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Updated: 29 सितम्बर, 2017 05:07 PM
अशोक उपाध्याय
अशोक उपाध्याय
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सरकार की आर्थिक नीतियों पर भाजपा नेता और पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने के धारदार वार कर के पार्टी को स्तब्ध कर दिया है. तथ्यों के आधार पर सरकार को घेरते हुए पूर्व वित्त मंत्री ने अपने एक लेख में यहां तक कह दिया कि सत्तारूढ़ दल में हर कोई स्थिति को समझ रहा है. लेकिन डर की वजह से कोई बोल नहीं रहा है. उन्होंने लिखा कि अगर आज के आर्थिक स्थिति के खिलाफ अगर मैं अभी नहीं बोलूंगा तो मेरे देश के प्रति कर्तव्य के साथ धोखा होगा.

यशवंत सिन्हा, भाजपा, अरुण जेटलीयशवंत सिन्हा और अरुण जेटलीनिजी निवेश दो दशकों के निम्नतम स्तर पर है, औद्योगिक उत्पादन की हालत पतली है, कृषि क्षेत्र परेशानी में है, निर्माण गिर रहा है, रोजगार का सृजन घट रहा है, उद्योग में भी सुस्ती छाई हुई है. अर्थव्यवस्था के लगभग सभी क्षेत्र संकट के दौर से गुजर रहे हैं. यशवंत सिन्हा के सीधे निशाने पर थे वित्त मंत्री अरुण जेटली. उनकी आलोचना करते हुए पूर्व मंत्री ने कहा कि उन्होंने अर्थव्यवस्था का बेड़ा गर्क कर दिया है. तथ्य यशवंत सिन्हा के साथ है, इसलिए सरकार को बचाव करने में मुश्किल हो रही है. आइए नजर डालते हैं सरकार के विभिन्न मंत्रियों ने कैसे किया इसका बचाव.

सबसे पहले सरकार के बचाव में आये केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह. उन्होंने कहा ‘‘पूरी दुनिया स्वीकार करती है कि भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है. किसी को यह तथ्य नहीं भूलना चाहिए. अर्थव्यवस्था के मामले में अंतरराष्ट्रीय फलक पर भारत की विश्वसनीयता स्थापित हुई है’. इनके जबाब में किसी भी ऐसा तथ्य नहीं था, जिसको पूर्व मंत्री ने उठाया था. यानी की ये केवल हवा हवाई वाला बयान था." इनके पुरे बचाव में तथ्य नदारत है.

यशवंत सिन्हा के हमले से बैकफुट पर आये सरकार के बचाव में राजनाथ सिंह के बाद उतरे केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल. उन्होंने कहा कि भारत पिछले तीन सालों में मोदी सरकार के तहत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बन गया है. पूरे देश और विश्व ने यह देखा है कि प्रधानमंत्री मोदी के निर्णायक नेतृत्व के तहत, भारत इन तीन वर्षों से दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बन गया है. यानी की वो भी लगभग वही बोले जो राजनाथ सिंह ने बोला था.

यशवंत सिन्हा के हमले का जबाब देने के लिए मोदी सरकार ने उन्हीं के पुत्र और नागर विमानन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा को उतारा. उन्होंने अपने एक जवाबी लेख में लिखा कि ''हाल में भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने खड़ी चुनौतियों पर काफ़ी लेख लिखे गए हैं. दुर्भाग्य से इनमें बहुत संकुचित तथ्यों से निष्कर्ष निकाले गए हैं. जबकि उन बुनियादी ढांचागत सुधारों को नज़रअंदाज़ कर दिया गया है, जो अर्थव्यवस्था को बदल रहे हैं.'' नोटबंदी और जीएसटी के फ़ैसले पर सरकार का बचाव करते हुए जयंत ने कहा कि डिजिटल भुगतान से भारतीय अर्थव्यवस्था आधिकारिक रूप मिलेगा. यहां भी इस बात की स्वीकारोक्ति नहीं है कि अर्थव्यस्था की हालत ख़राब है.

केंद्रीय कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने भी मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों का बचाव करते हुए प्रसाद ने कहा कि भाजपा सरकार ने हर क्षेत्र में प्रमाणिक विकास किया है. लेकिन उन्होंने भी प्रमाणिकता को परिभासित नहीं किया. हां, उन्होंने लच्छेदार शब्दों का इस्तेमाल करते हुए कहा कि एनडीए सरकार ने जो काम किए हैं, वो अपने आप में अभूतपूर्व हैं. सरकार ने कड़े फैसले लेकर देश की अर्थव्यवस्था को ऊपर उठाया है. लेकिन उनके भाषण में कहीं भी यशवंत सिन्हा के सवालों का जबाब नहीं था.

वित्त मंत्री अरुण जेटली खुद भी अप्रत्यक्ष रूप से खुद पर लगाए गए आरोप का यशवंत सिन्हा को जवाब पलटवार कर के किया. एक पुस्तक 'INDIA @ 70, MODI @ 3.5' के विमोचन के मौके पर अरुण जेटली ने कहा कि इस किताब का नाम अगर JOB APPLICANT @80' होता तो ज्यादा उपयुक्त होता. उनका सीधा इशारा पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा की ओर था. उन्होंने कहा कि 2000 से 2003 तक वित्त मंत्री के तौर पर यशवंत सिन्हा का कार्यकाल बदतर था और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को उन्हें हटाना पड़ा था. यानी की उन्होंने यशवंत सिन्हा पर जोरदार हमला बोला पर उनके द्वारा उठाई गई मुद्दों का माकूल जबाब नहीं दिया.

अभी तक सरकार की तरफ से किसी ने भी तथ्यवार जबाब नहीं दिया है. या तो यशवंत सिन्हा पर हमला बोला जा रहा है, या गोल मटोल जबाब दिया जा रहा है. सामान्य परिस्थितयों में तर्क का जबाब तर्क से एवं तथ्य का जबाब तथ्य से दिया जाता है. अगर कोई तथ्य या तर्क में हारने लगता है तो वो हतोत्साहित होकर व्यक्तिगत हमला करने लगता है. लगता है मोदी सरकार की हालत वैसी ही है.

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लेखक

अशोक उपाध्याय अशोक उपाध्याय @ashok.upadhyay.12

लेखक इंडिया टुडे चैनल में एडिटर हैं.

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