New

होम -> सियासत

 |  3-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 18 दिसम्बर, 2018 03:47 PM
आलोक रंजन
आलोक रंजन
  @alok.ranjan.92754
  • Total Shares

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शपथ लेते ही ऐसा ऐलान किया जिससे वो विवाद उत्पन्न हो गया जो आने वाले समय में एक बड़ा मुद्दा बन सकता है. अपने प्रदेश में रोजगार प्रदान करने के लिए राज्य के मुख्यमंत्री कई जतन करते हैं कई तरह की पॉलिसी बनाते हैं ताकि राज्य के लोगों को प्रमुखता दी जाये. लेकिन किसी अन्य राज्य के निवासियों के विरुद्ध विवादित बयान देना कहां तक उचित है?

मुख्यमंत्री बनते ही उन्होंने एक नए नियम को मंज़ूरी दी. जिसके तहत राज्य के उद्योगों में 70 प्रतिशत रोजगार मध्य प्रदेश के युवाओं को दिए जाएंगे. साथ ही साथ उन्ही उद्योगों को छूट दी जाएगी जिनमें 70 प्रतिशत रोज़गार मध्य प्रदेश के लोगों को मिलेगा. चलिए यहां तक तो ठीक है लेकिन कमलनाथ ने बयान दिया कि- 'उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों से लोग मध्य प्रदेश आते हैं. लेकिन स्थानीय लोगों को नौकरी नहीं मिल पाती है.'

kamalnathउत्तरप्रदेश और बिहार के लोगों के खिलाफ कमलनाथ का बयान गले नहीं उतरता

क्या उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों के खिलाफ इस बयान को सही ठहराया जा सकता है? मुख्यमंत्री जैसे संवैधानिक पद पर बैठकर क्या कमलनाथ अपने ही प्रदेश को भीतरी- बाहरी में नहीं बांट रहे हैं? प्रदेश के लोगों को रोजगार मिले ये हर सरकार चाहती है, पर इस बहाने उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों के खिलाफ वैमनस्य का भाव रखना कहां तक उचित है. अगर इसी तरह का रुख मध्य प्रदेश के लोगों के खिलाफ बाकी राज्यों में अमल में लाया जाएगा तो क्या कमलनाथ चुप बैठेंगे?

कमलनाथ के बयान के बाद बिहार में सियासी गर्मी तेज हो गयी है. जदयू और भाजपा के नेता ने कमलनाथ के बयान की घोर निंदा की है. वे तो उनपर आरोप लगा रहे हैं कि वो लोगों के मन में जहर घोल रहे हैं तथा क्षेत्रवाद को बढ़ावा दे रहे हैं. बिहार भाजपा अध्यक्ष नित्यानन्द राय ने ट्वीट करते हुए लिखा कि "बिहार के लोगों पर कांग्रेस नेता कमलनाथ का बयान घोर निन्दनीय है. सत्ता में आये अभी दो दिन ही हुए हैं कि कांग्रेस पार्टी का अहंकार नजर आने लगा है व उनका मूल चरित्र खोल से बाहर आने लगा है. कांग्रेस ने सत्ता संभालते ही मध्यप्रदेश में क्षेत्रवाद का बीज बोना शुरू कर दिया."

कमलनाथ का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुआ था. वे 2014 में नवीं बार छिंदवाड़ा से लोकसभा सांसद चुने गए थे और हाल ही में मध्य प्रदेश में विधानसभा जीत के बाद कांग्रेस द्वारा उन्हें मुख्यमंत्री पद पर आसीन किया गया है. इससे पहले महाराष्ट्र में रोज़गार को लेकर ऐसी बातें शिवसेना और राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना पार्टी करती रही हैं. स्थानीय मराठी लोगों के मुद्दे और रोजगार को लेकर शिवसेना हमेशा से बाहरी लोगों के खिलाफ राजनीति करती आई है. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने तो एक कदम आगे जाकर यूपी और बिहार के लोगों पर हिंसात्मक कार्रवाई को भी जायज ठहराया था.

ये भी पढ़ें-

कमलनाथ-ज्‍योतिरादित्‍य का हाथ थामे शिवराज को देख खुश होते लोगों के लिए कुछ तस्‍वीरें और...

तमाम तर्क-वितर्क के बावजूद शिवराज सिंह चौहान को नेता-प्रतिपक्ष बनाना ही होगा

MP में जीत का क्रेडिट राहुल गांधी से ज्यादा कमलनाथ को मिलना चाहिये

लेखक

आलोक रंजन आलोक रंजन @alok.ranjan.92754

लेखक आज तक में सीनियर प्रोड्यूसर हैं.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय