इमाम हुसैन के 6 महीने के बच्चे का गला छेद दिया गया हो? किस काम की शिव आराधना और तपस्या जिससे भगवान राम को समझने की भी शक्ति नहीं मिली हो? किस काम का ऐसा महाशक्तिशाली होना कि रावण के दरबार के तमाम बलवान योद्धा तब पसीने-पसीने गये जब श्री राम के दूत बनकर अंगद दशानन के दरबार मे आये. दशानन का कोई एक भी बलशाही योद्धा अंगद का पैर तक नहीं हिला पाया.

जिसने सीता मइया का हरण किया हो, श्री राम के विरुद्ध युद्ध किया हो, हमारे मुख से उसकी कैसे प्रशंसा निकल सकती है? जिसने इंसानियत के धर्म इस्लाम को आतंकी धर्म बनाने के असफल प्रयास किये. जिसने मुसलमानों के पैग़म्बर हजरत इमाम हुसैन और उनके पूरे परिवार के साथ ज़ुल्म करके उनका क़त्ल कर दिया, उस यज़ीद की तारीफ किसी मुसलमान के मुंह से कैसे निकल सकती है? 

इन खलनायकों की खूबियां बयान करने वाले ये भूल रहे हैं कि इनकी खूबियों का बखान तो इन किरदारों को और भी कलंकित करेगा. कहा जायेगा कि इन लोगों ने धर्म और ज्ञान की रौशनी में भी अंधेरे क़ायम किये थे. सनातन और इस्लाम धर्म के ये दोनों चरित्र अहंकरी क्रूर, तानाशाह और अधर्मी थे, इसमें भी दो राय नही होना चाहिए है. रावण गलत नहीं होता तो श्री राम रावण के विरुद्ध हथियार क्यों उठाते?

यजीद अधर्मी और तमाम बुराइयों में लिप्त नहीं होता तो इमाम हुसैन उसके खिलाफ मैदान-ए-जंग में क्यों आते? इत्तेफाक कि आज रविवार रावण दहन है और अगले मंगलवार यजीद को जलाने का दिन (नवी) है. इन तीन दिनों के दौरान हिंदू-मुसलमान दोनों ही असत्य के खिलाफ सत्य की जीत का जश्न मनायेंगे.

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लेखक

नवेद शिकोह नवेद शिकोह @naved.shikoh

लेखक पत्रकार हैं

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