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Updated: 10 जून, 2015 12:08 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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क्या लालू का नया पैंतरा बीजेपी को बिहार में स्टैंड बदलने के लिए मजबूर करेगा? नीतीश के नाम से अपनी आपत्ति हटाते हुए लालू ने कहा कि वो कोबरा से बचाने के लिए जहर का घूंट पी रहे हैं?

बिहार में महागठबंधन ने मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपना मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया है. इस तरह नीतीश कुमार अब जेडीयू के साथ साथ आरजेडी और कांग्रेस के भी सीएम उम्मीदवार होंगे.

'जय जय बिहार, भाजपा सरकार.' बीजेपी ने बिहार के लिए नया नारा तो दिया है पर मुख्यमंत्री का नाम जाहिर नहीं किया है. इस तरह बिहार में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए का मुकाबला उन्हीं नीतीश कुमार से होगा जो पिछले चुनाव में उसका हिस्सा रहे.

नीतीश को ऐसे घेरेगी बीजेपी

1. बीजेपी नीतीश को घेरने के लिए कह सकती है कि ये वही नीतीश कुमार हैं जो कल तक लालू प्रसाद के शासन को जंगल राज कहा करते थे. अब वो उन्हीं के साथ खड़े हैं.

2. नीतीश के उम्मीदवार बन जाने के साथ ही जीतन राम मांझी को मिला लालू का इनविटेशन अपने आप खत्म हो गया है. ऐसे में बीजेपी अब चाहे तो मांझी का इस्तेमाल कर सकती है.

3. बीजेपी चाहे तो आरजेडी से बाहर किए गए राजेश रंजन यानी पप्पू यादव को भी साथ मिला सकती है. पप्पू यादव कभी लालू यादव के मजबूत हाथ हुआ करते थे - और उनका कोसी इलाके में खासा प्रभाव भी रहा है.

4. बीजेपी लोगों को समझा सकती है कि राज्य में एनडीए की सरकार बनने पर लोगों को ज्यादा फायदा हो सकता है क्योंकि केंद्र में उसी की सरकार है. अगर सत्ता में कोई और पार्टी आती है तो दिल्ली जैसी हालत हो सकती है.

बीजेपी के चुनावी संसाधन

1. कभी लालू यादव के भाई जैसे राम कृपाल यादव इस विधानसभा चुनाव में बीजेपी के लिए वोट मांगेंगे. हालांकि इसकी शुरुआत तो वो लोक सभा चुनाव से ही कर चुके हैं - और मीसा भारती को हराकर अपनी अहमियत भी साबित कर चुके हैं.

2. दिल्ली को छोड़ कर बीजेपी का ब्रांड-मोदी महाराष्ट्र, झारखंड, हरियाणा और कुछ हद तक जम्मू-कश्मीर में भी सफल रहा है. बिहार में भी बीजेपी उसी रास्ते पर चलने वाली है, अब तक की गतिविधियों से तो ऐसा ही लगता है.

3. दिल्ली चुनाव खत्म होने के साथ ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बिहार में बीजेपी के लिए सपोर्ट बेस बढ़ाने में जुट गया था. चुनाव में बीजेपी को इसका फायदा जरूर मिलना चाहिए.

4. बीजेपी को महागठबंधन के डेडिकेटेड वोट भले न मिलें, लेकिन रामविलास पासवान और उपेंद्र कुशवाहा के बाद अगर जीतन राम मांझी और पप्पू यादव का साथ मिल जाता है तो बीजेपी उसके वोटबैंक में सेंध जरूर लगा सकती है.

5. महागठबंधन बना जरूर है लेकिन बीजेपी इसे मजबूरी के गठबंधन के रूप में प्रचारित कर सकती है. वैसे भी माना जाता है कि लालू का वोटर नीतीश को वोट तो नहीं ही देनेवाला, ऐसे में वो खिसक कर बीजेपी के खाते में जा सकता है.

2014 लोक सभा चुनाव के बाद बीजेपी ने दिल्ली में किरण बेदी को बतौर मुख्यमंत्री उम्मीदवार पेश किया था. उससे पहले न तो महाराष्ट्र, न हरियाणा, न झारखंड और न ही जम्मू कश्मीर विधान सभा चुनाव में पार्टी का कोई फेस था.

लोक सभा चुनाव की मोदी लहर को बीजेपी ने विधान सभा चुनावों में भी भुनाया. बस दोबारा दिल्ली पहुंचते ही उस पर ब्रेक लग गया.

तो क्या एक बार फिर बीजेपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फेस वैल्यू पर ही चुनाव मैदान में उतरने जा रही है? अभी तक तो ऐसा ही लगता है.

लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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