एन्टी-ब्लैकमनी डे मनाने का दस्तूर कुछ यूं खत्म हुआ...
नोटबंदी को एक साल पूरा होने पर 8 नवंबर को पिछले साल मोदी सरकार के मंत्रियों ने एंटी-ब्लैकमनी डे के रूप में सेलिब्रेट किया. लेकिन इस बार आश्चर्यजनक रूप से ये सेलिब्रेशन नहीं हुआ.
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8 नवंबर- वो तारीख, जिस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में नोटबंदी का फैसला सुनाया था. ऐसा फैसला, जिसे लेकर सरकार अपनी पीठ थपथपाते नहीं थकती है और विपक्ष लगातार इस फैसले की आलोचना करता है. 500 और 1000 रुपए का चलन बंद होने को लेकर अर्थशास्त्रियों का अपना मत था. जब इस फैसले को एक साल पूरा हुआ, ताे मोदी सरकार ने इस दिन को एंटी-ब्लैकमनी डे के रूप में मनाया, जबकि विपक्षी पार्टियां इसे काला दिन कहती रहीं. लेकिन, 8 नवंबर को इस फैसले को दो साल पूरे होने पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच दावे-प्रतिदावे और आरोप-प्रत्यारोप ही हुए. एंटी-ब्लैकमनी डे कहीं गुम हो गया.
एंटी ब्लैकमनी डे को लेकर जैसा शोर पिछली बार सुनाई दे रहा था वैसा इस बार नहीं सुनाई दे रहा है.
जेटली की रस्म-अदायगी
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ब्लॉग लिखकर नोटबंदी की तारीफ की. उन्होंने अपने ब्लॉग में लिखा है कि 31 अक्टूबर 2018 तक जितना पर्सनल टैक्स जमा हुआ है, वह पिछली बार के मुकाबले 20.2 फीसदी अधिक है. कॉरपोरेट टैक्स भी 19.5 फीसदी अधिक जमा हुआ है. टैक्स चोरी करने वालों की संख्या में काफी कमी आई है और ऐसे लोगों पर कार्रवाई हुई है. उन्होंने लिखा है कि अर्थव्यवस्था को ठीक करने के लिए नोटबंदी का फैसला बहुत ही अहम कड़ी है. नोटबंदी का सकसद सिर्फ कैश को जब्त करना नहीं था, बल्कि हम चाहते थे कि लोग टैक्स के दायरे में आएं. नोटबंदी से अधिक टैक्स रेवेन्यू जमा करने और टैक्स बेस बढ़ाने में मदद मिली है.
कांग्रेस बताती रही 'मनहूस' कदम
जहां एक ओर भाजपा और अरुण जेटली ने नोटबंदी की तारीफों के पुल बांध दिए, वहीं दूसरी ओर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नोटबंदी को 'बीमार सोच' और 'मनहूस' कदम करार दिया है. उन्होंने कहा है कि नोटबंदी ने देश की अर्थव्यवस्था पर कहर बरपाया है, जिससे हर धर्म, जाति, पेशा या संप्रदाय का व्यक्ति प्रभावित हुआ है. वह आगे कहते हैं कि यूं तो वक्त सभी जख्मों को भर देता है, लेकिन नोटबंदी के जख्म दिन-ब-दिन और गहराते जा रहे हैं.
Today marks the 2nd anniversary of the ill-fated&ill-thought demonetisation exercise that the Narendra Modi govt undertook in 2016. The havoc that it unleashed on Indian economy & society is now evident to everyone: Former PM Manmohan Singh (File pic) pic.twitter.com/yP1bO0XsqA
— ANI (@ANI) November 8, 2018
कितनी चुकानी पड़ी कीमत?
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने एक ट्वीट के जरिए नोटबंदी की कीमत समझाई है. उन्होंने इसे आपदा बताते हुए एक इंफोग्राफिक ट्वीट किया है. उनके अनुसार 8 हजार करोड़ रुपए का खर्च नोटों की छपाई में आया, 15 लाख लोगों की नौकरी गई, 100 लोग जान से हाथ धो बैठे और 1.5 फीसदी जीडीपी में गिरावट आई.
#DestructionByDemonetisation https://t.co/3u2Esggxg8
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) November 8, 2018
ममता ने बताया घोटाला
बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी की मुखिया ममता बनर्जी ने नोटबंदी की आलोचना करते हुए ट्वीट में इसे 'काला दिन' कहा है और लिखा है कि सरकार ने नोटबंदी जैसा बड़ा घोटाला कर के देश की जनता को धोखा दिया है. इससे न सिर्फ अर्थव्यवस्था को चोट पहुंची, बल्कि लाखों लोगों की जिंदगी तबाह हो गई. जिन लोगों ने नोटबंदी की, उन्हें लोग जरूर सजा देंगे.
#DarkDay Today is the second anniversary of #DeMonetisation disaster. From the moment it was announced I said so. Renowned economists, common people and all experts now all agree.
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) November 8, 2018
ओवैसी भी हुए हमलावर
एआईएमआईएम नेता और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट करते हुए लिखा है सीधी पीएम मोदी पर हमला बोला है. उन्होंने पीएम मोदी को संवेदनहीन बताया है और कहा है कि उनकी गलती से ही लाखों लोगों की जिंदगी बर्बाद हो गई. वह आगे लिखते हैं- वह चाहते हैं कि हम नोटबंदी को भूल जाएं, जिस तरह उन्होंने हमसे गुजरा 2002 को भूल जाने के लिए कहा था, लेकिन हम नहीं भूलेंगे.
Do you remember Modi laughing manically, saying 'ghar mein shaadi hai aur paise nahin hai'?. His lack of empathy has destroyed millions of lives & disrupted our rural economy. In 2019, he will ask us to forget DeMo, just like he asked us to forget Gujarat 2002, but we won't. https://t.co/htmGgyPQQJ
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) November 7, 2018
8 नवंबर 2016 को मोदी सरकार ने नोटबंदी की थी, ताकि काले धन पर लगाम लगाई जा सके. आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार करीब 99.30 फीसदी 500 और 1000 रुपए के बैन किए गए नोट वापस आ चुके हैं. सरकार को उम्मीद थी कि कम से कम 3 लाख करोड़ रुपए का कालाधन है, जो बैंकिंग सिस्टम में वापस नहीं आएगा, लेकिन सिर्फ 10,720 करोड़ रुपए को छोड़कर बाकी सारे पैसे बैंकों में वापस आ चुके हैं. यही वजह है कि विपक्ष लगातार नोटबंदी को बेवजह और अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने वाला बताता रहा है, जबकि मोदी सरकार इसे बेहद अहम कदम बताती है. मोदी सरकार का तर्क है कि इसकी वजह से टैक्स कलेक्शन बढ़ा है और डिजिटल लेनदेन में भी बढ़ोत्तरी हुई है. इस दावे का समर्थन करने के लिए भाजपा ने एक के बाद एक कई ट्वीट के साथ इंफोग्राफिक्स शेयर किए हैं. मुख्य फोकस इसी बात पर रहा कि नोटबंदी की वजह से टैक्स कलेक्शन बढ़ गया है. खैर, नोटबंदी लागू करते वक्त सरकार ने जो सोचा था कि कालाधन जब्त होगा, वो तो हुआ नहीं. इसलिए मोदी सरकार भी नोटबंदी पर अधिक बात नहीं करती. इस बार एंटी-ब्लैक मनी डे का ठंडा पड़ जाना भी इसी ओर इशारा करता है कि अब नोटबंदी को धीरे-धीरे भुलाने की कोशिशें हो रही हैं.
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