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Updated: 16 फरवरी, 2018 09:40 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
  @msTalkiesHindi
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'परीक्षा पे चर्चा' के दौरान दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में भी चकाचौंध तकरीबन वैसी ही रही जैसी अमेरिका के मैडिसन स्क्वॉयर पर मोदी के कार्यक्रम में देखी गयी. तब मोदी को रॉकस्टार के रूप में नजर आये थे, बच्चों के बीच काउंसिलर बन गये. हालांकि, प्रधानमंत्री मोदी ने खुद को दोस्त समझने को कहा. बातों बातों में ही मोदी ने राजनीतिक जीवन के कई सारे अनुभव शेयर किये और कामयाबी के ढेरों नुस्खे भी सुझाये. प्रधानमंत्री ने जो सबसे बड़ी लाइन दी वो रही - 'भारत का बच्चा जन्मजात राजनेता होता है.'

प्रधानमंत्री के इस कार्यक्रम में मौजूद बच्चों के अलावा देश के कई हिस्सों से बच्चे टीवी के माध्यम से जुड़े हुए थे उन्होंने लाइव सवालों के जवाब भी दिये. बच्चों के कार्यक्रम के जरिये प्रधानमंत्री ने अभिभावकों को सलाह दी कि वे अपने अधूरे सपनों को अपने बच्चों पर न थोपें.

तो सवाल ये है कि भारत का हर बच्चा जन्म से ही कैसे राजनेता होता है? प्रधानमंत्री ने इसकी वजह देश में संयुक्त परिवार के कंसेप्ट को बताया. प्रधानमंत्री ने बताया कि बच्चा संयुक्त परिवार में रहते रहते ही राजनीति सीख जाता है - क्योंकि उसे कोई भी काम करवाने के लिए घर में राजनीति करनी पड़ती ही है.

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बच्चों से चली लंबी बातचीत में प्रधानमंत्री मोदी ने देश दुनिया से तमाम उदाहरणों का जिक्र करते हुए उन्हें हर तरह से मोटिवेट करने की कोशिश की. 'परीक्षा पे चर्चा' में मोदी की बातों से निकले सात सूत्र हम यहां दे रहे हैं जो किसी भी बच्चे को टॉपर बना सकते हैं - और इसके लिए फर्क नहीं पड़ता कि फील्ड मेडिकल, इंजीनियरिंग जैसे परंपरागत हैं या नये जमाने के उद्यम के तरीके, स्टार्टअप... या फिर राजनीति ही क्यों न हो!

1. एग्जाम की कोई तारीख नहीं होती, वो 24 घंटे चलता है : मोदी का मंत्र है, "अंक के हिसाब से चलने से शायद उन चीजों को नहीं हासिल कर सकते हैं, जो करना चाहते हैं. राजनीति में भी मैं इसी सिद्धांत पर चलता हूं कि सवा सौ करोड़ भारतीयों के लिए जितना समय, ऊर्जा और सामर्थ्य है, सब कुछ खपाता रहूं... शरीर का कण-कण, समय का क्षण-क्षण उनके लिए लगाता रहूं... चुनाव आएंगे, जाएंगे... हम लोगों की स्थिति ऐसी है कि दिन में 24 घंटे एग्जाम होता है और हिंदुस्तान के किसी कोने में एक नगरपालिका का चुनाव हार गए तो ब्रेकिंग न्यूज होती है - ब्लो ऑन मोदी."

2. फोकस करना है तो पहले डी-फोकस करना सीखें : मोदी का मंत्र है, ‘‘फोकस करना है तो डी-फोकस करना सीख लीजिए. किसी बर्तन में दूध भरना है तो एक सीमा तक भरेगा. अंदर से कुछ खाली करना सीखें... फोकस करते रहने से चेहरे पर भी तनाव आएगा... " ध्यान लगाने को लेकर ही मोदी ने सचिन तेंदुलकर से जुड़ा एक संस्मरण सुनाया. मोदी ने कहा कि तेंदुलकर ने एक बात बहुत अच्छी कही थी. सचिन ने कहा कि मैं जिस समय जो बॉल खेलता हूं, उस समय सिर्फ उसी गेंद के बारे में सोचता हूं. उससे पहली कौन सी गेंद थी या फिर अगली गेंद को कैसे खेलूंगा, मैं इस बारे में नहीं सोचता.

समझने वाली बात ये है कि बच्चे भी पढ़ाई के वक्त सिर्फ पढ़ाई ही करें. उस वक्त किसी भी दूसरी चीज के बारे में बिलकुल भी न सोचें.

3. गुरु का सम्मान करें, संतोष मिलता है : मोदी ने कहा - "मैं घर छोड़कर 30-40 साल बाहर रहा और गुमनामी की जिंदगी जी. मुख्यमंत्री बनने के बाद मैंने अपने अध्यापकों की लिस्ट बनानी शुरू की. सबको एक कार्यक्रम में इकट्ठा किया और सार्वजनिक तौर पर उनका सम्मान किया. मेरे मन में एक संतोष हुआ. मेरे माता-पिता के बाद यही तो हैं, जिनसे मैं खुलकर बात कर सकता हूं. खेल की दुनिया में भी टीचर होते हैं. वहां गुरू-शिष्य परंपरा होती है. ये गुरु ऐसे होते हैं, जो खुद की संतानों के लिए भले ही कुछ न करें, अपने शिष्यों के लिए वो अपना जीवन खपा देते हैं."

4. जिसमें सहूलियत हो वही योग करें : मोदी ने कहा, "योग के संबंध में भ्रम है कि इस आसन से ऐसा होता है, उस आसन से वैसा होता है. ये विज्ञान है आपको जो आसन अच्छा लगे और कंफर्ट दे उसे शुरू करें. दुनिया के कई परिवारों में बच्चों की हाइट बढ़ाने के लिए ताड़ासन को रेगुलराइज कर दिया गया है. मन में तो ये रहता है कि ताड़ासन कर रहा हूं तो मेरी हाईट बढ़ेगी. ये प्रक्रिया है. ये सिखाता है कि शरीर मन और बुद्धि साथ कैसे काम कर रहे हैं, ठीक कर रहे हैं या नहीं..."

5. प्रधानमंत्री बनने का भी नुस्खा है : मोदी ने अपनी कामयाबी का नुस्खा भी शेयर किया, "जनसंघ नाम की पार्टी थी और दीपक नाम का निशान था. दीवार पर दीपक पेंट करने के लिए भी गरीबी की वजह से मुश्किल होती थी. 103 उम्मीदवार खड़े किए, उन सबमें से 99 की जमानत जब्त हो गई. चार की बची तो पार्टी की गई, पूछा तो कहा कि इनकी डिपॉजिट बच गई है. ये मिजाज वहां से यहां तक पहुंचाता है. अटल जी कहते थे कि हार नहीं मानूंगा... ये जिजीविषा ही यहां पहुंचाती है."

6. प्रतिभा को ऐसे पहचानें : एक छात्र, गिरीश सिंह ने मोदी से ऐसा सवाल किया कि उसकी प्रतिभा सामने आ गयी. मोदी बोले - अगर मैं आपका टीचर होता तो जर्नलिस्ट बनने को कहता.

छात्र का सवाल था, मुझे लगता है कि अगले साल हम दोनों की ही बोर्ड की परीक्षा है. मेरी 12वीं की है और आपकी लोकसभा की. आपकी क्या तैयारी है, आप नर्वस हैं?

प्रधानमंत्री मोदी बोले, "आपका टीचर होता तो मैं आपको गाइड करता कि आप जर्नलिज्म में जाइए. क्योंकि, ऐसा लपेटकर सवाल पूछने की ताकत तो जर्नलिस्ट में ही होती है..."

7. रिजल्ट की परवाह करने की जरूरत नहीं : प्रधानमंत्री मोदी ने छात्रों को सलाह दी कि वो रिजल्ट की कतई परवाह न करें. खुद ही अपने एग्जामिनर बनें और खुद अपनी प्रगति, सीखने की प्रवृत्ति का आकलन करें.

बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने एक बात ऐसी भी जिसमें जिक्र के बगैर भी 2019 की ओर दिमाग चला जाता है. मोदी ने कहा, "ये कोई प्रधानमंत्री का कार्यक्रम नहीं है... देश के करोड़ों बच्चों का कार्यक्रम है... मुझे विश्वास है कि मुझे एक विद्यार्थी के नाते... आप लोग मेरे एग्जामिनर हैं... देखते हैं आप लोग मुझे 10 में से कितना नंबर देते हैं.'

वैसे फौरन ही मोदी ने बता भी दिया कि उनके ऊपर सवा सौ करोड़ देशवासियों का आशीर्वाद है और वो जरूर पास हो जाएंगे.

यूपी में योगी आदित्यनाथ के शासन में लाखों छात्र परीक्षा छोड़ चुके हैं. दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार छात्रों के रिजल्ट को लेकर चिंतित है और पाठ्यक्रम में खुशियों को लेकर भी कंटेंट शामिल किया जा रहा है. ऐसे माहौल में मोदी का नुस्खा निश्चित तौर पर कारगर साबित हो सकता है. अपने मन की बात के जरिये छात्रों को मोटिवेट करते रहने के अलावा प्रधानमंत्री मोदी ने एक किताब भी लिखी है - 'एग्जाम वॉरियर्स'. इस किताब में एग्जाम की टेंशन दूर करने के लिए टिप्स दिए गये हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने इस किताब को न्यू इंडिया के युवाओं को समर्पित किया है.

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लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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