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Updated: 22 अप्रिल, 2019 08:37 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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दिल्ली में आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन पर बातचीत का एक लंबा दौर चला. जो चर्चा बंद कमरे में शुरू हुई थी, वह देखते ही देखते ट्विटर पर आ गई. चर्चा के साथ ही सामने आने लगी वो कड़वाहट, जो दोनों पार्टियों में थी. दोनों ने एक दूसरे पर निशाना तक साधना शुरू कर दिया. आखिरकार गठबंधन के कयासों को खारिज करते हुए पहले आम आदमी पार्टी ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा की और अब कांग्रेस ने भी अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी है. इस लिस्ट में सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि कपिल सिब्बल इस लिस्ट से बाहर हैं.

कपिल सिब्बल वह शख्स हैं, जिन्होंने 2004 और 2009 में चांदनी चौक सीट से जीत दर्ज की थी. हालांकि, 2014 में भाजपा के हर्षवर्धन ने उनका विजय रथ रोक दिया. अब फिर से लोकसभा चुनाव आए तो कपिल सिब्बल चांदनी चौक से चुनाव लड़ने के लिए लालायित दिखे, लेकिन कांग्रेस की लिस्ट में उनका नहीं होना कई तरह के सवाल खड़े कर रहा है. आपको बता दें कि कांग्रेस ने दिल्ली की 7 में से 6 सीटों पर उम्मीदवार उतार दिए हैं, सिर्फ दक्षिणी दिल्ली को लेकर सस्पेंस है.

त्रिकोणीय मुकाबला देखकर सिब्बल ने बदला मन

जब आज तक के संवाददाता संजय शर्मा ने कपिल सिब्बल से इस बावत बात की तो उन्होंने साफ कहा कि उन्होंने तो पहले ही चुनाव लड़ने से मना कर दिया था. जब पूछा गया कि इसकी कोई घोषणा न तो आपने की ना ही पार्टी ने, तो उनका जवाब था कि उन्होंने पार्टी को पहले ही अपनी मंशा जाहिर कर दी थी. कपिल सिब्बल ने कहा कि दिल्ली में त्रिकोणीय मुकाबला हो गया है, तो आखिर कौन जीतेगा? यानी उनका इशारा इसी ओर था कि इस त्रिकोणीय मुकाबले में जीत काफी मुश्किल है, इसलिए उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा.

कपिल सिब्बल, चांदनी चौक, दिल्ली, लोकसभा चुनाव 2019कांग्रेस ने दिल्ली के लिए लोकसभा चुनाव की जो लिस्ट जारी की है, उसमें कपिल सिब्बल का नाम नहीं है.

भाजपा को दे दी चांदनी चौक सीट !

यूं तो कांग्रेस की ओर से चांदनी चौक सीट पर जेपी अग्रवाल लड़ रहे हैं, लेकिन अगर कपिल सिब्बल के बयान को देखें तो यूं लग रहा है कि उन्होंने चांदनी चौक सीट भाजपा को ही दे दी हो. ऐसा इसलिए कहा जा सकता है क्योंकि उन्होंने अपने बयान में साफ कहा है कि त्रिकोणीय मुकाबले में आखिर जीतेगा कौन? यानी ये कहना गलत नहीं होगा कि अगर चांदनी चौक से जेपी अग्रवाल के जीतने की कुछ संभावनाएं थीं भी, तो कपिल सिब्बल के बयान ने उन्हें भी मटियामेट करने का काम किया है. भाजपा ने फिलहाल दिल्ली की 4 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं और बाकी के उम्मीदवारों की घोषणा मंगलवार को हो ही जाएगी. दक्षिणी दिल्ली सीट पर कांग्रेस किसे उतारेगी, ये भी मंगलवार को पता चल जाएगा.

 

 भाजपा

 कांग्रेस

 आप

 नई दिल्ली

 (अघोषित)  अजय माकन  ब्रजेश गोयल

 चांदनी चौक

 हर्ष वर्धन  जेपी अग्रवाल  पंकज गुप्ता

 उत्तर पूर्वी दिल्ली

 मनोज तिवारी  शीला दीक्षित  दिलीप पांडे

 दक्षिणी दिल्ली

 रमेश बिधूड़ी  (अघोषित)  राघव चड्ढा

 पश्चिमी दिल्ली

 प्रवेश साहिब सिंह वर्मा  महाबल मिश्रा   बलबीर सिंह जाखड़

 पूर्वी दिल्ली

 (अघोषित)  अरविंदर सिंह लवली  अतिशि

 उत्तर पश्चिमी दिल्ली

 (अघोषित)  राजेश लिलोथिया  गुग्गन सिंह रंगा

'हर हाल में लड़ूंगा चुनाव, भले ही गठबंधन हो या ना हो'

करीब महीने भर पहले ही कपिल सिब्बल ने कहा था कि भले ही कांग्रेस और आप का गठबंधन हो या ना हो, वह चांदनी चौक से चुनाव जरूर लड़ेंगे. अब महीने भर बाद ही उन्होंने यू-टर्न ले लिया है. वो कह रहे हैं कि मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है तो जीतना मुश्किल है. अब सवाल ये उठता है कि क्या महीने भर पहले मुकाबला त्रिकोणीय नहीं था? या सिब्बल को उम्मीद थी कि गठबंधन हो जाएगा तो वह गठबंधन की ओर से चांदनी चौक से चुनाव लड़कर जीत हासिल करेंगे? यूं लग रहा है कि वह भी गठबंधन के पक्षधर थे, लेकिन किसी वजह से खुलकर बोल नहीं पा रहे हैं.

खुद मना किया या पार्टी ने टिकट ही नहीं दिया?

अगर सिब्बल का बयान देखें तो लगता है कि उन्होंने खुद ही चुनाव लड़ने से मना कर दिया. लेकिन जो शख्स महीने भर पहले तक हर हाल में चुनाव लड़ना चाहता था, वह अचानक चुनाव छोड़कर पीछे क्यों हट गया? उनका जवाब तो त्रिकोणीय मुकाबला है, लेकिन ये सवाल जरूर उठ रहा है कि ये सब उनकी मर्जी से हुआ है या फिर पार्टी ने उनका टिकट काट दिया है?

कपिल सिब्बल कभी राम मंदिर निर्माण के खिलाफ दिखे, तो कभी हैकर के कार्यक्रम में जा पहुंचे. इन सारे मुद्दों को भाजपा ने खूब भुनाया. वहीं दूसरी ओर, चांदनी चौक से मौजूदा उम्मीदवार जेपी अग्रवाल पर ऐसा कोई आरोप नहीं है. चांदनी चौक व्यापारियों का गढ़ है. शायद इसीलिए कांग्रेस ने जेपी अग्रवाल को इस सीट से उतारा है. अभी कबिल सिब्बल कह रहे हैं कि चुनाव उन्होंने ही छोड़ दिया, लेकिन हो सकता है कि पार्टी ने ही उन्हें टिकट देने से मना किया हो और वह पार्टी के दबाव में खुद चुनाव छोड़ने की बात कह रहे हैं. 12 मई को दिल्ली में चुनाव होने हैं और 23 मई को आने वाले नतीजे साफ कर देंगे कि दिल्ली की जनता इस बार क्या चाहती है.

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