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Updated: 16 अप्रिल, 2019 06:58 PM
श्रुति दीक्षित
श्रुति दीक्षित
  @shruti.dixit.31
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लोकसभा चुनाव 2019 के पहले ऐसी बातें तो काफी हो चुकी हैं कि अगर मोदी जीत जाते हैं तो क्या किया जाएगा, देश कितनी तरक्की कर लेगा और किस कदर भारत को नरेंद्र मोदी की जरूरत है ये सब कुछ सोशल मीडिया पर आम है. न्यूज चैनलों पर भी मोदी के वापस न आने से कितने गंभीर परिणाम हो सकते हैं ये बातें होती रहती हैं. पर असल में क्या कोई ये सोच सकता है कि अगर मोदी वापस सत्ता में नहीं आते तो देश में क्या बदलेगा?

भाजपा का ब्रह्मास्त्र ब्रैंड मोदी और राम मंदिर से बदलकर अब राष्ट्र भक्ति हो गया है. इस मौके पर अगर मोदी हार गए तो?

- जी नहीं, वो राजनीति से सन्यास तो नहीं लेंगे 2024 की तैयारी अवश्य करेंगे.

- दूसरा ये मुमकिन है कि अकेले भाजपा को नहीं तो NDA को तो सरकार बनाने लायक वोट मिल जाएं.

- अगर वो भी नहीं हुआ तो भारत में गठबंधन की सरकार बनेगी जो डेमोक्रेसी में आम बात है.

- नई नीतियां डिजाइन की जाएंगी. और हम उम्मीद करते हैं कि चाहें जो भी सरकार बने वो भारत के हित के लिए काम करेगी.

अब अगर बात करें कि इस मुद्दे पर राजनीतिक विशेषज्ञों से परे अगर सिर्फ आम जनता की बातें सुनी जाएं तो क्या होगा ये जानना जरूरी है. Quora वेबसाइट पर What will happen if Narendra Modi loses the 2019 election? सवाल के जवाब में कई लोगों ने ऐसे उत्तर दिए हैं जैसे अगर नरेंद्र मोदी नहीं जीते तो देश खत्म हो जाएगा और देशवासियों को दुख के अलावा और कुछ नहीं मिलेगा. लेकिन कुछ ऐसे लोग भी थे जिन्होंने इसका जवाब बेहद जिंदादिली से दिया था.

1. भाजपा की IT सेल फिर देश के लिए काम करेगी...

नगेंद्र मुद्दम का कहना है कि यहां मुद्दा है विपक्ष में भाजपा के होने का. भाजपा को बहुत समय मिल जाएगा ये सोचने के लिए कि क्या गलत हुआ. साथ ही, हर सरकारी स्कीम और सरकारी प्लेटफॉर्म पर भाजपा की IT सेल की नजर होगी और क्योंकि विपक्ष में एक अच्छी पार्टी होगी इसलिए सरकार को काम करना होगा. हां, नोटबंदी जैसे फैसले नहीं लिए जाएंगे क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो भाजपा विपक्ष में बैठे हुए सरकार की धज्जियां उड़ा देगी. और लोगों को ये जरूर बताएगी कि सरकार फेल हो गई है.

देश को चलाने के लिए एक अच्छी सरकार के साथ ही एक अच्छे विपक्ष की भी जरूरत है.देश को चलाने के लिए एक अच्छी सरकार के साथ ही एक अच्छे विपक्ष की भी जरूरत है.

महंगाई कम हो सकती है, पेट्रोल, रेलवे, खाद्य पदार्थों की कीमतें कम हो जाएंगी. क्योंकि यहां भी भाजपा IT सेल सरकार को लगभग हर बढ़ी हुई कीमत के लिए ताना मारती रहेगी. सरकार फैसले लेने से पहले कई बार सोचेगी और सही फैसले लेने को मजबूर हो जाएगी क्योंकि विपक्ष मजबूत होगा उसके सामने.

अगर किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार होता है तो उसपर भी विपक्ष की पैनी नजर रहेगी और हर मिनिस्टर जिसे पोस्ट दी जाएगी उसे अपनी पोस्ट के हिसाब से पढ़ा-लिखा होना पड़ेगा. अगर ऐसा नहीं हुआ तो 2024 में फिर भाजपा इस बात को मुद्दा बना सकती है.

अगर भाजपा को विपक्ष में भेजा गया तो वो ज्यादा बेहतर लोगों के हक में काम कर सकती है.

2. हमारा अगला पीएम प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए सवालों के जवाब तो देगा..

एक गुमनाम यूजर ने भाजपा को आड़े हाथों लिया और ये कहा कि कम से कम हमारा अगला पीएम आम आदमी के सवालों के जवाब तो दे पाएगा और प्रेस कॉन्फ्रेंस तो करेगा (मोदी ने 5 सालों में एक भी प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की.) . रघुराम राजन, उर्जित पटेल, अरविंद सुब्रमनियम जैसे प्रतिभावान लोग देश को नोटबंदी और जीएसटी के शॉक से बाहर निकालेंगे. नौकरियां फिर से मिलने लगेंगी. यूपीए 2 सरकार में भयानक मंदी के दौर में भी इतनी खराब स्थिति नहीं थी.

किसानों को फसल की अच्छी कीमत मिलेगी. पेट्रोल जिसे लेकर इतनी चर्चा हो रही है वो 2014 के मुकाबले 2019 में कितना महंगा हो गया ये बात भी सोची जाएगी और कम से कम 10 रुपए कम हो सकता है. सर्जिकल स्ट्राइक होगी पर उसका विज्ञापन नहीं होगा और उसपर फिल्में तो बिलकुल नहीं बनाई जाएंगी. RBI का रिजर्व सिर्फ RBI के लिए ही रहेगा न कि भारत की अर्थव्यवस्था को चरमराने के लिए. जीडीपी का फॉर्मुला वापस नॉर्मल हो जाएगा. साथ ही, कोई देशद्रोही नहीं बनेगा.

3. भाजपा को अपनी गलतियों के बारे में सोचने का मौका मिलेगा..

सत्य प्रकाश सूद का कहना है कि 2019 में नरेंद्र मोदी का पीएम न बनना भारत की राजनीति के लिए अच्छा हो सकता है. भाजपा के पास ये समय रहेगा कि वो सोचे कि क्या गलत हुआ. ये सोचा जाएगा कि पूरी पार्टी को एक आदमी के ऊपर छोड़ देना कितना गलत होता है. भले ही उसमें जीतने की कितनी भी क्षमता क्यों न हो. कैसे आखिर एक आदमी को पार्टी से बड़ा बनने का मौका दिया गया. सामूहिक ज्ञान हमेशा एक व्यक्ति के निर्णयों से बेहतर होता है.

ये सोचने का मौका मिलेगा कि कैसे समाज में ऐसा ध्रुविकरण हो गया कि मोहम्मद अखलाख और उस जैसे कइयों की मॉब लिंचिंग के बाद भी लोगों को फर्क नहीं पड़ा और जो लोग अखलाख के साथ बड़े हुए, उन्होंने काम किया उनके साथ बड़े हुए वो भी अखलाख की मदद के लिए नहीं आए.

अगर देश में रोमियो स्क्वाड की जरूरत है तो नैतिकता का पाठ पढ़ाने की नहीं बल्कि असल में लड़कियों को छेड़ने वालों को पाठ पढ़ाने की जरूरत है. आखिर कैसे एक पार्टी जो अगले 20 सालों तक काम करने के बारे में सोच रही थी लोगों का उसपर से विश्वास उठ गया.

4. कुछ नहीं बदलेगा, पहले भी सरकारें आई और गई हैं..

यूजर निहाल सिंह के अनुसार कुछ नहीं बदलेगा. इन्होंने बहुत अहम सवाल उठाते हुए कहा है कि क्या इसके पहले किसी ने इलेक्शन नहीं हारा? अटल बिहारी वाजपेयी ने हारा है, मनमोहन सिंह ने हारा है. इस सवाल का मतलब ही उन्हें नहीं समझ आता. भारत राजतंत्र नहीं प्रजातंत्र है. ऐसे में कोई ये कैसे सोच सकता है कि किसी एक नेता के जाने से राजा के जाने जैसा हाल होगा.

मोदी ने क्या अप्रत्याशित काम किया है? ऐसा क्या किया है जो अभी तक बाकियों ने नहीं किया या कभी कर नहीं सकते? नोटबंदी? बेहतर भाषणबाजी? डायलॉग डिलिवरी, रिदम? ये सब एक विपक्ष से नेता के लिए बेहतर हो सकता है, किसी सत्ताधीन लीडर के लिए नहीं क्योंकि उसे काम दिखाना होता है भाषण देना नहीं.

कुछ नहीं बदलेगा. दूसरा लीडर प्रधानमंत्री पद की शपक्ष लेगा और ऐसा नहीं है कि किसी प्रधानमंत्री के कुर्सी छोड़ने से देश बदल जाएगा. इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह सभी कुर्सी से हटे थे. क्या मोदी भगवान हैं जो किसी और से हार नहीं सकते.

5. देश किसी एक नेता से बड़ा है ये साबित हो जाएगा..

Quora यूजर प्रमोद कुमार ने लिखा है कि नरेंद्र मोदी वाराणसी से हारें इसकी कोई उम्मीद नहीं, लेकिन वो दोबारा पीएम न बन पाएं ऐसा हो सकता है. अगर वो हारते हैं तो गठबंधन की सरकार बनेगी और यकीन मानिए इसमें कोई बुराई नहीं है कि एक डेमोक्रेसी में गठबंधन की सरकार बने. अगर भारत के लोग गठबंधन की सरकार चाहते हैं तो ऐसा हो सकता है. भाजपा भले ही गठबंधन पर हंसे पर देखा जाए तो खुद भाजपा के पास लोकसभा की 541 सीटों में से 269 सीटें हैं और उसके अलावा, 72 लोग अन्य संसद क्षेत्रों से हैं तभी भाजपा 341 के अंक को छू पाई है.

आम लोगों के लिए कुछ नहीं बदलेगा उनकी चिंताएं वैसी ही रहेंगी. 2004 में भी हमारे गांव में पीने का पानी नहीं था और 2019 में भी नहीं है. सरकार ने क्या काम किया इसका फैसला आंकड़ों के आधार पर करना चाहिए, बातों के आधार पर नहीं. मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी सरकारें बदली हैं क्या वहां कुछ हुआ? अगर भाजपा हार जाती है तो वो विपक्ष में बैठेगी और देश के लोग भी आगे बढ़ जाएंगे क्योंकि किसी भी पार्टी या नेता से बड़ा देश होता है.

अधिकतर पॉजिटिव जवाबों में जो बातें कही गई थीं वो ये कि ..

- कुछ नहीं बदलेगा, सरकारें आई और गईं पहले भी हैं.

- महंगाई पर लगाम लगेगी.

- जवानों पर राजनीति नहीं होगी.

- नौकरियां मिलने लगेंगी.

- अल्पसंख्यक सुरक्षित रहेंगे.

- भाजपा और मोदी को ये समझ आ जाएगा कि एक आदमी पर पार्टी का भार नहीं छोड़ा जा सकता.

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लेखक

श्रुति दीक्षित श्रुति दीक्षित @shruti.dixit.31

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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