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Updated: 31 अक्टूबर, 2018 06:11 PM
अभिनव राजवंश
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  @abhinaw.rajwansh
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सरदार वल्लभ भाई पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' का 31 अक्टूबर को उनकी जयंती पर उद्घाटन के साथ ही यह दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति बन गई. 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' अपनी ऊंचाई के अलावा भी कई मायनों में बेहद खास है. सरदार पटेल की इस मूर्ति में 4 धातुओं का उपयोग किया गया है और सबसे कम समय में बन कर तैयार होने वाले मूर्ति के रूप में भी इसकी पहचान की जाएगी. इस मूर्ति के उद्घाटन के साथ ही उम्मीद इस बात की भी है कि यह उस इलाके में पर्यटन को बढ़ावा देगा और साथ ही आसपास के इलाके के विकास में भी मददगार होगा.

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हालांकि, इस उद्घाटन के साथ ही भारतीय जनता पार्टी और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' से काफी कुछ उम्मीद कर रहे होंगे. सरदार पटेल की सबसे बड़ी मूर्ति जहां अपनी खासियतों की वजह से विशिष्ट है तो वहीं इसके राजनैतिक मायने भी कुछ कम नहीं हैं. सरदार पटेल जहां अपने जीवन भर धुर कांग्रेसी रहे तो हो सकता है कि अपने मृत्यु के 68 सालों बाद सरदार भारतीय जनता पार्टी के तुरुप के इक्के साबित हो जाएं. भाजपा कांग्रेस पर सरदार पटेल की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए कुछ खास नहीं करने का आरोप लगाएगी जो सही भी है, वर्तमान में नेहरू गांधी परिवार के नाम पर जितनी योजनाएं देश भर में हैं उस लिहाज से सरदार पटेल के नाम पर क्या किया गया है यह काफी ढूंढने के बाद ही मिल सकता है. कांग्रेस इस मामले पर खुद को बैकफुट पर पा सकती है. सरदार पटेल के माध्यम से भाजपा किसानों को भी साधने की कोशिश में होगी.

सरदार पटेल, जो खुद एक किसान के बेटे थे और बारदोली किसान आंदोलन में पटेल के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता. 1928 में गुजरात में हुआ यह प्रमुख किसान आंदोलन वल्लभ भाई पटेल के नेतृत्व में ही किया गया था. उस समय प्रांतीय सरकार ने किसानों के लगान में तीस प्रतिशत तक की वृद्धि कर दी थी. पटेल ने इस लगान वृद्धि का जमकर विरोध किया था. हालांकि सरकार ने इस सत्याग्रह आंदोलन को कुचलने के लिए कई कठोर कदम उठाए थे, पर अंतत: विवश होकर उसे किसानों की मांगों के आगे झुकना पड़ा था. भाजपा सरदार की इसी छवि को भी भुनाने की कोशिश करेगी, क्योंकि पिछले एक आध सालों में देश भर के किसानों में असंतोष देखने को मिला है. ऐसे में हो सकता है कि सरदार की छवि इस असंतोष को कुछ कम कर दे.

भाजपा सरदार पटेल के माध्यम से गुजरात के पटेल समुदाय को भी खुश करने में कामयाब हो सकती है जो पिछले कुछ सालों से भाजपा से नाराज चल रहे हैं. पिछले साल गुजरात चुनावों में भी भाजपा को पटेल समुदाय की नाराजगी झेलनी पड़ी थी. ऐसे में 2019 के आम चुनावों के पहले भाजपा अपने इस परंपरागत वोट बैंक को फिर से अपने पाले में लाने की कोशिश में होगी और सरदार पटेल की स्टेचू ऑफ यूनिटी निश्चित रूप से भाजपा को इस प्रयास में मदद कर सकती है.

सरदार पटेल की पहचान एक कड़े और कुशल प्रशाशक के रूप में होती है, जिन्होंने 550 रियासतों के एकीकरण में अहम योगदान दिया था. भाजपा की कोशिश इस स्टैच्यू के माध्यम से भी केंद्र सरकार की ऐसी ही छवि घड़ने की होगी जो कड़े और बड़े फैसले लेने में सक्षम है.

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अभिनव राजवंश अभिनव राजवंश @abhinaw.rajwansh

लेखक आज तक में पत्रकार है.

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