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Updated: 18 अगस्त, 2019 05:19 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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इन दिनों अगर किसी पार्टी का कोई नेता इस्तीफा देता है, तो ये बात बिल्कुल साफ होती है कि वह भाजपा में ही शामिल होगा. वैसे भी, पिछले कुछ महीनों से अन्य पार्टियों के नेताओं का भाजपा में शामिल होने का सिलसिला काफी तेज हो गया है. क्या कांग्रेस, क्या तृणमूल कांग्रेस और क्या सपा-बसपा. हर पार्टी के बहुत से नेता भाजपा में शामिल हो चुके हैं और सिलसिला रुका नहीं है, बल्कि जारी है. अब खबर ये भी आ रही है कि कर्नाटक में जेडीएस के करीब 12 विधायक इस्तीफा देने की योजना बना रहे हैं. यहां ये बताने की जरूरत नहीं है कि ये विधायक इस्तीफा देकर किस पार्टी का दामन थामेंगे.

अलग-अलग पार्टियों से नेता पॉलिटिकल शरणार्थियों की तरह भाजपा में शामिल तो होते जा रहे हैं, लेकिन यह नेता भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती भी बन रहे हैं. जरा सोचिए, कल तक जिन नेताओं पर भाजपा ही तरह-तरह के आरोप मढ़ती रही, जिन्हें भ्रष्ट कहती रही, आखिर किस मुंह से उन्हें अपनी पार्टी में जगह देगी. जगह दे भी दी, तो आखिर जनता के सवालों का पार्टी क्या जवाब देगी? उस समय भाजपा नेता क्या बोलेंगे, जब कोई पूछ लेगा कि कल तक जो भ्रष्ट था वह भाजपा में आकर पवित्र कैसे हो गया?

भाजपा, राजनीति, नेता, इस्तीफाटीएमसी के पूर्व मंत्री और कोलकाता के मेयर सोवन चटर्जी ने हाल ही में भाजपा की सदस्या ले ली है.

पश्चिम बंगाल में भी आ रही ऐसी ही दिक्कत

टीएमसी के पूर्व मंत्री और कोलकाता के मेयर सोवन चटर्जी को लेकर पश्चिम बंगाल में भाजपा नेतृत्व चिंता में पड़ गया है. भाजपा के सूत्रों से पता चला है कि पार्टी का मानना है चटर्जी को भाजपा की सदस्यता देने से तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप धुंधले पड़ रहे हैं. यानी सीधे-सीधे कहें तो चटर्जी के भाजपा में शामिल होने से भाजपा ताकतवर कितनी होगी ये तो अभी नहीं कहा जा सकता, लेकिन चटर्जी भाजपा की दुखती रग जैसे बन गए हैं. दिक्कत इस बात को लेकर है कि चटर्जी नारदा स्टिंग ऑपरेशन की फुटेज में रिश्वत लेते हुए दिखाई दिए थे और अब वह भाजपा के नेता बन चुके हैं.

भाजपा के ही एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि नारदा स्टिंग ऑपरेशन केस के बाद इस मामले में जिन लोगों के नाम आए थे, उनके खिलाफ सख्त एक्शन लेने की मांग करने वाले विपक्षियों में भाजपा की आवाज सबसे बुलंद थी. लेकिन अब लोगों को ये कैसे समझाएंगे कि नारदा केस में फंसे चटर्जी को भाजपा में क्यों शामिल किया गया है.

हालांकि, मुकुल रॉय की पार्टी भंग करने की रणनीति से अलग हुए नेताओं का कहना है कि लोगों को ये दिखाना जरूरी था कि टीएमसी गर्त में जा रही है और भाजपा ने उसकी कमर तोड़ दी है. वहीं दूसरी ओर, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष मुकुल रॉय की पार्टी भंग करने की रणनीति को लेकर काफी उलझन में हैं. उन्होंने हाल ही में एक निर्देश भी जारी किया है कि किसी भी दूसरी पार्टी का कोई नेता उनकी मर्जी के बिना दिल्ली में भाजपा में शामिल नहीं हो सकता है. हालांकि, जब चटर्जी को पार्टी में शामिल किया गया, उस समय भी दिलीप घोष दिल्ली में मौजूद नहीं थे. जब उनसे चटर्जी के भाजपा में शामिल होने पर सवाल किया गया तो उन्होंने बात को ये कह कर टाल दिया कि चटर्जी अभी भाजपा में शामिल हुए ही हैं, इस पर बाद में बाद की जाएगी.

कर्नाटक में जेडीएस के 12 विधायक भाजपा में आने को तैयार

खबर ये भी है कि कर्नाटक में जेडीएस के करीब 12 विधायक पार्टी से नाराज चल रहे हैं और भाजपा में शामिल होने की सोच रहे हैं. विधायकों का आरोप है कि जेडीएस में सिर्फ अपने सगे-सबंधियों को ही अहम पोस्ट दी जाती हैं. आपको बता दें कि हाल ही में जेडीएस और कांग्रेस की गठबंधन वाली सरकार अल्पमत में आ गई थी, जिसके बाद कर्नाटक में भाजपा की सरकार बन गई है. अब यूं लग रहा है कि जेडीएस की बची-खुची ताकत भी उससे छिन जाएगी, जिसका सीधा फायदा भाजपा को ही होगा.

कल तक जिसके खिलाफ नारेबाजी करते थे, अगर एक दिन उसके साथ नारेबाजी करनी पड़े तो कैसा लगता है ये इस समय भाजपा से बेहतर कोई नहीं समझ सकता. टीएमसी को गुंडे-बदमाशों की पार्टी कहने वाली भाजपा में अब टीएमसी के कई नेता शामिल हो चुके हैं. यूं तो सियासी गलियारे में ये कहा जाता है कि राजनीति में सब कुछ जायज है, लेकिन ये भी सच है कि लोगों को क्या कहकर समझाएंगे. कल तक जिनके खिलाफ बोलकर लोगों को लुभाया जाता था, अब उनके हक में वोट किस मुंह से मांग जाए. वैसे तो राजनीति का खेल सभी समझते हैं, लेकिन जिस तरह से मोदी-शाह ने भाजपा को लोगो के बीच में प्रस्तुत किया है, उसकी छवि एक पाक-साफ पार्टी की है. ऐसे में भ्रष्टाचारी या अपराधी की छवि वाले इन पॉलिटिकल शरणार्थियों से पार्टी का असहज हो जाना लाजमी है.

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