सोशल मीडिया ने कैसे एक कॉमेडियन को बना दिया राष्ट्रपति
जेलेन्सकी एक ऐसे टीवी सीरियल में काम करते थे जिसमें वो यूक्रेन के प्रेसिडेंट बनते थे, अब वो वाकई सोशल मीडिया कैंपेन की मदद से यूक्रेन के प्रेसिडेंट चुन लिए गए हैं.
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यूक्रेन में कुछ ऐसा हुआ है जिसकी उम्मीद शायद पूरी दुनिया में किसी ने नहीं की हो. यूक्रेन में एक कॉमेडियन और टीवी स्टार वोलोडायमिर जेलेन्सकी अब राष्ट्रपति का चुनाव जीत चुका है और जल्द ही इस पद को स्वीकार भी लेगा. यूक्रेन के साथ ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि कोई राजनेता प्रेसिडेंट बना हो. बल्कि इसके पहले 2014 में यूक्रेन के प्रेसिडेंट बने पेट्रो पोरोशेन्को भी बिजनेसमैन थे. पर कॉमेडियन का राष्ट्रपति बनना अपने आप में चौंकाने वाला मामला है.
जेलेन्सकी एक ऐसे टीवी सीरियल में काम करते थे जिसमें वो यूक्रेन के प्रेसिडेंट बनते हैं क्योंकि उनकी एक सोशल मीडिया पोस्ट जिसमें उन्होंने देश के भ्रष्टाचार के बारे में लिखा है वो वायरल हो जाती है. इस शो का नाम था ‘Servant of the People‘ और कमाल की बात तो ये है कि इसी नाम से जेलेन्सकी की पार्टी भी बनी है.
जेलेन्सकी का पूरा चुनाव कैंपेन असल में सोशल मीडिया आधारित ही था. उनकी लोकप्रियता टीवी, फेसबुक, ट्विटर आदि से बढ़ी. यहां तक कि उन्होंने कैंपेन भी ठीक वैसा ही किया जैसा टीवी शो में दिया गया था. जी हां, जेलेन्सकी ने भ्रष्टाचार मिटाने का वैसा ही वादा अपनी कैंपेनिंग में किया था जैसा कि टीवी शो में किया गया था.
चुनाव के दौरान जेलेन्सकी और दूसरी तरफ टीवी शो में प्रेसिडेंट बने हुए जेलेन्सकी
आधिकारिक आंकड़े कहते हैं कि जेलेन्सकी को 73.17 प्रतिशत वोट मिले. और जैसा कि दिख रहा है अब बिना एक्सपीरियंस वाला ये कॉमेडियन अगले 5 साल के लिए देश को चलाएगा. सोशल मीडिया पर लोगों की इसे लेकर अलग-अलग तरह की प्रतिक्रिया है.
Ukraine just elected president a popular comedic TV personality with no political experience and amorphous ideological views, who ran on an anti-corruption, anti-establishment platform. Sounds familiar
— Michael Tracey (@mtracey) April 21, 2019
कुछ लोग तो इसे ट्रंप से भी जोड़कर देख रहे हैं.
पर सिर्फ फेमस होना और टीवी स्टार होना ही एक ऐसी बात नहीं है जो जेलेन्सकी और ट्रंप को एक समान बनाती है.
सोशल मीडिया कैंपेन जिसमें रशिया का हाथ रहा है-
अमेरिकी इलेक्शन में जब रशिया के हाथ ही बात सामने आई थी तब ऐसा लगा था कि इतने विरोध के बाद रशिया ये काम बंद कर देगा. अमेरिकी इलेक्शन के समय फेसबुक का इस्तेमाल कर रशिया ने चुनावी कैंपेन पर असर डाला था और अब यही हाल यूक्रेन का है. अमेरिकी इलेक्शन के समय सोशल मीडिया कैंपेन सेंट पीटर्सबर्ग, रशिया से चलाया जा रहा था. इस बार भी रशिया ने फेसबुक पेज का सहारा लिया है, इस बार पेज तो यूक्रेन के ही हैं, लेकिन रशियन एजेंट उन्हीं फेसबुक पेज का इस्तेमाल कर चुनावी कैंपेन को तोड़-मरोड़ चुके हैं.
ये दावा है यूक्रेन की स्थानीय इंटेलिजेंस एजेंसी S.B.U का. एक वीडियो में एक इंसान ये कहता हुआ दिखाई दे रहा है कि वो रशियन एजेंट है और यूक्रेन की राजधानी Kiev में रहता है. उसके रशियन हैंडलर्स का कहना था कि वो ऐसे लोग ढूंढे (यूक्रेनियन) जो अपने फेसबुक पेज और प्रोफाइल कुछ दिनों के लिए किराए पर दे दें. ऐसे में फेक आर्टिकल और राजनीतिक विज्ञापन आदि पोस्ट किए जा सकें.
कई मीडिया रिपोर्ट्स ने दावा किया है कि यूक्रेन के चुनावों में रशिया का इसी तरह का दखल रहा है और अब देखिए ये सब करने के बाद यूक्रेन के प्रधानमंत्री रशिया के प्रेसिडेंट (इलेक्ट) का मजाक उड़ा रहे हैं.
यहां तक कि रशिया ने तो कुछ विवादित इलाकों में (यूक्रेन-रशिया बॉर्डर जहां दोनों ही देश अपने-अपने इलाके का दावा करते हैं. हालांकि, वो हैं यूक्रेन में) रह रहे नागरिकों को रशियन पासपोर्ट देने की कोशिशें भी तेज़ कर दी हैं. रशिया और यूक्रेन में यूएसएसआर के खत्म होने के बाद से ही लड़ाई चल रही है और ये माना जाता है कि रशिया यूक्रेन के कई इलाकों पर कब्जा करना चाहता है. अगर कोई ऐसा प्रेसिडेंट जिसे राजनीतिक मसलों की जानकारी नहीं है वो आता है तो रशिया का काम आसान हो सकता है.
सोशल मीडिया कैंपेन जो भारत पर भी असर डाल सकती है-
कुछ दिनों पहले ही ये बात सामने आई थी कि फेसबुक ने 1000 से ऊपर ऐसे पेज हटाए थे जो भारतीय चुनावों में किसी तरह से दखल दे रहे थे और वो किसी गलत तरीके से ये कर रहे थे. इसमें 700 पेज कांग्रेस के थे, 103 पेज पाकिस्तान के और कई पेज भाजपा से भी जुड़े हुए थे. सोशल मीडिया पर चुनावी कैंपेन किस तरह से असर डालता है ये भारतीय इलेक्शन से देखा जा सकता है. आप पार्टी की पूरी सफलता में सोशल मीडिया कैंपेन का भी हाथ था.
सोशल मीडिया कैंपेन किसी भी चुनाव पर कैसा असर डालती है ये देखा जा सकता है. उदाहरण के तौर पर कुछ दिन पहले एक ऐसा वीडियो वायरल हो रहा था जो कह रहा था कि, 'राहुल गांधी ने कहा कि वो कर्ज माफ नहीं करेंगे, अपने वादे से पलटे'. 2018 के अंत में तीन राज्यों में कांग्रेस के विधानसभा चुनाव जीतने के बाद वायरल किया जा रहा था. ये कहा जा रहा था कि राहुल गांधी अपने वादे से मुकर गए और उनका एक एडिट किया गया वीडियो वायरल हो रहा था. यही इन दिनों नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी, मायावती, अखिलेश यादव, अरविंद केजरीवाल के वीडियो के साथ हो रहा है. उनके पुराने वीडियो एडिट कर या फिर पुराने वायरल वीडियो एक बार फिर से सोशल मीडिया में दिखाए जाते हैं.
ये वीडियो भाजपा और कांग्रेस के फैन पेज पर अक्सर दिखाए जाते हैं और इन्हें लोग बहुत ज्यादा शेयर भी करते हैं. ये एडिटेड वीडियो और साथ ही फेक न्यूजपेपर क्लिप, फोटो आदि भी सोशल मीडिया पर वायरल किए जाते हैं.
ये भी एक तरह का चुनाव प्रचार ही है जहां अपने नेता की तो तारीफ की जाती है और सामने वाली पार्टी के नेता की बुराइयां गिनवाई जाती हैं.
ये सिर्फ भाजपा की तारीफ के लिए हो रहा है ऐसा नहीं है. फेसबुक और ट्विटर पर कुछ पेज ऐसे भी हैं जो कांग्रेस के लिए ये कर रहे हैं और उनमें नरेंद्र मोदी, अरुण जेटली और भाजपा के अन्य नेताओं का मजाक भी बनाया जाता है, उनके द्वारा दिए गए भाषणों के वीडियो भी वायरल किए जाते हैं और साथ ही साथ कई मीम बनाकर और फोटोशॉप की हुई तस्वीरें वायरल की जाती हैं. इस माध्यम का इस्तेमाल इस समय मौजूद लगभग हर भारतीय राजनीतिक पार्टी कर रही है. न सिर्फ उत्तर भारत में बल्कि ये दक्षिण भारत में भी ऐसे ही चल रहा है.
जैसे रशिया और यूक्रेन का हाल है वैसे ही भारत और पाकिस्तान का हाल भी है. पाकिस्तान की तरफ से सोशल मीडिया पर चल रहे कई पेज ऐसे ही करतूत करते पकड़े गए थे. जिनमें कश्मीर, भारतीय सेना, नरेंद्र मोदी आदि सबके बारे में पोस्ट जाती थी. इन पेज को फेसबुक की तरफ से बैन कर दिया गया था. जैसे रशिया और यूक्रेन की भाषा लगभग एक जैसी है वैसा ही हाल भारत-पाकिस्तान का भी है और इसलिए ऐसे फेसबुक पेज आसानी से वायरल पोस्ट बना सकते हैं और किसी को शक भी नहीं होता.
उम्मीद यही है कि यहां चुनाव निष्पक्ष हो और देश का प्रधानमंत्री वो बने जिसकी देश को जरूरत है.
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