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Updated: 30 मई, 2016 06:42 PM
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"लोग कहते हैं कि बिहार में जंगलराज है! बिहार में तो मंगलराज है, बिहार में कानून का राज है." मुंगेर में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लोगों को फिर से वैसे ही समझाया कि जंगलराज की बात विपक्ष का प्रोपेगैंडा है जैसे वो चुनाव के दौरान कहा करते थे. अपनी बात के समर्थन में उन्होंने तर्क और लोगों को भरोसा भी दिलाया, "सभी हत्या के मामलों पर कार्रवाई की जा रही है, जो भी दोषी होंगे उन्हें बख्शा नहीं जायेगा."

बख्शा नहीं जाएगा

नीतीश कुमार ने 20 नवंबर 2015 को अपने नये कार्यकाल के लिए शपथ ली - और करीब सवा महीने बाद साल के आखिरी हफ्ते में ताबड़तोड़ हत्याएं हुईं. विपक्ष ने फौरन हमला बोला तो लगा ये सियासत का तकाजा है. आखिर, उन्हें भी तो अपनी राजनीतिक जमीन बचाए रखनी है.

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सिवान की घटना में नीतीश ने सीबीआई जांच की घोषणा की और गया के आदित्य सचदेव मर्डर केस के लिए जिम्मेदार बिंदी यादव के पूरे परिवार को जेल भेज दिया गया. निश्चित रूप से कानून अपना काम कर रहा है.

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जंगलराज या मंगलराज?

यहां तक तो नीतीश कुमार की बात समझ में आती है, लेकिन जैसे ही अपराध की ताजा खबरें आती हैं लोगों का दिल दहल उठता है.

वरना, गोली मार...

19 मई को पटना के एक डॉक्टर के पास एक पार्सल पहुंचता है. उसमें एक जिंदा कारतूस और एक चिट्ठी है - लिखा है 50 लाख रुपये दे दो. "समय और जगह बता दी जाएगी. ज्यादा होशियारी दिखाने की जरूरत नहीं है. समझाने की जरूरत नहीं नमूना तो देख ही चुके हो."

कुछ ही दिन बीतते हैं और पटना के ही एक सीनियर डॉक्टर के मोबाइल पर फोन आता है. फोन पर एक करोड़ रुपये की फिरौती मांगी जाती है. फिरौती की रकम नहीं देने पर बम से उड़ा देने की धमकी दी जाती है.

पहले वाले केस में फिरौती मांगने वाले ने अपना नाम और पता भी बताया है, लेकिन दूसरे केस में फोन करने वाले ने नाम नहीं बताया. पुलिस में शिकायत दर्ज करा दी गई है. कानून अपना काम कर रहा है.

जंगलराज क्या है?

दिल्ली में अफ्रीकी मूल के लोगों को निशाना बनाए जाने की घटना को केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने मामूली घटना बताया है. वीके सिंह ने जिन्हें मामूली घटना बताया है उन्हीं में कांगो के एक नागरिक की हत्या भी शामिल है.

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हर हत्या बड़े अपराध की कैटगरी में शामिल नहीं की जा सकती. लेकिन अगर हत्या में शामिल शख्स का आपराधिक इतिहास रहा हो तो? कांगो के नागरिक की हत्या में पुलिस ने घटनास्थल पर छूटी मोटरसाइकिल और सीसीटीवी फुटेज की मदद से आरोपी तक पहुंची. पुलिस ने पाया कि यह वही शख्स है, जो इलाके में बदसलूकी के एक मामले में शामिल रहा है.

सरेआम किसी को पीट पीट कर मार देना. एक ही तरह की शक्ल और सूरत के लोगों को चुन चुन कर लगातार निशाना बनाया जाना भी क्या वाकई मामूली घटना है?

गाड़ी ओवरटेक करने पर गोली मार देना. किसी बाहुबली से किसी मंत्री के मुलाकात की खबर छापने पर गोली मार देना. पार्सल में कारतूस भेज कर और फोन कर लाखों की रंगदारी मांगना - आखिर ये जंगलराज नहीं तो और क्या है?

जंगलराज या मंगलराज? क्या ये महज देखने का नजरिया भर है?

अरे, जंगलराज उस दहशत का नाम है जिसके साये में गया के आदित्य सचदेव का परिवार, सिवान में राजदेव रंजन के घरवाले, जिन डॉक्टरों से रंगदारी मांगी गई है वे और उनके परिवार वाले फिलहाल रह रहे होंगे.

जंगलराज का नाम सुनकर रूह यूं ही नहीं कांप उठती. सरकार और पुलिस के समानांतर एक ऐसा सिस्टम नजर आने लगता है जो पैसे के लिए हत्या, लूटपाट और अपहरण डंके की चोट पर करता है. अव्वल तो गिरफ्तारी नहीं होती. गिरफ्तारी हो भी जाती है तो कुछ दिन में जमानत पर छूट कर बाहर आ जाता है - और आखिरकार गवाह और सबूत के अभाव में कोर्ट से भी बरी हो जाता है.

आखिर कब तक?

नीतीश कुमार के इरादे पर कोई सवाल नहीं उठा रहा. विपक्ष भी कभी ये नहीं कहता कि जंगलराज की वजह खुद नीतीश कुमार ही हैं. किसी को इस बात पर शायद ही शक शुबहा हो कि बतौर सीएम नीतीश कुमार बिहार में कभी जंगलराज आने देंगे. चुनाव के दौरान लोगों ने नीतीश की बात पर यकीन किया और विरोधियों को एक न सुनी. लेकिन फिलहाल जो हालात नजर आ रहे हैं उसको लेकर कोई नीतीश की बातों पर कब तक यकीन कर पाएगा.

द हिंदू अखबार की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में बीते आठ महीनों में डॉक्टरों के खिलाफ धमकियों और रंगदारी के 23 मामले दर्ज किये गये हैं. नतीजा ये है कि डॉक्टरों ने अपनी हिफाजत खुद करने का फैसला किया है. बिहार 160 डॉक्टरों ने आर्म्स लाइसेंस के लिए अप्लाई किया है.

फिर ओपीडी से लेकर ऑपरेशन थियेटर तक एक जैसा ही नजारा देखने को मिलेगा - गले में स्टेथस्कोप और बगल में लटकी पिस्टल. लेकिन एक बात साफ है लोगों को जंगलराज और मंगलराज के गफलत में ज्यादा दिन नहीं रखा जा सकता.

लेखक

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