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Updated: 01 अगस्त, 2017 05:48 PM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
  @parulchandraa
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जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आम सभाओं में घूमघूमकर कह रहे हैं कि वे कतार में लगे लोगों का दर्द समझते हैं तो देखिए उनकी पार्टी के दूसरे साथी कतार में लगे उस आदमी को कैसे देखते हैं. दिल्‍ली से ही बीजेपी सांसद मनोज तिवारी, भाजपा प्रवक्‍ता सुधांशु त्रिवेदी और विधायक विजेंद्र गुप्‍ता किसी कार्यक्रम में बैठे हैं. और इस महफिल में मनोज तिवारी ने जो तान छेड़ी है, वह एटीएम की कतार में लगे लोगों को तो कतई रास नहीं आएगी. और संभवत: प्रधानमंत्री भी खफा हो जाएं.

एटीएम और बैंको की लाइनों में खड़े होने का जो सिलसिला 8 नबंबर से शुरू हुआ, वो आज तक खत्म नहीं हो पाया है. अब भले ही भीड़ कम दिखाई दे रही हो लेकिन एक समय वो भी था जब इन्हीं लाइनों में खड़े होकर लोगों ने अपनी आखिरी सांसें ली थीं. कतारों में खड़े लोगों की परेशानी का अंदाजा अगर कोई लगा सकता है तो वो सिर्फ एक आम आदमी ही है. और इसीलिए जब नेताओं ने लोगों की परेशानी को अपनी परेशानी कहा तो वो सिर्फ मजाक लगा. क्योंकि इन कतारों में आज तक न तो कोई बड़ा आदमी नजर आया और न ही कोई नेता. तो जाहिर है कि नेता आम जन की ये परेशानी कभी समझ ही नहीं सकते.

और इस बात का जीता जागता सबूत हैं बीजेपी नेता मनोज तिवारी. उनका एक वीडियो सामने आया है जिसमें वो कतारों में खड़े लगों की स्थिति का मजाक बनाते दिखाई दे रहे हैं.

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कतारों में खड़े लोगों पर मजाक

कह रहे हैं कि- नोटंबदी के बाद वो एक बार अपने संसदीय क्षेत्र में लाइन में लगे लोगों के पास गए. मीडिया वाले वहां थे तो मैंने सोचा कि ऐसा क्या कहूं कि ये लोग खुश हो जाएं, तो मैंने गाया कि ‘देशभक्त हैं कतार में, लगी है भारी भीड़, तकलीफों से सज रही भारत की तकदीर...’.और फिर आगे उन्‍होंने अपनी बात जहां और जिस तरह से खत्‍म की, सिर्फ असंवेदनशील हंसी ही दिखाई पड़ रही थी.

आगे क्या, और किस लहजे में कहा आप खुद ही सुनिए

मनोज तिवारी भोजपुरी हीरो और लोकगीत के धुरंदर के साथ साथ नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के सांसद और दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष भी हैं. लोग भले ही उन्हें अपनी हीरो माने लेकिन नेता के रूप में उनकी कही इस असंवेदनशील बात से वो सिर्फ विलेन ही नजर आ रहे हैं. शायद उन्‍हें भी लग रहा था कि वे कुछ गलत कह रहे हैं, तभी उन्‍होंने इस वीडियो बनाने वाले से कहा कि 'कहीं दिखाइएगा तो नहीं?'

मनोज तिवारी एंटरटेनर रहे हैं. हर महफिल में शायद उन पर दबाव रहता हो कि वे लोगों का कुछ गाकर मनोरंजन करें. इस कार्यक्रम में भी माहौल कुछ वैसा ही है. लेकिन मनोरंजन के लिए मनोज तिवारी ने जो विषय चुना और इसके लिए जिस तरह की पृष्‍ठभूमि तैयार की, उसी में खोट है. क्‍योंकि मनोज तिवारी अब एक जनप्रतिनिधि हैं और उसी पार्टी के सदस्‍य जिसके फैसले लोगों को एटीएम की कतार में लगने पर मजबूर किया. कहा जाता है कि बात को कहने के तरीके में ही कहने वाले की भावना छुपी होती है. मनोज तिवारी की बात सुनिए और आप ही फैसला कीजिए?

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लेखक

पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

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