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Updated: 09 अप्रिल, 2018 02:34 PM
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भगवान कृष्‍ण बांसुरी बजाते थे तो गोपियां ही नहीं, गायें भी आसपास मंडराने लगती थीं. तो क्‍या गाय को गीत संगीत समझ में आता है? या कहें कि वो इससे कोई सुकून महसूस करती है ? खैर, दुनिया में अलग-अलग जगह पर गायों को लेकर विचित्र प्रयोग देखने को मिलते हैं. उद्देश्‍य अलग-अलग हो सकते हैं.

सभ्‍यताओं के विकास के साथ मनुष्‍य ने जानवरों में सबसे ज्‍यादा उपयोग गो-धन का ही किया है. गाय ही एक ऐसा पशु है जिसे लेकर पूरी दुनिया में अलग कायदे, अलग कानून, रिवाज और अलग तरह के उपयोग हैं. जहां भारत में वो मां है वहीं, विदेशों में वो खाना. हर देश में गाय के लिए एक अलग ट्रीटमेंट की व्यवस्था है.

मलेशिया में अच्‍छे बीफ के लिए कुरान सुनाने की सलाह !

न्‍यूज एजेंसी AFP की खबर के मुताबिक मलेशिया के केलानतन स्टेट में गायों को कुरान सुनाने की सलाह दी गई है ताकि उनसे अच्‍छा मांस हासिल हो सके. पैन-मलेशियन इस्‍लामिक पार्टी (जिसे PAS के नाम से भी जाना जाता है) ने उत्‍तरी मलेशिया में गायों को कुरान की आयतें सुनाने की सलाह दी है. इस पार्टी की कार्यकारी समिति के सदस्य ची अब्दुल्लाह मत नवी का कहना है कि इस तरह से गाय रिलैक्स रहेगी और उससे अच्छा बीफ मिलेगा. उनका मानना है कि कुरान के पाठ से जब इंसानों को चैन मिलता है तो फिर जानवरों को भी मिलता होगा. चूंकि इस इलाके में इस पार्टी का प्रभाव है, इसलिए माना जा रहा है कि इस प्रस्‍ताव पर जल्‍द ही अमल शुरू हो जाएगा.

भारत में दूध के लिए भजन सुन रही है गाय..

मलेशिया में जहां गायों को कुरान सुनाकर मांस प्राप्‍त करने की बात कही जा रही है, तो वहीं भारत में कहीं संगीत सुनाकर अच्‍छा दूध लेने का काम जारी है. भारत के प्रीमियम दूध निर्माता Pride of Cows का पुणे स्थित प्‍लांट अपने प्रयोगों और खास क्‍वालिटी के दूध के लिए जाना जाता है. इनके ग्राहक सचिन तेंदुलकर और मुकेश अंबानी जैसे लोग हैं. 2011 में शुरू हुए इस प्‍लांट में गायों के लिए संगीत की खास व्‍यवस्‍था है.

पराग मिल्क फूड्स के चेयरमैन देवेंद्र शाह का कहना है कि खुश गाय ज्यादा बेहतर दूध देती है. फार्म की 3500 गाय रोज बढ़िया गाना सुनती हैं, उन्हें नहलाया जाता है. अच्‍छे दूध के लिए अच्‍छे न्यूट्रीशन का अपना रोल है, लेकिन गायों को म्‍यूजिक वाला माहौल भी पसंद आता है. यहां छतों पर बड़े-बड़े स्‍पीकर लगे हैं. पूरे दिन का समय तय है, कब कैसा संगीत बजेगा. सुबह होती है भजन और भक्ति संगीत के साथ. फिर बाकी दिन में बॉलीवुड, पॉप और रॉक म्‍यूजिक भी गायों को सुनाया जाता है. इस म्‍यूजिक से वाकई गायों पर असर होता है, इसका कोई वैज्ञानिक कारण तो नहीं पता है लेकिन Pride of Cows का दूध 75 से 100 रुपए प्रति लीटर तक बिकता है. और यह दुकानों में नहीं मिलता. खास डब्बों में पैक होकर सीधे खास ग्राहकों तक पहुंचाया जाता है.

सबसे ज्यादा लाड़ वाली गाय का बीफ...

जापानी बीफ ब्रीड वाली गायों को वाग्यू (Wagyu) कहा जाता है. माना जाता है कि इनका बीफ सबसे अच्छी क्वालिटी का होता है और सबसे महंगा भी. इस गाय में असंतृप्त वसा (अनसैचुरेटेड फैट) होता है जिसे न्‍यूट्रिशन के लिहाज से सबसे अच्‍छा माना जाता है. इस गाय के बीफ को उस इलाके के नाम से बेचा जाता है, जहां वह गाय पली है. जैसे Matsusaka beef, Kobe beef, Yonezawa beef, Mishima beef. कई फार्मों में गाय को गाने सुनाए जाते हैं, उनके खान-पान का ध्यान बहुत ज्यादा रखा जाता है ताकि गाय से अच्छा बीफ मिल सके. चीनी मान्यताओं में भी माना जाता है कि संगीत सुनाने से गाय का बेहतर दूध देती है. 

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...गायों को लेकर कुछ विचित्र मान्‍यताएं, परंपराएं और रिवाज :

Kenya की मसाई जाति : मसाई जाति कीनिया और तंजानिया में पाई जाती है. इस जाति के युवाओं को कुछ समय गाय के साथ गुजारना होता है, जिसमें वे गाय का दूध और खून मिलाकर पीते हैं. माना जाता है कि ये मिश्रण उन्‍हें मजबूत बनाता है. गाय का खून निकालने के लिए ये बड़ा अजीब तरीका अपनाते हैं. गाय के गले से लटकी खाल पर करीब है उसमें एक छेद कर खून निकाला जाता है और इतना ध्यान रखा जाता है कि गाय मरे नहीं. ये आदिवासी गाय का खून पीते हैं जब भी उनके यहां कोई खुशी की खबर होती है. जैसे बच्चे का जन्‍म या लड़की की शादी. इसे बुजुर्गों को हैंगओवर उतारने के लिए भी दिया जाता है. मसाई जाति की पारंपरिक खुराक गाय से ही आती है. वो बीफ ज्यादा नहीं खाते, लेकिन गाय का दूध और खून उनकी खुराक में रहता है.

अमेरिका गायों के पेट में स्‍थाई सुराख : अमेरिका में गायों के साथ एक अजीब तरह का एक्सपेरिमेंट किया गया. गायों के पेट में एक छेद किया गया है. इस छेद को एक प्लास्टिक के रिंग से बंद कर दिया गया और जरुरत पड़ने पर इसे खोल लिया जाता है. इन गायों को fistulated गाय कहा जाता है.

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जानवरों पर परीक्षण और वेटनरी स्कूलों में गायों के पेट में इस तरह का सुराख करने का चलन यहां बरसों से है. इस सर्जरी को करने वालों का कहना है कि इससे ना तो गाय की उम्र घटती ना ही इन्हें किसी तरह की परेशानी होती है. साथ ही इस सुराख के जरिए गायों ने कितना खाना पचा लिया है इसकी भी जांच की जाती है. लेकिन फिर भी इस सुराख को भरने में एक महीने तक का वक्त लग जाता है. हम अपने शरीर पर सुई की चुभन तक बर्दाश्त नहीं कर पाते और गायों के पेट में सुराख कर देने पर उन्हें दर्द नहीं होता! वाह क्या लॉजिक है. है ना?

और अंत में फिर भारत: ज्यादा दिन नहीं हुए. राजस्थान हाई कोर्ट के एक जज ने रिटायर होने से एक दिन पहले अपने फैसले के साथ एक सलाह भी दी- गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाए. एक केस में आरोपी को सजा सुनाते हुए जज साहब ने ये भी कहा कि "गाय की हत्या करने पर पांच या सात, या कई राज्यों में 14 साल की सजा का प्रावधान है, लेकिन लापरवाही से गाड़ी चलाने या रैश ड्राइविंग के मामले में कानून में महज दो साल की सजा ही निर्धारित की हुई है." अदालत ने फैसले की एक कॉपी प्रधानमंत्री को भेजे जाने को कहा है ताकि IPC की धारा 304 A के तहत लापरवाही से होने वाली मौतों के लिए 'अपर्याप्त सजा' को लेकर उचित कदम उठाया जा सके.

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भारत में गाय इतनी पवित्र है कि उसे काटना दूर अगर उसे ट्रक में चढ़ा दिया तो भी गौरक्षक मार-मारकर हालत खराब कर देंगे.

गुजरात के जागरुक वैज्ञानिकों ने ऐसी तकनीक भी विकसित कर ली है जिसे कार के डैशबोर्ड में लगाया जा सकता है. ये एक तरह का अलर्ट सिस्टम है जिससे ये पता चलता है कि कार के सामने आने वाला ऑब्जेक्ट गाय है या नहीं. और क्या उसके चलने से गाड़ी को कोई रिस्क है? अगर समय पर ये बहुमूल्य जानकारी मिल जाती है तो कई मासूम गायों की जिंदगी बच जाएगी. अभी ये सिर्फ प्रस्ताव दिया गया है, लेकिन जल्द ही इसपर अमल भी हो सकता है.

हरियाणा गौ सेवा आयोग ने हरियाणा सरकार से सिफारिश की है कि हरियाणा में गौ सेवा के लिए फंड इकट्ठा करने के लिये एंटरटेनमेंट टैक्स में 5 प्रतिशत की बढोतरी की जाए ताकि गौ सेवा के लिए आर्थिक तौर पर कमी ना आए.

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