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Updated: 19 जुलाई, 2017 07:24 PM
अरविंद मिश्रा
अरविंद मिश्रा
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राष्ट्रपति के मतदान खत्म होते ही अब उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर देश में राजनीतिक माहौल अपने चरम सीमा पर पहुंच गया है. एनडीए की ओर से केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू जहां मैदान में हैं वहीं विपक्ष के तरफ से गोपालकृष्ण गांधी उपराष्ट्रपति के उम्मीदवार हैं. वैसे तो आंकड़ों के मुताबिक वेंकैया नायडू की जीत पक्की है लेकिन विपक्ष आगे के रणनीति के तहत एकजुटता दिखा रहा है.

venkaiah naiduएनडीए ने केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू को उपराष्ट्रपति पद के लिए उतारा है

एनडीए की तरफ से वेंकैया नायडू की उम्मीदवारी बड़ी सोच-समझकर की गई है. जानते हैं उन कारणों को जिसकी वजह से वेंकैया को उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया गया.

1. दक्षिण का चेहरा

वेंकैया नायडू आंध्र प्रदेश से आते हैं. बीजेपी ने नार्थ इंडिया में अपनी पकड़ मजबूत कर ली है लेकिन दक्षिण भारत में ये पकड़ उतनी मजबूत नहीं है. ऐसे में बीजेपी ने साउथ के ट्रम्प कार्ड की चाल चल दी. यही नहीं दक्षिण भारत में वेंकैया की जमीनी पकड़ बहुत मजबूत है. दक्षिण भारत से संबंधित फैसलों पर मोदी और बीजेपी वेंकैया की राय जरूर लेती है. शुरुआती दौर में जब आंध्र और दक्षिण के अन्य राज्यों में बीजेपी कमजोरी थी, तो वेंकैया ने पार्टी को मजबूत बनाने के लिए विशेष योगदान दिया था. इससे राज्य विधानसभा चुनावों के अलावा 2019 के चुनाव में भी एनडीए को फायदा होगा.

2. संसदीय कामकाज का अनुभव

उनके पक्ष में उम्मीदवारी का सबसे अहम कारण उनका संसदीय कामकाज का अनुभव होना है. उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति होते हैं और सदन की कार्रवाई में अहम भूमिका निभाते हैं. वेंकैया 1998 से लगातार राज्यसभा के सदस्य हैं. उन्हें संसदीय कार्य मंत्री के रूप में भी कार्य करने का अनुभव है. वे  1998, 2004,2010 और 2016 में राजस्थान से राज्यसभा सांसद बने.

3. गैर विवादित छवि

वेंकैया नायडू भाजपा के पुराने सिपाही रहे हैं. वो कभी भी विवाद में नहीं रहे या फिर विवादित बयान नहीं दिए. पार्टी और सरकार में हर मौके पर उन्हें अच्छा पद मिलता रहा, यानी इतने लंबे समय से पार्टी में रहते हुए भी कभी किसी बड़े विवाद में नहीं पड़े.

4. संघ से नजदीकी

संघ के पदाधिकारियों से वेंकैया के अच्छे संबंध रहे हैं. ऐसे में जब बीजेपी की ओर से उनके नाम का प्रस्ताव किया गया तो आरएसएस की ओर से कोई आपत्ति नहीं दर्ज करवाई गई.

venkaiah naidu, narendra modiमोदी के भरोसेमंद हैं वेंकैया नायडू

5. भाजपा और मोदी के भरोसेमंद

वेंकैया नायडू भाजपा और नरेंद्र मोदी के पुराने और भरोसेमंद सिपाही रहे हैं. वो 1980 से 1983 के बीच भाजपा युवा मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे. 1980 से 1985 तक वे आंध्र प्रदेश में भाजपा विधायक दल के नेता रहे. 1988 से 1993 तक उन्हें आंध्र भाजपा का अध्यक्ष बनाया गया. आंध्र प्रदेश अध्यक्ष बनने के कुछ ही सालों बाद दिल्ली के राजनीतिक गलियारे में उनको जगह मिल गई. 1993 से 2000 तक वह भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव रहे. जुलाई 2002 से दिसंबर 2002 तक  पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे.  जब उन्हें दिसंबर 2002 में  अध्यक्ष पद से हटाया गया तो भी उन्होंने चुपचाप फैसला माना. 1996 से 2000 के बीच उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता की भी भूमिका निभाई. वेंकैया अटल बिहारी वाजपेयी, आडवाणी या फिर मोदी, सबकी पसंद रहे.

6. वरिष्ठ नेता

वेंकैया नायडू की उम्र 70 के करीब होने वाली है. वेंकैया अनुभवी होने के साथ ही नरेंद्र मोदी के वरिष्ठ सहयोगियों में से एक हैं. सूत्रों के अनुसार राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें ही वैल्यू देते हैं. सामान्तया ऐसा देखा गया है कि उपराष्ट्रपति ही राष्ट्रपति बने हैं ऐसे में वो पांच साल बाद राष्ट्रपति भी बन सकते हैं, अगर आगे भाजपा की स्थिति ठीक रही तो.

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लेखक

अरविंद मिश्रा अरविंद मिश्रा @arvind.mishra.505523

लेखक आज तक में सीनियर प्रोड्यूसर हैं.

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