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Updated: 24 दिसम्बर, 2018 12:15 PM
अभिनव राजवंश
अभिनव राजवंश
  @abhinaw.rajwansh
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पाकिस्तान के नए नवेले प्रधानमंत्री इमरान खान भारत के हरेक मामले में अपनी राय रखना अपना परम कर्त्तव्य मानते हैं. और इसी कर्त्तव्य को निभाते हुए खान ने नसीरुद्दीन शाह के बयान पर भी अपनी राय जाहिर कर ही दी. दरअसल फिल्म अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने हाल ही में भीड़ द्वारा की गई हिंसा का परोक्ष हवाला देते हुए कहा था कि एक गाय की मौत को एक पुलिस अधिकारी की हत्या से ज्यादा तवज्जो दी जा रही है. अभिनेता ने मजहब को लेकर हिंसा पर भी चिंता जताई थी. शाह के इसी बयान का हवाला देते हुए इमरान खान अब पाकिस्तान और बंटवारे के लिए जिम्मेद्दार मुहम्मद अली जिन्नाह को महान बताने में लगे हैं. इमरान अब सभी धर्मों को बराबरी देने के मुद्दे पर भारत को 'ज्ञान' देते नजर आ रहे हैं.

इमरान के अनुसार 'नसीरुद्दीन शाह ने जो अब बोला है, यही बात पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना बहुत पहले बोल चुके हैं. इमरान खान ने कहा कि मोहम्मद अली जिन्ना को पता था कि जिस हिंदुस्तान की कांग्रेस मांग कर रही है उसमें मुस्लिमों को बराबर का नहीं समझा जायेगा. इसलिए उन्होंने एक नए देश पाकिस्तान के रूप में मांग की थी. जहां पर सभी मुस्लिम बराबरी हक के साथ एकसाथ रह सकें. इमरान खान ने साथ ही यह भी कहा कि वह नरेंद्र मोदी सरकार को ‘‘दिखाएंगे’’ कि ‘‘अल्पसंख्यकों से कैसे व्यव्हार करते हैं?’’

imran khanपाकिस्तन के प्रधानमंत्री इमरान खान भारत पर बोलने से पहले अपने देश के आंकड़ों पर नजर डाल लें

हालांकि भारत को अल्पसंख्यकों के साथ व्यव्हार करने का ज्ञान देने वाले इमरान शायद यह बताना भूल गए कि उनके मुल्क में गैर मुस्लिम होना किसी अपराध से कम नहीं है. इमरान जिन्ना की तारीफ करते हुए यह बताना भूल गए कि जब जिन्ना को पाकिस्तान दिया गया था तब पाकिस्तान में गैर मुस्लिम (हिन्दू, ईसाई और सिख) की आबादी पाकिस्तान की कुल जनसंख्या का 20 फीसदी के करीब हुआ करती थी, मगर पाकिस्तान बनने के पचास सालों के भीतर ही गैर मुस्लिमों की संख्या घटकर कुल आबादी के 3 प्रतिशत से भी कम हो गयी है.

इसी महीने अमेरिका के ट्रम्प प्रशासन ने पाकिस्तान को धार्मिक आज़ादी के लिहाज से सबसे बदत्तर देशों की सूची में डाला है. अमेरिका ने पाकिस्तान को इस सूची में डालने को लेकर जो तर्क दिए हैं उसके अनुसार पाकिस्तान अलग-अलग धर्मों को मानने वाले लोगों को सुरक्षा देने में असमर्थ है. अमेरिका ने जो आंकड़े दिए हैं उसके अनुसार पूरे विश्व में ईश-निंदा के आरोप में जेलों में बंद कुल लोगों में से आधे पाकिस्तान की जेलों में बंद हैं. अभी पिछले ही महीने ईशनिंदा के मामले में एक ईसाई महिला आसिया बीबी को सुप्रीम कोर्ट द्वारा बरी किए जाने के बाद पाकिस्तान में हड़कंप मच गया था. उसके बाद पाकिस्तान के कई शहरों में फैसले के खिलाफ बवाल शुरू हो गया था. बवाल कुछ इस कदर बढ़ा कि खुद पीएम इमरान को हालात पर काबू करने के लिए सामने आना पड़ा.

आपको बता दें कि पाकिस्तान के ईशनिंदा कानून में कुरान और पैगंबर मोहम्मद के अपमान को अपराध की श्रेणी में रखा गया है, हालांकि अपमान की कोई व्याख्या ही नहीं है. ईशनिंदा कानून को कई चरणों में बनाया गया और उसका विस्तार किया गया. अहमदी विरोधी कानून 1984 में शामिल गया था. इस कानून के तहत अहमदियों को खुद को मुस्लिम या उन जैसा बर्ताव करने और उनके धर्म का पालन करने पर प्रतिबंध था. वहीं 1982 में एक और धारा में कहा गया कि अगर कोई व्यक्ति कुरान को अपवित्र करता है तो उसे उम्रकैद की सज़ा दी जाएगी. वर्ष 1986 में अलग धारा जोड़ी गई जिसमें पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ ईशनिंदा के लिए दंडित करने का प्रावधान किया गया और मौत या उम्र कैद की सज़ा की सिफारिश की गई.

hindu in pakistan पाकिस्तान में रहने वाले हिंदुओं के लिए वहां रहना बेहद मुश्किल है

एक रिपोर्ट के अनुसार 1987 से 2016 के बीच 1500 से अधिक लोगों को इस कानून के तहत आरोपित किया जा चुका है, तो वहीं 1990 के बाद 75 से अधिक लोगों की हत्या पैगंबर का अपमान करने के आरोप में कर दी गई. पाकिस्तान के हालात तो ऐसे हैं कि गैर मुस्लिम धर्म की तो बात ही दूर है खुद शिया मुसलमानों और अहमदी को भी पाकिस्तान में काफी दुष्वारियों का सामना करना पड़ता है.

यह पाकिस्तान की लचर कानून व्यवस्था का ही एक नमूना है कि पाकिस्तान में गैर मुस्लिमों को या तो जबरन मुस्लिम धर्म मानने को मजबूर कर दिया जाता है या उन्हें तरह-तरह से प्रताड़ित किया जाता है. साल 2014 में पाकिस्तान संसद में पाकिस्तान मुस्लिम लीग के डॉ रमेश ने यह बात कही थी कि पाकिस्तान से हरेक साल लगभग 5000 हिन्दू भारत में पलायन कर रहे हैं. इसके अलावा आंकड़े बताते हैं कि 1965 में करीब 10 हजार, 1971 में 90 हजार और 1977-78 में करीब 55 हजार हिंदुओं का भारत मे पलायन हुआ था.

यह आकड़ें यह बताने को काफी हैं कि पाकिस्तान में कितनी धार्मिक स्वतंत्रता है. मगर जब उसी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री भारत को धार्मिक आजादी को लेकर नसीहत दे तो इसे विडंबना कहें या हास्यास्पद ये वाकई समझ से परे है. अब कहा यही जा सकता है कि इतनी बड़ी-बड़ी कथनी वाले इमरान खान थोड़ी अपनी करनी पर भी ध्यान दें तो हो सकता है कि पाकिस्तान की स्थिति भी थोड़ी बदले. फिर शायद पाकिस्तान भी अलग-अलग धर्मों के मानने वालों के लिए रहने लायक जगह हो जाए.

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अभिनव राजवंश अभिनव राजवंश @abhinaw.rajwansh

लेखक आज तक में पत्रकार है.

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