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Updated: 31 जनवरी, 2019 01:36 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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अप्रैल में चुनाव हैं. क्या कांग्रेस क्या भाजपा क्षेत्रीय पार्टियों तक ने अपने पत्ते खोल दिए हैं और तैयारी तेज कर दी है. कांग्रेस जहां सॉफ्ट हिंदुत्व को हथियार बना रही हैं तो वहीं भाजपा के पास अपने परंपरागत मुद्दे हैं. माना जा रहा है कि दोनों ही दल एक दूसरे को कड़ा मुकाबला देंगे. जीत हार के लिए जो नुस्खे देश में अलग-अलग राजनीतिक दलों द्वारा अपनाए जाने वाले हैं यदि उनका अवलोकन किया जाए तो स्थिति डरावनी है. चुनाव भारत में होने हैं रिपोर्ट अमेरिका से आई है. अमेरिकी खुफिया विभाग के वरिष्ठ अधिकारी डैन कोट्स ने अमेरिकी सीनेट (संसद) में एक रिपोर्ट पेश की है जिसमें इस बात का जिक्र है कि भारत में 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले सांप्रदायिक हिंसा हो सकती है.

कोट्स ने सीनेट को इस बात से अवगत कराया है कि भारत में सत्ताधारी दल भाजपा अप्रैल-मई (2019) में देश में होने वाले आम चुनावों से पहले यदि हिंदू राष्ट्रवाद पर जोर देती रही तो सांप्रदायिक हिंसा की आशंका प्रबल है. साथ ही उन्होंने भारत चीन सम्बन्धों पर बोलते हुए ये भी कहा है कि इस वर्ष भारत और चीन के रिश्ते भी काफी तनावपूर्ण होने वाले हैं. कोट्स का मानना है कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के प्रयासों के बावजूद दोनों ही देशों के संबंधों में तनाव बदस्तूर जारी रहेगा.

 डैन कोट्स, अमेरिका, सांप्रदायिक हिंसा, लोकसभा चुनाव अमेरिकी खुफिया विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने भारत में चुनावों से पहले की स्थिति को लेकर जो दावा किया है वो डराने वाला है

इसके अलावा कोट्स ने अपनी रिपोर्ट में पाकिस्तान का भी जिक्र किया है. पाकिस्तान पर कोट्स का मत है कि पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी समूह भारत और अफगानिस्तान के अलावा अमेरिकी हितों के खिलाफ हमलों की योजना बनाने और अंजाम देने के लिए पाकिस्तान में अपने पनाहगाहों का फायदा उठाना जारी रखेंगे.'

बहरहाल हमने बात की शुरुआत ये कहकर की थी कि अमेरिकी सीनेट को इस बात की जानकारी है कि चुनावों से पहले भारत में सांप्रदायिक हिंसा होगी. ये जानकारी कोट्स को कैसे मिली इसपर अभी कुछ बोलना या किसी तरह का मत प्रकट करना जल्दबाजी है. मगर जैसे हालात हैं हमें कोट्स की बात सही लगती नजर आ रही है. हो सकता है हमारा ये कथन आपको विचलित कर दे मगर जब इस कथन को हम मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के सन्दर्भ में देखें तो मिलता है कि देश में कम से कम हिंसा की शुरुआत तो हो चुकी है. और बंगाल का राजनीतिक इतिहास बताता है कि वहां चुनाव से पहले दंगे तब भी होते थे, जब बीजेपी का वहां कोई वजूद नहीं था.

West Bengal TMC bus fireपिछले दिनों बंगाल में अमित शाह की रैली से पहले टीएमसी कार्यकर्ताओं ने भाजपाइयों से भरी बस को आग लगा दी, और पास ही कई वाहनों को फूंक डाला.

गौरतलब है कि नई सरकार के आने के बाद जैसे मध्य प्रदेश में एक एक करके भाजपा या हिंदूवादी संगठनों से जुड़े लोगों को मौत के घाट उतारा जा रहा है. हमारे लिए ये कहना कहीं ससे भी गलत नहीं है कि आने वाले वक़्त में स्थिति भयावह होगी. एमपी के मंदसौर में जिस तरह भाजपा नेता की सरेआम हत्या हुई है उसने न सिर्फ कांग्रेस पार्टी के लॉ एंड आर्डर के दावे पर सवालिया निशान लगा दिए हैं. बल्कि ये भी बता दिया है कि आने वाले वक़्त में हम ऐसे कई मंजर देखेंगे जिसकी कल्पना करने मात्र से हमारे रौंगटे खड़े हो जाते हैं.

इसके अलावा उपरोक्त पंक्तियों में हमने पश्चिम बंगाल का भी जिक्र किया है. ममता सरकार में आज जो हालात बंगाल की है वो किसी से छुपी नहीं है. चाहे भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या हो या फिर राज्य के कम्युनिस्ट नेताओं की पिटाई स्थिति अराजक है. आए रोज जिस तरह की ख़बरें बंगाल से आ रही हैं. कह सकते हैं कि राज्य एक ऐसा ज्वालामुखी बन गया है, जिसमें से लावा बहकर कभी भी बाहर आ सकता है और पूरे देश को जलाकर राख कर सकता है.

देश में चुनाव होने में अभी वक़्त है. मगर अब वो वक़्त आ गया है जब देश को अमेरिकी खुफिया विभाग के वरिष्ठ अधिकारी डैन कोट्स की बातों पर गंभीर हो जाना चाहिए. हमें याद रखना चाहिए कि यदि कोट्स की  भविष्यवाणी सच साबित हो गयी तो विकास तो बहुत दूर की चीज है, हमें वहां पहुंचने में एक लम्बा वक़्त लगेगा जहां हम आज हैं.

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बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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