उन्नाव रेप केस: पीड़िता की मौत पर हो रही सियासत हैरान करती है
उत्तर प्रदेश में तो जैसे सरकार को घेरने के लिए एक अदद मामले की तलाश हो रही थी और वो तलाश उन्नाव रेप पीड़िता की मौत के बाद जाकर पूरी हुई.
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उन्नाव के एक रेप केस (Unnao rape case) की शुरुआत जो डेढ साल पहले हुई वो दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में आखिरकार खत्म हो गई. उन्नाव की रेप पीड़िता(Unnao rape victim) जो आरोपियों द्वारा जला दी गई थी, उसने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया...ये कहते हुए कि वो जीना चाहती है. और आरोपियों को सजा दिलवाना चाहती है. उसकी दो इच्छाओं में से जीने की इच्छा तो पूरी नहीं हो पाई, लेकिन आरोपियों को सजा दिलवाने की इच्छा पूरी होने के काफी करीब लगती है.
वो जब तक अकेली थी, उसने और उसके परिवारवालों ने बहुत सहा. लेकिन अब जब वो मर चुकी है तो वो अकेली नहीं है. उत्तर प्रदेश की सभी राजनीतिक पार्टियां उसके साथ हैं. उसके लिए सरकार से लड़ रही हैं. उन्नाव रेप पीड़िता की मौत के बाद उत्तरप्रदेश की विपक्षी पार्टियों ने जिस फुर्ती के साथ मोर्चा संभाला उसे देखकर आश्चर्य हुआ कि एक रेप पीड़िता के इतने हिमायती दुनिया में हैं फिर भी पीड़िताएं जिंदा जला दी जाती हैं.
हैदराबाद रेप केस भी उन्नाव रेप केस की तरह ही था, वहां भी रेप के बाद महिला डॉक्टर को जला दिया गया था. लेकिन एनकाउंटर होने तक भी किसी भी विपक्षी पार्टी को सरकार को घेरते हुए नहीं देखा था. तेलंगाना की पुलिस पर महिला सुरक्षा में कोताही को लेकर सवाल जरूर उठे थे लेकिन वहां की सरकार और मुख्यमंत्री को पूरे मामले में नहीं घसीटा गया था. लेकिन उत्तर प्रदेश में तो जैसे सरकार को घेरने के लिए एक अदद मामले की तलाश हो रही थी और वो तलाश उन्नाव रेप पीड़िता की मौत के बाद जाकर पूरी हुई. और सभी सरकारी पार्टियां गिद्धों की तरह इस मामले पर मंडराती हुई दिखाई दीं.
अखिलेश यादव का सांकेतिक धरना
उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जो जब से चुनाव हारे तो कभी इतने सक्रिय नहीं दिखे जितने उन्नाव रेप पीड़िता की मौत के बाद दिखाई दिए. लखनऊ विधानसभा के बाहर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव धरने पर बैठ गए और योगी आदित्यनाथ से इस्तीफे की मांग तक कर दी. वो बात और है कि ये एक सांकेतिक धरना था जो कुछ ही देर में खत्म भी हो गया. उन्होंने गृह सचिव और डीजीपी से भी पद छोड़ने की मांग की. उनका साफ कहना था कि इस पूरे मामले की दोषी सिर्फ उत्तर प्रदेश सरकार है.
धरने से उठने के बाद इसके बाद अखिलेश उन्नाव पीड़िता के घर जाना चाह रहे थे लेकिन तभी खबर आई कि कांग्रेस पार्टी की प्रियंका गांधी तो पहले ही उन्नाव के लिए निकल गई हैं.
प्रियंका गांधी का पीड़िता से पहले उन्नाव पहुंचा
उन्नाव मामले पर कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी सोशल मीडिया पर सरकार को घेरती आ रही थीं लेकिन पीड़िता की मौत के बाद वो सीधे उन्नाव के लिए निकल गईं. इसे क्या कहा जाए. उन्नाव रेप पीड़िता का शव घर पहुंचने से पहले ही प्रियंका गांधी पीड़िता के घर पहुंच गईं. इतनी तेजी देखकर आश्चर्य हुआ. प्रियंका अपने पुराने अंदाज में पीड़ितों का दुख बांटती नजर आईं.
प्रियंका की तैयारी पूरी थी. वो उन्नाव पहुंची तो उधर उनकी पार्टी के कार्यकर्ता लखनऊ में बीजेपी कार्यालय के बाहर पहुंच गए. खूब हल्ला प्रदर्शन किया. झंडे-बैनर पोस्टर सबसे लेस होकर ये आए थे. यहां जमकर धक्का-मुक्की हुई, लाठी चार्ज भी हुआ. अच्छा खासा माहौल बन गया था प्रदर्शन का.
राहुल गांधी भी चुप नहीं रहे- ट्वीट करके उन्होंने भी चिंता जता दी कि देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध तेजी से बढ़ रहा है.
उन्नाव की मासूम बेटी की दुखद एवं हृदय विदारक मौत, मानवता को शर्मसार करने वाली घटना से आक्रोशित एवं स्तब्ध हूं। एक और बेटी ने न्याय और सुरक्षा के आस में दम तोड़ दिया।
दुःख की इस घड़ी में पीड़ित परिवार के प्रति मै आपनी संवेदना व्यक्त करता हूं।#BetiKoNyayDo
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) December 7, 2019
'यूपी में तो अती हो रही है' - मायावती
बसपा सुप्रीमो मायावती (BSP Supremo Mayawati) इसमें कैसे पीछे रहतीं उन्होंने भी यूपी में महिला अपराध पर गहरी चिंता व्यक्त की. कहा- 'यूपी में तो अती हो रही है.' इतना ही नहीं मायावती भी उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मिलने चली गईं. जहां उन्होंने कहा कि 'यूपी की कानून व्यवस्था खराब है. जंगलराज चल रहा है. आप एक महिला भी हैं और गवर्नर भी हैं. आप संवैधानिक दायित्व का निर्वहन करें और यूपी सरकार पर सख्ती दिखाएं.'
पीड़िता की मौत के बाद क्यों जागे?
किसी भी मामले पर विपक्ष सरकार को किस तरह एकजुट होकर घेरता है उन्नाव रेप मामला ऐसा ही एक उदाहरण है. इस बेहद संवेदनशील मामले का जबरदस्त राजनीतिकरण किया जा रहा है. कोई पार्टी यहां किसी भी रूप में पीछे नहीं रहना चाहती. क्रेडिट लेने की होड़ लगी हुई है. कोशिश में कोई कमी नहीं दिख रही. लेकिन सवाल सिर्फ यही उठता है कि पीड़िता की मौत के बाद ही क्यों जागे? विपक्ष की इतनी सक्रियता तब क्यों दिखाई दी जब पीड़िता की मौत हो गई. ये मामला डेढ़ साल पुराना बताया जा रहा है और इस हिसाब से तो इस मामले ने विपक्ष को अपनी योग्यता दिखाने का काफी समय दिया था. तब क्यों ये आवाजें नहीं उठी थीं जब वो पीड़िता अकेली सब कुछ सह रही थी. अब सभी उसके परिवार के दुख बांटने में लगे हैं, उसके लिए न्याय की मांग करते दिख रहे हैं. पहले कहां थे सारे?
पीड़िता परिवार के साथ बात करतीं प्रियंका गांधी
उन्नाव पीड़िता की मौत का जितना दुख हुआ उससे कहीं ज्यादा अफसोस ये देखकर हो रहा है कि आखिर किस तरह एक रेप पीड़िता की मौत को राजनीति करने का आधार बनाया गया. जिस तरह से ये सब हुआ वो देखकर चिड़ हो रही थी. यूं लगा जैसे मायावती और अखिलेश यादव की सरकार के दौरान तो उत्तरप्रदेश महिलाओं के लिए जन्नत था. लेकिन इसका मतलब ये भी नहीं है कि राज्य सरकार पाक साफ है. हालांकि राज्य सरकार ने पीड़िता को बचाने की हर संभव कोशिश की. उसे एयरलिफ्ट करके दिल्ली लाया गया, लेकिन वो बच नहीं सकी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में किए जाने के आदेश दिए हैं और आश्वासन दिया है कि अपराधियों को कड़ी सजा दिलवाई जाएगी. लेकिन पीड़िता को जलाए जाने से पहले तक यूपी पुलिस ने पीड़िता की सुरक्षा पर जो लापरवाही की उसपर भी सवाल होने जरूरी हैं. लेकिन उन्नाव रेप पीड़िता की लाश पर हो रही राजनीति को देखकर सिर्फ शर्मिंदगी हो रही है.
उन्नाव केस का पूरा मामला आप यहां देख सकते हैं.
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