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Updated: 18 फरवरी, 2021 04:06 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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चीन समेत कई देशों और वैश्विक बैंकों के कर्ज में लदे पाकिस्तान की हालत साल-दर-साल खराब होती जा रही है. सऊदी अरब से बिगड़े अपने रिश्तों की वजह से भी पाकिस्तान का हाल और बिगड़ता जा रहा है. सऊदी अरब की ओर से पाकिस्तान को आर्थिक, राजनीतिक और सैन्य मामलों में मदद मिलती रही है. लेकिन, बीते कुछ समय से पाकिस्तान के 'भाई' की भूमिका निभाने वाले सऊदी अरब ने पाकिस्तान से किनारा कर रखा है. भारत सरकार के कश्मीर से धारा 370 को खत्म करने के बाद पाकिस्तान ने सऊदी अरब से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की थी. पाकिस्तान ने सऊदी अरब से कश्मीर मुद्दे पर ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (OIC) यानी इस्लामिक सहयोग संगठन की बैठक बुलाने को कहा था. इस पर सऊदी अरब ने कोई खास प्रतिक्रिया नहीं दी थी. इससे भड़के पाकिस्तान ने सऊदी अरब को आंखें दिखाने की कोशिश की थी. जिसके बाद सऊदी अरब से पाकिस्तान के रिश्ते बुरे हालात में पहुंच गए थे. सऊदी अरब ने पाकिस्तान को दिए जाने वाले कर्ज को रोक दिया था. साथ ही पुराने कर्जों की जल्द वापसी करने को भी कह दिया था.

सऊदी अरब से बिगड़े रिश्तों को सुधारने छटपटाहट पाकिस्तान में बढ़ती जा रही है. पहले होउबारा बस्टार्ड पक्षी के शिकार का न्योता भेजकर पाकिस्तान ने इन रिश्तों को सुधारने की कोशिश की थी. वहीं, अब पाकिस्तान ने इसके लिए एक और दांव खेला है. पाकिस्तान ने 'अरबी भाषा बिल 2020' पारित किया है. इस बिल की वजह से अब इस्लामाबाद के स्कूलों में अरबी भाषा को अनिवार्य रूप से पढ़ाया जाएगा. पारित विधेयक के अनुसार, कक्षा एक से पांच तक अरबी भाषा पढ़ाई जाएगी और कक्षा छह से बारह तक अरबी व्याकरण पढ़ाया जाएगा.

पाकिस्तान मुस्लिम लीग (PML-N) के सांसद जावेद अब्बासी ने अरबी भाषा पढ़ाए जाने को लेकर कहा कि अरबी दुनिया भर में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में 5वें नंबर पर आती है और 25 देशों की आधिकारिक भाषा है. अब्बासी ने कहा कि अरबी भाषा पढ़ाए जाने से मिडिल ईस्ट में पाकिस्तानी नगारिकों के लिए नौकरियों के अवसर पैदा होंगे. इसके साथ बेरोजगारी को कम करने और विदेशी मुद्रा को बढ़ाने में भी काम आएगा. उन्होंने यह भी कहा कि कुरान भी अरबी भाषा में है और अगर हम कुरान को समझ पाते, तो जिन स्थितियों में आज हैं, हम न होते.

सांसद जावेद अब्बासी ने छुपे शब्दों में मिडिल ईस्ट से और खासकर सऊदी अरब से संबंध सुधारने को तरजीह देने की बात कही है.सांसद जावेद अब्बासी ने छुपे शब्दों में मिडिल ईस्ट से और खासकर सऊदी अरब से संबंध सुधारने को तरजीह देने की बात कही है.

माना जा सकता है कि सांसद जावेद अब्बासी ने छुपे शब्दों में मिडिल ईस्ट से और खासकर सऊदी अरब से संबंध सुधारने को तरजीह देने की बात कही है. पाकिस्तान का अरबी भाषा के लिए जागा ये प्रेम जाहिर तौर पर अपनी खराब आर्थिक स्थिति को सुधारने की कवायद है. पाकिस्तान अरबी भाषा के बहाने नए कर्ज हासिल करने की कोशिश में लगा हुआ है. पाकिस्तान में इमरान खान सरकार की कमजोर विदेश नीति की वजह से उसके अपने करीबी देशों से संबंध खराब हो रहे हैं. साथ ही उसे इस्लामिक देशों से मिलने वाले कर्ज भी कम हो गए हैं. मिडिल ईस्ट में तनाव की आशंका की वजह से तेल के दाम आसमान छू रहे हैं. जिसकी वजह से पाकिस्तान बुरी तरह से महंगाई की चपेट में है. पाकिस्तान में पेट्रोल करीब 107 रुपये लीटर बिक रहा है. वहीं, इन कीमतों के और बढ़ने की आशंका है.

पाकिस्तान की खराब आर्थिक व्यवस्था को कर्ज के सहारे फिर से पटरी पर लाने की कोशिशों में जुटी इमरान खान सरकार लगातार असफल हुई है. गिरती हुई अर्थव्यवस्था की वजह से सरकार पर कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है. पाकिस्तान बुरी तरह से चीन के कर्ज में दब चुका है. जानकारी के अनुसार, पाकिस्तान के कुल सार्वजनिक कर्ज के हिसाब से हर पाकिस्तानी नागिरक के ऊपर एक लाख 75 हजार रुपये का कर्ज है. इमरान खान की सरकार आने के बाद इस कर्ज में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है. खराब संबंधों की वजह से सऊदी अरब ने बीते साल पाकिस्तान को दिए जाने वाले 3.2 बिलियन के कर्ज की एक किश्त भी रोक दी थी. साथ ही समय से पहले कर्ज चुकाने को कहा था. जिसे चीन से कर्ज लेकर पूरा किया गया था.

भाषा के प्रति पाकिस्तान का यह प्रेम पहले भी सामने आया था. 2017 में भी पाकिस्तान की तत्कालीन सरकार के कार्यकाल में भी चीनी भाषा पढ़ाने की मंजूरी दी गई थी. हालांकि, यह फैसला पाकिस्तानी जनता के विरोध के बाद वापस ले लिया गया था. खैर, अरबी भाषा का विरोध पाकिस्तान में शायद ही हो. मजहबी आधार पर बने देश पाकिस्तान में इस्लाम का परचम बुलंद करने और भारत को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए सरकार किसी भी हद तक जा सकती है. पाकिस्तान के इस भाषा प्रेम को देखकर सऊदी अरब दिल पिघलेगा या नहीं, यह तो वक्त ही बताएगा.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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