5 गलती जो आजम खान ने की, और फिर सिर मुड़ाते ही ओले पड़े
आजम खान पर योगी सरकार द्वारा लिए जा रहे एक्शन पर मचा सियासी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा. सपा इसे एक बड़ी राजनीतिक साजिश बताते हुए आजम के समर्थन में रामपुर में शक्ति प्रदर्शन कर रही है और इसे योगी सरकार की एकतरफा कार्रवाई बता रही है.
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आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्लाह आजम की अनियमितताओं पर सीएम योगी आदित्यनाथ की सख्ती समाजवादी पार्टी को अखर गई है. आजम खान के समर्थन में सपा की उत्तर प्रदेश इकाई ने रामपुर में योगी प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. पार्टी अपने सांसद पर रामपुर जिला प्रशंसन की एकतरफा कार्रवाई का आरोप लगा रही है. स्थिति तनावपूर्ण न हो इसलिए जिला प्रशासन अलर्ट है. सपा नेताओं के रामपुर आने की घोषणा के बाद शहर में धारा 144 लगी है जबकि शहर की सीमा पर तलाशी अभियान चलाया जा रहा है. ज्ञात हो कि बीते दिनों ही आजम खान के पुत्र अब्दुल्ला आजम को रामपुर में पुलिस हिरासत में लिया गया है. स्वार से सपा विधायक अब्दुल्ला पर सरकारी कार्य में बाधा डालने का आरोप है.
आजम खान के ऊपर संकट के बादल छंटने का नाम नहीं ले रहे और आए रोज उनकी मुसीबतें बढ़ती जा रही हैं
रामपुर के पुलिस अधीक्षक अजयपाल शर्मा के मुताबिक, अब्दुल्ला आजम को सरकारी काम में बाधा डालने के आरोप में हिरासत में लिया गया है. ध्यान रहे कि एक शिकायत के बाद जौहर विश्वविद्यालय में छापेमारी की कार्रवाई चल रही थी जिसका अब्दुल्ला ने विरोध किया था. आपको बताते चलें कि ओरिएंटल कॉलेज नाम के एक संस्थान के प्रधानाचार्य जुबैर खान ने शिकायत की थी कि जौहर यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी में कुछ ऐसी किताबें हैं जो दुर्लभ किस्म की हैं और जिन्हें चोरी किया गया है.
मामले की जांच 16 जून से शुरू हुई और इसी जांच के मद्देनजर पुलिस ने यूनिवर्सिटी के कैम्पस में छापा मारा था. छापे के दौरान पुलिस को यूनिवर्सिटी के पुस्तकालय से 2500 से ज्यादा ऐसी किताबें मिलीं हैं जो न सिर्फ दुर्लभ हैं बल्कि जिन्हें चोरी किया गया है. अब्दुल्लाह के विषय में बताया जा रहा है कि वो पुलिस द्वारा लिए जा रहे एक्शन में अड़ंगा डाल रहे थे.
सपा द्वारा लगातार योगी आदित्यनाथ पर राजनीतिक साजिश का आरोप लगाया जा रहा है, साथ ही ये भी कहा जा रहा है कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने पद का दुरूपयोग करते हुए एकतरफा कार्रवाई कर रहे हैं और सपा की छवि धूमिल कर रहे हैं. ये कोई पहली बार नहीं है जब आजम खान पर गाज गिरी है.
सरकारी कार्य में बाधा डालने के लिए आजम खान के बेटे को गिरफ्तार किया गया है
रामपुर के सांसद आजम खान का यदि अवलोकन किया जाए तो मिलता है कि उनके ऊपर संकट के बदल तो उसी वक़्त मंडराने शुरू हो गए थे जब 2017 में पार्टी ने हार का सामना किया था और अखिलेश यादव को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी थी. मान किया गया था कि योगी आदित्यनाथ के यूपी का मुख्यमंत्री बनने के बाद किसी भी क्षण इनपर शिकंजा कसा जा सकता है.
लोकसभा चुनावों से काफी पहले हो चुकी थी बुरे दिनों की शुरुआत
कहावत है कि बुरा वक़्त बताकर नहीं आता है. अक्सर ही अपने विवादित बयानों से चर्चा में रहने वाले आज़म खान का बुरा वक़्त लोकसभा चुनावों से ठीक उस वक़्त शुरू हुआ था. जब उन्होंने भाजपा नेता जयाप्रदा को लेकर अभद्र टिप्पणी की थी. आज़म के बयान के बाद उनकी खूब आलोचना हुई थी. तमाम भाजपा नेताओं ने आजम खान को स्त्री विरोधी बताया था. बात हाल फिल्हाल की हो तो मौलाना अली जौहर यूनिवर्सिटी आजम खान के गले की फांस बनी हुई है. आजम खान के ऊपर रामपुर में बनी मौलाना अली जौहर यूनिवर्सिटी के लिए करोड़ों रुपये की जमीन हथियाने की बात सामने आई थी जिसपर एक्शन लेते हुए पुलिस ने आजम खान के ऊपर 26 नए मामले दर्ज किये.
यही नहीं उत्तर प्रदेश शासन की फाइलों में बतौर भू माफिया अपना नाम दर्ज करा चुके आजम खान को अभी कुछ दिनों पहले ही उत्तर प्रदेश के सिंचाई विभाग का नोटिस मिला है. नोटिस में इस बात का जिक्र था कि उन्होंने रामपुर में बने लग्जरी रिसॉर्ट 'हमसफर' के लिए सरकारी जमीन पर कब्ज़ा किया और रिसोर्ट बनाया है.
संसद में हो चुकी है थू थू
भले ही आज उत्तर प्रदेश की सपा इकाई आजम खान के हित में प्रदर्शन कर रही हो मगर देखा जाए तो इतना सब होने के बावजूद तमाम बड़े नेता आजम से दूरी बनाए हुए हैं. बात वजह की हो तो इसकी एक बड़ी वजह इनके उस भाषण को माना जा सकता है. ध्यान रहे कि संसद में इन्होंने सभापति रमा देवी के सामने एक शेर पढ़ा और पुनः अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया. आज़म के इस बयान की तीखी आलोचना हुई और बात यहां तक आ गई कि जिस आदमी में बात करने का ढंग न हो उसे लोकतंत्र के मंदिर में रहने का कोई अधिकार नहीं है.
रमा देवी को कहे गए अपशब्दों पार्ट आजम ने माफ़ी तो मांगी मगर उनका लहजा बता रहा था कि उन्हें अपनी गलती का कोई पछतावा नहीं है
संसद में इन्होंने सभापति रमा देवी के सामने शेर पढ़ा और बातों बातों में अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया. आज़म के इस बयान की तीखी आलोचना हुई और बात यहां तक आ गई कि जिस आदमी में बात करने का ढंग न हो उसे लोकतंत्र के मंदिर में रहने का कोई अधिकार नहीं है. विवाद बढ़ा तो आजम खान ने माफ़ी मांगी. मगर जिस अंदाज में आज़म ने संसद को संबोधित किया और जिस लहजे में इन्होंने माफ़ी मांगी उसको देखकर कहीं से भी ऐसा नहीं लग रहा था कि आजम अपनी गलती पर शर्मिंदा हैं.
बहरहाल आजम खान पर मचा ये सियासी घमासान कब थमता है. इसका फैसला वक़्त करेगा. मगर जिस तरह आजम खान पर बिना सिर मुड़ाए ही ओले पड़ रहे हैं. साफ पता चल रहा है कि जैसे जैसे दिन बीतेंगे मामला और धार पकड़ेगा और इसपर मचा सियासी घमासान बदस्तूर जारी रहेगा. बाकी अब जब आजम खान के बुरे वक्त की शुरुआत हो ही चुकी है तो ये बताना भी कहीं न कहीं जरूरी हो जाता है कि इनका बुरा वक्त तभी दूर होगा जब सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ चाहेंगे और इनकी तरफ कृपा दृष्टि से देखेंगे.
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