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Updated: 30 जून, 2018 12:52 PM
बिजय कुमार
बिजय कुमार
  @bijaykumar80
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गठबंधन की राजनीति के दौर में ये नहीं कहा जा सकता कि कौन किस पाले में बैठेगा खासकर शिवसेना और बीजेपी में हाल के दिनों में आई दूरियों से तो यही लगता है, क्योंकि पूरे देश में अगर बीजेपी की विचारधारा के सबसे करीब कोई पार्टी है तो वो शिवसेना ही है. कुछ ऐसा ही जेडीयू के लिए भी कहा जाता है कि उसकी सबसे ज्यादा नजदीकी बीजेपी से रही है लेकिन दोनों पार्टियों के विचारों में कई बार टकराव देखने को मिला है खासकर जबसे जेडीयू की पूरी कमान नीतीश के हाथों में गयी है.

इन दोनों ही पार्टियों के बीच गठबंधन के पीछे राष्ट्रीय जनता दल को सबसे बड़े कारण के रूप में देखा जाता है क्योंकि दोनों मिलकर ही बिहार में लालू का मुकाबला कर सकते थे लेकिन जब दोनों ही पार्टियों के बीच गठबंधन टूटा था तो किसी को ये यकीन नहीं था कि नीतीश कुमार लालू के पाले में चले जायेंगे. उनके ऐसा करने से पूरे उत्तर भारत में देखी गयी मोदी लहर को भी झटका लगा था और दोनों के नेतृत्व वाले महागठबंधन ने बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को बिहार में करारी हार सौंपी थी.

nitish kumar नीतीश की पार्टी की ओर से आए बयानों से ऐसा लग रहा है कि नीतीश अब बीजेपी के साथ पहले इतने सहज नहीं हैं

इस दौरान नीतीश ने बीजेपी पर जमकर हमला भी बोला था लेकिन साल 2017 में वो एक बार फिर बीजेपी के साथ चले गए. नीतीश ने रेलवे में होटल के बदले भूखंड मामले में राजद मुखिया लालू प्रसाद के पुत्र और तेजस्वी पर आरोप लगने पर तेजस्वी द्वारा जनता के बीच सफाई नहीं देने को दोनों के बीच गठबंधन तोड़ने की वजह बताया था.

नीतीश कुमार के महागठबंधन से निकलने में अभी एक साल भी पूरा नहीं हुआ है लेकिन पिछली कुछ घटनओं और फिर नीतीश की पार्टी की ओर से आए बयानों से ऐसा लग रहा है कि नीतीश अब बीजेपी के साथ पहले इतने सहज नहीं हैं. ऐसा इसलिए कि वो और उनकी पार्टी बिहार में खुद को एनडीए गठबंधन का बड़ा भागीदार मानते हैं. लेकिन पिछले लोकसभा चुनावों में नीतीश की पार्टी ने इतना अच्छा प्रदर्शन नहीं किया था और बीजेपी ये नहीं चाहती की वो नीतीश को साल 2009 के फॉर्मूले के हिसाब से सीटें दे. इसके पीछे की एक वजह ये भी है कि बिहार में नीतीश के अलावा रामविलास पासवान और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टियां भी बीजेपी के साथ हैं, जिन्होंने पिछले लोकसभा में बहुत ही अच्छा प्रदर्शन किया था.

यही वजह है कि बीजेपी इस मामले में जेडीयू के सामने झुकने को तैयार नहीं दिख रही है तभी तो नीतीश की ओर से हाल में कई ऐसे बयान और घटनाएं हुई हैं जिससे ये साफ लग रहा है कि उनकी पहले जितनी नहीं चल पा रही है और वो इसके अंजाम तक जाने की सोच रहे है क्योंकि अब लोकसभा चुनाव में भी ज्यादा वक़्त नहीं बचा है. इसलिए वो बीजेपी की ओर से लोकसभा चुनावों से पहले ही ये जान लेना चाहते हैं कि उन्हें क्या मिल रहा है और बीजेपी के लिए लोकसभा उपचुनावों में आये नतीजों से नीतीश के लिए ये सही वक़्त भी लग रहा है.

nitish kumar

हाल फिलहाल में जेडीयू की ओर से आ रहे बयानों पर विपक्षी दल भी खूब हमले कर रहे हैं. बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने तो कई मौकों पर ये कहा है कि वो फिर से नीतीश के साथ नहीं जायेंगे क्योंकि नीतीश ने जनादेश का अपमान किया था और उनपर भरोसा नहीं किया जा सकता. लेकिन महागठबंधन में शामिल कांग्रेस की ओर से अभी इतनी तल्ख़ टिप्पणी नहीं आयी है. ऐसे में ऐसा माना जा रहा है कि नीतीश एक बार फिर पला बदल सकते हैं.

लेकिन राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव तारिक अनवर ने कहा है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महागठबंधन में वापसी पर लोग विश्वास नहीं करेंगे, क्योंकि वे अपनी राजनीतिक विश्वसनीयता खो चुके हैं. तारिक ने कहा कि नीतीश जी के महागठबंधन में शामिल होने को लेकर कोई भी फैसला होगा तो बिहार के अंदर महागठबंधन में आरजेडी के सबसे बड़े दल होने के नाते उसकी राय अहमियत रखती है और तेजस्वी ने जो बयान दिया है वह सोच समझकर दिया होगा. उन्होंने कहा कि नीतीश के महागठबंधन में वापसी को लेकर फैसला सभी घटक दलों को विश्वास में लेकर ही किया जाएगा.  

बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव में अकेले अपने दम पर चुनाव लड़ी जेडीयू को करारी हार मिली थी.

2014: लोकसभा चुनाव नतीजे  

पार्टी सीट वोट प्रतिशत
भारतीय जनता पार्टी 22   29.86
लोक जन शक्ति पार्टी 6.50
जनता दल (यूनाइटेड)   16.04
आरएलएसपी    3 0.12
कांग्रेस   2 8.56
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी  1 1.22
राष्ट्रीय जनता दल 4 20.46

लोकसभा में हार के बाद जेडीयू ने 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन में शामिल राजद और कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लडा था और सफलता हासिल की थी.

2015: विधानसभा चुनाव नतीजे

पार्टी सीट वोट प्रतिशत
भारतीय जनता पार्टी 53 24.42%
कांग्रेस    27 6.66%
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी  0 0.49%
आरएलएसपी    2 2.56%
जनता दल (यूनाइटेड) 71 16.83%
लोक जन शक्ति पार्टी 2 4.83%
राष्ट्रीय जनता दल 80 18.35%

कह सकते हैं कि पिछले साल महागठबंधन में शामिल आरजेडी और कांग्रेस से नाता तोड़कर नीतीश भाजपा के नेतृत्व वाले राजग में शामिल हुए लेकिन अब वो भाजपा के साथ कुछ असहज जरूर महसूस कर रहे हैं और इन्हीं चर्चाओं के बीच नीतीश के लालू को फोन कर उनके स्वास्थ्य के बारे में पूछे जाने पर उनके महागठबंधन में वापसी को लेकर अटकलें लगाई जाने लगी हैं. जिसको दोनों ही तरफ से ख़ारिज किया जा रहा है लेकिन राजनीति में कब क्या हो कहना मुश्किल है.

लेकिन महागठबंधन से निकलकर दूसरे गठबंधन में चले जाने से राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर नीतीश की छवि धूमिल जरूर हुई है और उनकी राजनीतिक विश्वसनीयता भी दाव पर लग गयी है क्योंकि बीजेपी भी इसबार नीतीश के दबाव में आती नहीं दिख रही है क्योंकि वो जानती है कि नीतीश अकेले दम पर उकसे लिए खतरा नहीं हैं तो वहीं उपचुनावों में जीत से गदगद आरजेडी भी उनको फिर से साथ लेने में दिलचस्पी नहीं ले रही है.

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लेखक

बिजय कुमार बिजय कुमार @bijaykumar80

लेखक आजतक में प्रोड्यूसर हैं.

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