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Updated: 11 अगस्त, 2018 12:21 PM
अभिनव राजवंश
अभिनव राजवंश
  @abhinaw.rajwansh
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अभी कुछ महीने पहले तक भारतीय जनता पार्टी के सहयोगियों को लेकर तमाम तरह की बातें हो रहीं थीं. जहां एक तरफ भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगी पार्टी शिवसेना खुलेआम सरकार के खिलाफ मोर्चा लिए खड़ी थी, तो वहीं पंजाब में सरकार की साझेदार शिरोमणि अकाली दल के नेता भी भाजपा से नाराज बताये जा रहे थे. चर्चा तो इस बात की भी थी कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जिन्होंने पिछले ही साल लालू यादव की पार्टी को ठेंगा दिखा कर वापस से भाजपा का दामन थामा, वो पुनः लालू के साथ जा सकते हैं. कुल मिलाकर ऐसी स्थिति बनती नज़र आ रही थी जिसमें 2019 का आम चुनाव नरेंद्र मोदी और भाजपा के लिए काफी मुश्किल नजर आ रहा था.

हालांकि, पिछले एक महीने के घटनाक्रम पर नजर दौड़ाएं तो सरकार के लिए चीजें उतनी मुश्किल नहीं लगती. पहले लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव उसके बाद राज्यसभा में उपसभापति का चुनाव, दोनों ही मौकों पर सरकार को अपने सहयोगियों के अलावा नए सहयोगियों का साथ मिलता नजर आया. जहां अविश्वास प्रस्ताव के दौरान सरकार के पक्ष में 325 वोट पड़े, जिसमें सरकार के सहयोगियों के अलावा एआईडीएमके का भी समर्थन मिला, साथ ही टीआरएस और बीजेडी ने अविश्वास प्रस्ताव के दौरान वाकआउट कर सरकार के विपक्ष में खड़े होने से बचते दिखे. और अब राज्यसभा के उपसभापति के चुनाव के दौरान बीजेडी, टीआरएस और एआईएडीएमके सरकार के पक्ष में खड़े दिखे. साथ ही, सरकार के उम्मीदवार के पक्ष में 125 वोट पड़े, और यह स्थिति तब रही जब सरकार के पास अपने दम पर उम्मीदवार को जीत दिलाने के नंबर नहीं थे.

भाजपा, कांग्रेस, विपक्ष, एनडीए, नीतीश कुमारभाजपा अपने विपक्षी दलों से टक्कर लेने में कामियाब होती दिख रही है

इसके साथ ही मोदी सरकार ने नीतीश कुमार के सांसद को यह पद दे कर नीतीश के पाला बदलने की चर्चाओं पर भी विराम लगा दिया है. ऐसे में कहा जा सकता है वर्तमान समय में सरकार के लिए घटक दल चिंता का सबब बनते नहीं दिख रहे हैं. साथ ही सरकार के लिए अच्छी खबर यह भी है कि दक्षिण में भी दो प्रमुख दल भाजपा के साथ खड़े दिख रहे हैं, जो टीडीपी के अलग होने से संभावित नुक्सान की भरपाई कर सकते हैं.

वहीं दूसरी ओर महागठबंधन बनाने का दंभ भर रहे विपक्षी दलों के लिए हालिया घटनाक्रम सरदर्द साबित हो सकता है. जहाँ एक तरफ कांग्रेस तमाम विपक्षी दलों को एक साथ ला पाने में असफल साबित हो रही है तो वहीं अभी से विपक्षी खेमे में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर भी खींचतान देखने को मिल रही है. जहां कांग्रेस अपने अध्यक्ष राहुल गांधी को संभावित उम्मीदवार के तौर पर देख रही है तो वहीं एक खेमा ममता बनर्जी के पक्ष में माहौल बनाने में लगा है. ऐसे में 2019 के आम चुनावों के पहले इन दलों में कोई महागठबंधन बने ऐसा कह पाना मुश्किल लगता है.

अभी भी अगले आम चुनावों में कुछ महीनों का समय बाकी है ऐसे में आने वाले दिनों में कई तरह की राजनैतिक गतिविधियां देखने को मिलेंगी. हालांकि, अभी तक के जो हालात हैं उसमें यह जरूर कहा जा सकता है कि घटक दलों के मामले में अभी भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस से बेहतर स्थिति में है.

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अभिनव राजवंश अभिनव राजवंश @abhinaw.rajwansh

लेखक आज तक में पत्रकार है.

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