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Updated: 03 जून, 2018 04:09 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपना सरकारी आवास खाली कर दिया है. घर खाली करते ही उन्होंने एक ट्वीट भी किया, जिसमें वो काफी दार्शनिक अंदाज में नजर आए. काफी समय से इस बार को लेकर बहस चल रही थी कि पूर्व मुख्यमंत्रियों से सरकारी आवास वापस लिए जाएं. जब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो वहां से आदेश भी आ गया. समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव इन दिनों बेघर हैं और फिलहाल एक वीवीआईपी गेस्ट हाउस में हैं. वीवीआईपी गेस्ट हाउस में क्यों हैं, ये कुछ दिन पहले ही आई एक रिपोर्ट से पता चलता है. पहले देख लीजिए अखिलेश यादव का दार्शनिक ट्वीट, फिर उस रिपोर्ट की पड़ताल करते हैं जो कई पार्टियों के बारे में चौंकाने वाली तस्वीर सामने लाती है.

सैफई महोत्सव को लेकर अक्सर निशाने पर रहने वाली समाजवादी पार्टी इस समय देश की सबसे अमीर क्षेत्रीय पार्टी है. फिलहाल समाजवादी पार्टी की सरकार भी यूपी में नहीं रही, लेकिन बावजूद इसके अभी भी यह पार्टी देश की सबसे अमीर क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टी है. इस बात की गवाही दे रहे हैं आंकड़े. हाल ही में आए एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के आंकड़े साफ बता रहे हैं किसके पास कितना पैसा है. 2016-17 के आंकड़ों के अनुसार समाजवादी पार्टी इस समय देश की सबसे अमीर क्षेत्रीय पार्टी है. अब आप सोच रहे होंगे कि इनके पास कितनी दौलत है. तो चलिए जानते हैं इसके बारे में -

83 करोड़ की हुई कमाई

समाजवादी पार्टी ने 2016-17 में अपनी कुल आय 82.76 करोड़ रुपए घोषित की है और 32 क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टियों में पहले नंबर पर पहुंच गई है. यहां दिलचस्प बात है कि पार्टी का खर्च कमाई से करीब 64.34 करोड़ रुपए अधिक हुआ है. यानी पार्टी ने 2016-17 में कमाए तो 82.76 करोड़ रुपए, लेकिन खर्च कर दिए 147.10 करोड़ रुपए. 2016-17 में इतना अधिक खर्च सिर्फ इसलिए हुआ, क्योंकि इसी साल उत्तर प्रदेश में चुनाव थे, जिसके चलते चुनाव प्रचार में पार्टी ने खूब पैसे खर्च किए. इससे ये साफ दिखता है कि किस तरह यूपी चुनाव के दौरान पार्टी ने पानी की तरह पैसा बहाया था.

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अगर 2015-16 से इस कमाई की तुलना करें तो 14 पार्टियों की आय में गिरावट आई है, जबकि 13 पार्टियों की आय बढ़ी है. देखिए समाजवादी पार्टी, टीडीपी, एआईएडीएमके, एएचएस और एसएडी के आंकड़े ग्राफ के जरिए.

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इन पार्टियों के पास इतना पैसा आता कहां से है?

जैसा कि सैफई महोत्सव को लेकर अखिलेश यादव बता चुके हैं कि इसमें सरकार की तरफ से अधिकतम 10 करोड़ रुपए खर्च होते हैं बाकी का पैसा चंदा लेकर और अन्य लोगों के सहयोग से जमा किया जाता है. उसी तरह से पार्टी को भी पैसे चंदे से आते हैं. लेकिन हर कोई ये जरूर जानना चाहता है कि आखिर ये चंदा देता कौन है और क्यों.

समाजवादी पार्टी को 2012 चुनावों के दौरान सुदीप सेन नाम के एक शख्स ने तीन बार में करीब 1.50 करोड़ रुपए दिए थे. इससे पहले उनकी पत्नी अदिति सेन ने भी पार्टी फंड में 2011 से 2014 के दौरान 9 बार 25-25 लाख, एक बार 15 लाख, दो बार 10-10 लाख, एक बार 6 लाख, एक बार 5 लाख और उससे पहले दो बार 2-2 लाख रुपए दिए थे. सवाल ये कि कोलकाता के नजरूलगीति सिंगर सुदीप सेन और उनकी पत्नी का यूपी से क्या लेना-देना? वो तो कोलकाता में एक कल्चरल इंस्टीट्यूट चलाते हैं. लेकिन फिर एक दिन इस सवाल का जवाब भी मिल गया, कि बिना किसी स्वार्थ के इतने पैसे उन्होंने समाजवादी पार्टी को दान क्यों दिए.

समाजवादी पार्टी, अखिलेश यादव, राजनीतिक पार्टी, भाजपा, कांग्रेससुदीप सेन को अखिलेश सरकार ने यूपी टूरिज्म का चेयरमैन बना दिया था.

दरअसल, 2013 में अचानक अखिलेश यादव की सरकार ने सुदीप सेन को उत्तर प्रदेश टूरिज्म कॉरपोरेशन का चेयरमैन बना दिया और राज्य मंत्री का दर्ज भी दे दिया गया. जिनका यूपी से कोई नाता ही नहीं था, उन्हें यूपी सरकार में मंत्री पद मिल गया. इससे बड़ा स्वार्थ क्या होगा दान देने के पीछे.

शिवसेना को भी मिल चुका है ऐसा डोनेशन

महाराष्ट्र की क्षेत्रीय पार्टी शिवसेना को घरेलू सामान बनाने वाली कंपनी वीडियोकॉन ने काफी बड़ी रकम दान में दे दी थी. 2015-16 में शिवसेना को कुल 86.84 करोड़ रुपए का चंदा मिला था, जिसमें 85 करोड़ रुपए तो उन्हें सिर्फ वीडियोकॉन की तरफ से ही दान में दे दिया गया था. यहां आपको बता दें कि वीडियोकॉन के चेयरमैन और एमडी वेणुगोपाल धूत हैं, जिनके भाई राजकुमार धूत कंपनी के को-ऑनर तो हैं ही साथ ही शिवसेना के सदस्य भी हैं. वह शिवसेना की तरह से राज्यसभा में तीन बार लगातार पार्टी का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. यहां यह जानना बेहद दिलचस्प है कि जिस पार्टी ने 2016 में इनती बड़ी रकम दान में दे दी थी, वह कर्ज के बोझ तले दबा हुआ है और अब कर्जदार इस कंपनी को दिवालिया घोषित कराने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं.

समाजवादी पार्टी, अखिलेश यादव, राजनीतिक पार्टी, भाजपा, कांग्रेसराजकुमार धूत (बाएं) अपने भाई और वीडियोकॉन के एमडी वेणुगोपाल धूत (दाएं) के साथ.

देश की अन्य क्षेत्रीय पार्टियों का क्या है हाल?

2016-17 में 32 क्षेत्रीय पार्टियों की कुल आय 321.03 करोड़ रुपए रही. अगर देश की अन्य क्षेत्रीय पार्टियों पर नजर डालें तो 2016-17 में दूसरी सबसे अधिक कमाई करने वाली पार्टी तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) रही है. तीसरे नंबर पर 48.88 करोड़ रुपए की आय के साथ एआईएडीएमके है. इन 32 पार्टियों के अलावा 16 क्षेत्रीय पार्टियों के आंकड़े अभी उपलब्ध नहीं हैं, जिनमें भारतीय जनता पार्टी भी शामिल है.

समाजवादी पार्टी, अखिलेश यादव, राजनीतिक पार्टी, भाजपा, कांग्रेसये है 32 क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टियों की लिस्ट.

समाजवादी पार्टी, अखिलेश यादव, राजनीतिक पार्टी, भाजपा, कांग्रेसइन 16 क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टियों का डेटा उपलब्ध नहीं है, जिसमें आम आदमी पार्टी भी शामिल है.

भाजपा है देश की सबसे अमीर पार्टी

अगर 2016-17 में नेशनल पार्टियों की कमाई पर गौर किया जाए तो भाजपा देश की सबसे अमीर पार्टी है. यूं तो दूसरे नंबर पर कांग्रेस है, लेकिन उसकी कमाई भाजपा से 5 गुना कम है. भाजपा की कमाई करीब 81 फीसदी बढ़कर 1034.27 करोड़ रुपए पर पहुंच गई है. यहां आपको बता दें कि कुल 7 पार्टियों की कमाई 1,559.17 करोड़ रुपए है. यानी कुल कमाई का लगभग दो तिहाई तो सिर्फ भाजपा के खाते में गया है. कांग्रेस के 2016-17 के दौरान 225.36 करोड़ रुपए की कमाई हुई, जिसके साथ वह दूसरी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है.

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पार्टियों की कमाई के बारे में तो हमने जान लिया, लेकिन क्या आपको ये पता है कि पैसे आते कहां से हैं? किसी भी राजनीतिक पार्टी की कमाई का मुख्य जरिया उन्हें मिलने वाला चंदा होता है. इसके अलावा पार्टियों द्वारा जो फिक्स डिपॉजिट किया जाता है, उस पर उन्हें ब्याज भी मिलता है, जो उनकी कमाई में जुड़ता है. ये तो थी कमाई की बात. इन पार्टियों का खर्च सबसे बड़ा खर्च चुनाव प्रचार में होता है.

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