New

होम -> सियासत

 |  7-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 14 जून, 2019 03:09 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
  • Total Shares

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी Shanghai Cooperation Organisation में हिस्सा लेने के लिए किर्गिस्तान की राजधानी Bishkek हैं. पीएम मोदी ने पाकिस्तान का नाम लिए बैगर SCO में राज्य प्रायोजित आतंकवाद का मुद्दा उठाया और कहा कि आतंकवाद को प्रायोजित करने, सहायता और वित्त पोषण करने वाले देशों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए. साथ ही भारतीय प्रधानमंत्री ने आतंकवाद के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस भी आयोजित करने की बात कही. SCO समिट को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सहयोग को मजबूत करने के लिए एससीओ की भावना और आदर्शों पर भी बता की. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि भारत आतंकवाद मुक्त समाज के साथ खड़ा है.

PM Modi ने इस बात पर भी बल दिया कि आतंकवाद के खतरे से निपटने के लिए, देशों को इसके खिलाफ एकजुट होना होगा और अपने संकीर्ण दायरे से बाहर आना होगा. दिलचस्प बात ये है कि जिस वक्त नरेंद्र मोदी आतंकवाद पर अपनी बातें रख रहे थे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री Imran Khan भी वहां मौजूद थे. प्रधानमंत्री मोदी ने एससीओ सदस्य राज्यों से आतंकवाद के खिलाफ एससीओ क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी संरचना (आरएटीएस) के तहत सहयोग करने का भी आह्वान किया. ध्यान रहे कि दक्षिण एशिया में तेजी से उभरते भारत के लिए ये समिट इसलिए भी जरूरी है क्योंकि यहां उन तमाम मुद्दों पर बात होगी जिन्होंने बीते कुछ समय से भारत को परेशान किया हुआ है.

नरेंद्र मोदी,  बिश्केक, पाकिस्तान, इमरान खान, चीन बिश्केक पहुंचे पीएम मोदी के सामने चीन और पाकिस्तान हैं जो कई मामलों में भारत के लिए एक बड़ी चुनौती साबित होंगे

गौरतलब है कि समिट में जहां एक तरफ पाकिस्तान समर्पित आतंकवाद और काउंटर टेररिज्म अहम मुद्दा रहेगा. वही अन्य देशों के प्रतिनिधियों के साथ पीएम मोदी की इस मुलाकात का सीधा असर सुरक्षा के अलावा निवेश और व्यापार में भी देखने को मिलेगा. माना जा रहा है कि ये मुलाकात विश्व पटल पर भारत को और सशक्त बनाएगी.

पीएम मोदी और भारत दोनों के लिए ये मुलाकात कितनी जरूरी है इसे हम देश के प्रधानमंत्री के उस बयान से भी समझ सकते हैं जो उन्होंने बिश्केक पहुंचने से पहले दिया था. पीएम मोदी ने बयान जारी कर कहा था कि ‘इस शिखर सम्मेलन में वैश्विक सुरक्षा की स्थिति, बहुपक्षीय आर्थिक सहयोग, लोगों से लोगों का संपर्क बढ़ाने समेत अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय महत्व के प्रासंगिक विषयों पर चर्चा होने की उम्मीद है. मेरी इस सम्मेलन से इतर कई नेताओं से मुलाकात करने और द्विपक्षीय बातचीत करने की भी योजना है.’

क्योंकि इस समिट में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं. तो आतंकवाद पर उनका रुख देखना और उसे समझना भी खासा दिलचस्प रहेगा. ये पहला मौका होगा जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के पीएम इमरान खान एक साथ सामने आएंगे और अंतरराष्ट्रीय मंच पर साझा करेंगे. हालांकि दोनों नेताओं के बीच किसी द्विपक्षीय मुलाकात की संभावना को भारत ने सिरे से खारिज कर दिया और कहा है कि आतंकवाद और बातचीत एकसाथ संभव नहीं है.

चूंकि इस समिट में चीन और पाकिस्तान दोनों ही उपस्थित हैं तो आइये उन अहम मुद्दों पर चर्चा कर ली जाए जिनपर बात किये बिना SCO Summit 2019 और भारत पर बातें लगभग अधूरी हैं.

काउंटर टेररिज्म

भले ही SCO Summit 2019 को आतंकवाद पर नियंत्रण की दृष्टि से अहम माना जा रहा हो. मगर जब वहां खुद पाकिस्तान और चीन जैसे देश हों, आतंकवाद कितना नियंत्रित होगा ये एक लम्बी बहस का विषय है. हम ऐसा इसलिए भी कह रहे हैं कि क्योंकि बात जब भारत में आतंकवाद की आती है तो इसकी एक अहम वजह पाकिस्तान है.

आतंकवाद को लेकर लम्बे समय से पाकिस्तान ने भारत की नाक में दम किया हुआ है और लगातार वही गलतियां दोहरा रहा है जिसके चलते लगातार उसकी आलोचना हो रही है.

बात अगर चीन की हो तो जैश प्रमुख मौलाना मसूद अजहर को लेकर जो रुख UNSC में चीन ने अख्तियार किया था उसके बाद अपने आप ही ये बात सिद्ध हो गई थी कि आतंकवाद के मामले में आखिर पाकिस्तान को संरक्षण कौन दे रहा है. कह सकते हैं कि आतंकवाद पर जो रुख चीन और पाकिस्तान दोनों का है इंडिया का पेस शायद ही कभी उससे तालमेल बैठा पाए.

कनेक्टिविटी

शंघाई कॉरपोरेशन ऑर्गनाइजेशन समिट 2019 को कनेक्टिविटी के लिहाज से खासा अहम माना जा रहा है. कहा यही जा रहा है कि व्यापार के मद्देनजर इस समिट के बाद अलग अलग देशों का दूसरे देश में आवागमन सुगम हो जाएगा. लेकिन जब हम इसे भारत को ध्यान में रखते हुए चीन और पाकिस्तान के सन्दर्भ में देखें तो मिलता है कि भले ही भारत की नजर ताशकंत पर हो मगर बात जब चीन के बेल्ट द बेल्ट एंड रोड निशिएटिव (BRI) की आती है तो हमेशा ही भारत ने इसका बॉयकाट किया है.

इसके अलावा चीन के वो प्रोजेक्ट जो श्रीलंका और मालदीव में चल रहे हैं उससे भी भारत खुश नहीं है. पूर्व में ऐसे तमाम मौके आए हैं जब भारत ने चीन को लेकर पाकिस्तान का विरोध किया था इसलिए पूरी दुनिया के लिए इस समिट के बाद कनतीजे देखना दिलचस्प है.

दक्षिण एशिया में भारत का रोल

बात अगर दक्षिण एशिया में भारत के रोल पर हो तो ये कहना हमारे लिए कहीं से भी गलत नहीं है कि, यदि भारत कोई पहल करता है. तो जैसा रुख चीन और पाकिस्तान का भारत के प्रति है, दोनों ही देश निश्चित रूप से इसमें अड़ंगा लगा देंगे. ध्यान रहे कि आज भारत न सिर्फ तेजी से उभर रहा है बल्कि विश्व पटल पर अपनी एक सशक्त पहचान भी बना रहा है जो चीन और पाकिस्तान जैसे देशों को एक फूटी आंख भी नहीं भा रहा है.

व्यापार

SCO Summit 2019 को व्यापार की दृष्टि से काफी अहम समझा जा रहा है. कहा जा रहा है कि इस समिट के बाद अलग अलग देशों के आपसी रिश्तों में सुधर होगा और निवेश की सम्भावना बढ़ेगी. ऐसे में अगर बात चीन और पाकिस्तान के सन्दर्भ में हो तो कहा यही जा सकता है कि पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद से भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में खटास पड़ गई है.

भारत ने पाकिस्तान से अपने सभी सम्बन्ध खत्म कर दिए हैं वहीं बात अगर चीन के अंतर्गत हो तो चीन से भारत का लव हेट रिलेशनशिप है और दोनों ही देशों का एक दूसरे से व्यापार चल रहा है. चूंकि दोनों ही विश्व की दो बड़ी अर्थव्यवस्था है इसलिए कहीं न कहीं दोनों को ही एक दूसरे की जरूरत है.

पड़ोसी मुल्कों के साथ बेहतर सम्बन्ध

पड़ोसी मुल्कों के साथ एक दूसरे के बेहतर सम्बन्ध SCO Summit 2019 का मुख्य एजेंडा है.ऐसे में जब हम चीन या फिर पाकिस्तान को देखें तो मिलता है कि दोनों ही देश लगातार यही प्रयास कर रहे हैं कि कैसे वो भारतीय सीमाओं पर अपना कब्ज़ा जमा लें.

कहा जा सकता है कि बातचीत से समस्या क निवारण तभी संभव है जब दोनों ही मुल्क अपनी हदों में रहें और जैसा दोनों ही देशों चीन और पाकिस्तान का रवैया है वो खुद ब खुद इस बात की पुष्टि कर देता है कि बेहतर सम्बन्ध भारत, पाकिस्तान और चीन तीनों ही देशों के लिए दूर के सुहावने ढोल हैं.

बहरहाल, चीन और पाकिस्तान की उपस्थिति में समिट कितनी कामयाब होगी इसका फैसला वक़्त करेगा. लेकिन जैसा भारत के प्रति इन दोनों ही देशों का रुख है वो खुद इस बात की पुष्टि कर देता है कि न तो चीन ही सुधरने वाला है और न ही पाकिस्तान इसलिए शायद स्थिति कुछ वैसी ही रहे जैसी आज है. बाक़ी बात वार्ता की चल रही है तो निश्चित रूप से ये वार्ता विश्व पटल में भारत को वर्तमान परिदृश्य की अपेक्षा और मजबूत करेगी.

ये भी पढ़ें -

आतंकवाद का साथ देने वाले Pakistan की हालत अब और खराब हो सकती है!

मोदी की जीत को ऐसे देखते हैं पाकिस्तान, अमेरिका और ब्रिटेन..

क्यों चीन और पाकिस्तान चाहते हैं कि मोदी ही दोबारा भारत के पीएम बनें

लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय