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Updated: 23 मार्च, 2018 10:28 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
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ये हैं कांग्रेस की सोशल मीडिया सेल की इंचार्ज दिव्या स्पंदना. गुहार लगा रही हैं कि पहली फुर्सत में NaMo app को delete कर दीजिए...

ये भी कांग्रेस की सोशल मीडिया सेल में हैं. नेशनल सोशल मीडिया कोआर्डिनेटर हसीबा अमीन. जान लीजिए, ये क्या कह रही हैं:

बाकी कसर पूरी कर दी संजय झा ने...

इन ट्वीट्स को ध्यान से देखिये, तो कुछ बातें अपने आप साफ हो जाएंगी. डाटा लीक की ख़बरों के बाद जिस बात का अंदेशा था वही हुआ. प्रधानमंत्री मोदी के आलोचकों विशेषकर कांग्रेस ने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर #DeleteNamoApp नाम से उनके खिलाफ अभियान शुरू कर दिया है. इस अभियान की अगुवाई कर रहे लोगों का तर्क है कि इस ऐप के द्वारा प्रधानमंत्री के पास वो सभी जानकारियां जा रही हैं जो किसी भी व्यक्ति की निजता से जुड़ी हैं. लोगों का ये भी मानना है कि इन सूचनाओं से प्रधानमंत्री कुछ ऐसा कर सकते हैं जिससे भविष्य में होने वाले लोकसभा चुनाव प्रभावित होंगे.

नरेंद्र मोदी, ट्विटर, ऐप, नमो ऐप    ट्विटर पर कांग्रेस एक बिल्कुल नए अंदाज में पीएम मोदी का विरोध करती नजर आ रही है

ट्विटर पर पीएम मोदी की नमो ऐप को लेकर जो घमासान मचा हुआ है उसको देखकर ये कहना गलत नहीं है कि प्रधानमंत्री मोदी के आलोचक अपनी तरफ से लगातार इसी कोशिश में हैं कि वो कुछ ऐसा कर दें जिससे जिन लोगों ने ये ऐप डाउनलोड की है वो इसे तत्काल प्रभाव में डिलीट कर दें.

यदि ट्विटर पर चल रहे इस एंटी मोदी कैम्पेन को देखें तो मिल रहा है कि इस हैश टैग पर अपने अपने ट्वीट्स करके लोग और कुछ नहीं बस भेड़ चल में चलने और क्षणिक लोकप्रियता पाने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं. बात आगे बढ़ेगी मगर उससे पहले हमें कुछ और ट्वीट्स देखने की जरूरत है.

ट्विटर पर चल रही इस लड़ाई को अगर ध्यान से देखें तो मिल रहा है कि इसमें ज्यादातर ट्वीट्स स्वयं कांग्रेस पार्टी से जुड़े लोगों द्वरा किये जा रहे हैं. हो सकता है कि इतना जानकार कोई व्यक्ति ये सोचे कि आखिर कांग्रेस को इससे क्या फायदा होगा? तो आपको बता दें कि ये कांग्रेस की वो नाकामयाबी है जिसका एहसास कांग्रेस को अब हुआ है. जी हां सही सुन रहे हैं आप. सोचिये यदि इस तरफ का कोई ऐप राहुल गांधी ने बनाया होता तो क्या कांग्रेस ये ट्रेंड चलाती इस सवाल का निष्पक्ष जवाब नहीं ही होगा.

गौरतलब है कि यहां सारा विरोध पीएम की इस ऐप द्वारा डाटा के चुराए जाने की बात कहकर हो रहा है. अब अगर इस बात को हम अपने विवेक के मद्देनजर सोचे तो मिलता है कि जब भी हम कोई ऐप डाउनलोड करते हैं वो हमसे तमाम तरह की परमीशन मांगता है तो ऐसा नहीं है कि केवल पीएम की ही इस ऐप द्वारा ही आपके डाटा के साथ सेंधमारी हो रही है.

अंत में हम ये कहते हुए अपनी बात खत्म करेंगे कि आज ये विरोध एक पक्ष द्वारा इसलिए हो रहा है क्योंकि उसका मुखिया नए दौर के साथ कंधे से कंधा मिलकर नहीं चल पाया. यदि उसने भी अपनी लॉन्चिंग के वक़्त कोई इस तरह की ऐप बना दी होती तो आज पीएम मोदी की इस ऐप का विरोध कर रहे लोगों का मुंह बंद रहता.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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