संकटकाल से गुजरती भारतीय क्षेत्रीय पार्टियां
जब से केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी सरकार का गठन हुआ है तब से कुछ क्षेत्रीय पार्टियों के हाल ठीक नहीं चल रहे हैं. हर जगह संकट के बादल छाये हुए हैं.
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भारत में बहुदलीय राजनीतिक प्रणाली प्रचलित है जिसमें क्षेत्रीय समस्याओं या मुद्दों को उठाने के लिए क्षेत्रीय दलों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है. हमारे देश में समय-समय पर क्षेत्रीय पार्टियों का गठन होता रहा है और ये देश के संसदीय लोकतंत्र में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका बखूबी निभाते भी रहे हैं. लेकिन हाल के कुछ दिनों में खासकर जब से केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी सरकार का गठन हुआ है तब से कुछ क्षेत्रीय पार्टियों के हाल ठीक नहीं चल रहे हैं. हर जगह संकट के बादल छाये हुए हैं. चाहे वो दिल्ली, तमिलनाडु, ओडिशा, बिहार, उत्तर प्रदेश या फिर पश्चिम बंगाल हो, हर जगह कुछ न कुछ परेशानियां हैं और ये पार्टियां मुरझायी जा रही हैं और इन सबके बीच भाजपा का कमल खिलता चला जा रहा है. तो आइये जानते हैं किस राज्य में क्या परेशानियां चल रही है.
दिल्ली:
सबसे पहले बात करते हैं देश की राजधानी दिल्ली से. साल 2015 में आम आदमी पार्टी के शानदार या यों कहें कि ऐतिहासिक जीत के बाद इस साल हुए MCD के चुनाव में इसे शर्मनाक प्रदर्शन के बाद पार्टी आंतरिक कलह से जूझ रही है. कुमार विश्वास का मामला शांत हुआ तो अरविन्द केजरीवाल सरकार में मंत्री रहे कपिल मिश्रा ने मुख्यमंत्री को 2 करोड़ रूपये के खेल में फंसा दिया.
हालांकि जल मंत्री रहे कपिल मिश्रा को निलंबित कर दिया गया. अब कपिल मिश्रा आम आदमी पार्टी के नेताओं के द्वारा विदेश यात्रा के खर्चे को सार्वजनिक करने को लेकर धरने पर बैठ गए. तो दो करोड की घूस की आंखोंदेखी के आरोप से निकला मामला विदेश यात्रा पर आ टिका है. और इस हंगामें में सियासत चरम पर है.
बिहार:
बिहार में नितीश कुमार की जदयू और लालू की पार्टी राजद की गठबंधन सरकार है. बीजेपी को सत्ता में आने से रोकने के लिए दोनों ने विधानसभा चुनाव में गठबंधन किया था और सरकार बनाने में सफलता भी हासिल की. ये बात अलग है कि कभी दोनों एक दूसरे के घोर विरोधी रहे थे लेकिन सत्ता के लालच ने दोनों को एक साथ ला दिया. कुछ दिन पहले बिहार के बाहुबली नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन और लालू के बीच कथित टेप को सार्वजनिक किया गया था, जिसमें शहाबुद्दीन ने जेल में रहते हुए लालू से फोन पर बात की थी.
इस वाकये के बाद सुशासन बाबू के नाम से प्रसिद्ध नितीश कुमार पर विपक्षी पार्टियों ने हल्ला बोला था और और उनसे इस्तीफे की भी मांग की थी. इसके बाद दूसरा झटका इस गठबंधन को तब लगा जब सुप्रीम कोर्ट ने चारा घोटाले के आरोपी लालू प्रसाद पर फिर से केस चलाने की अनुमति दे दी. भाजपा नेता सुशील मोदी राजद को मिटटी घोटाले में पहले से ही आरोप लगा रहे थे.
उत्तर प्रदेश:
इस राज्य में समाजवादी पार्टी में परिवारवाद का संकट है. यहां पहले से चले आ रहे चाचा शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के बीच का झगड़ा और तल्ख हो गया जब विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी का सूपड़ा साफ हो गया.
अब नौबत यहां तक आ पहुंची कि मुलायम सिंह ने कह दिया कि कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ने से सपा का बुरा हाल हुआ है और चाचा शिवपाल ने तो नई पार्टी बनाने का ऐलान भी कर दिया. वैसे जहां तक मायावती के हाल का सवाल है तो उनकी पार्टी बसपा का हाल तो पहले से ही खराब था.
ओडिशा:
ओडिशा में हाल के लोकल चुनावों में बीजेपी के शानदार प्रदर्शन को देखते हुए 17 सालों से राज कर रहे बीजू जनता दाल के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक घबराये हुए हैं और इसी कारण उन्होंने अपने दस मंत्रियों को भी बदल डाला है.
पश्चिम बंगाल:
यहां सीबीआई का शिकंजा शारदा घोटाले के मद्देनजर कस रहा है. सुदीप्तो सेन ने सीबीआई को 18 पन्नों का खत लिखकर इस चिट फंड में पश्चिम बंगाल के कई नेताओं द्वारा ब्लैकमेल किये जाने की बात भी कही थी जो ममता बनर्जी की सरकार के लिये भी मुश्किलें पैदा कर रही हैं. ममता बनर्जी भाजपा के खिलाफ मोर्चा बनाने के लिए भी प्रयासरत हैं.
तमिलनाडु:
यहां का राजनीतिक परिदृश्य जयललिता के देहांत के बाद स्थिर नहीं है. शशिकला और पनीरसेल्वम के झगड़े में एआईएडीएमके की सत्ता या तमिलनाडु की सत्ता दाएं-बाएं इधर उधर चल रही है. इस पार्टी के कुछ धड़ों ने प्रेसिडेंशियल चुनाव में भाजपा का साथ देने का भी ऐलान कर दिया है.
ये तस्वीर है हिंदुस्तान के भीतर की. ये तस्वीर इसलिए ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि भाजपा ने नारे की शुरुआत की थी कांग्रेस मुक्त भारत से और अब हमें देखने को मिल रहा है विरोधी मुक्त भारत.
एक समय था जब ये क्षेत्रीय पार्टियां लोकप्रियता हासिल कर राष्ट्रीय पार्टियों के सामने चुनौतियां पेश कर रही थीं लेकिन अब धीरे-धीरे इनकी पकड़ ढीली होती जा रही है और इसका भरपूर फायदा भाजपा को मिल रहा है.
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