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Updated: 07 नवम्बर, 2017 04:53 PM
अशोक उपाध्याय
अशोक उपाध्याय
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2002 के गुजरात दंगों के बाद से सम्प्रदियकता प्रदेश के चुनावों में एक प्रमुख मुद्दा रहा है. पर 2012 के विधान सभा चुनाव में भाजपा मुख्य रूप से विकास के मुद्दे को आगे रखा. चुनाव प्रचार के मध्य में मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी कभी-कभी सम्प्रदियकता का तड़का भी लगाया करते थे. जैसे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनितिक सचिव अहमद पटेल को मोदी अहमद मियां के नाम से संबोधित किया करते थे. पर प्रचार मुख्यतः विकास पर ही आधारित था.

पर 2017 का विधान सभा चुनाव में विकास का बुरा हाल है. सोशल मीडिया पर लोग एवं विपक्षी दल, 'विकास गांडो थयो छे' मतलब 'विकास पागल हुआ है' के हैश टैग को प्रचारित एवं प्रसारित कर रहे हैं. भाजपा इस मुद्दे पर बैक फुट पर नज़र आ रही है. तो क्या शासक दल एक बार फिर से धर्म यानी की सम्प्रदायकिता के मुद्दे पर सिंहासन प्राप्त करने का प्रयास कर रहा है? वो कौन-कौन से कदम हैं जो भाजपा के इस ओर मुड़ने का इशारा कर रहे हैं.

अमित शाह का रोहिंग्या मुद्दा उछालना...

आजतक के कार्यक्रम में, जो की गुजरात में हो रहा था, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने रोहिंग्या शरणार्थियों का मुद्दा खुद बखुद उठाया. जब उनके सेशन की समाप्ति हो रही थी तो उन्होंने कहा कि वो इस मुद्दे पर बात करना चाहते हैं. कांग्रेस को आड़े हांथों लेते हुए उन्होंने कहा कि विपक्षी पार्टी को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए कि वह रोहिंग्या मामले में क्या चाहती है? उन्होंने कहा कि यह मानवाधिकार का मुद्दा नहीं है, यह देश की सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है. ज्यादातर रोहिंग्या शरणार्थियों मुसलमान हैं. इस मुद्दे ने भी भारत की राजनीती को दो पाटों में बाँट चुका है. भाजपा विरोधी दल इसको मानवाधिकार का मुद्दा मानते हैं एवं भाजपा अवैध घुसपैठ का.

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अहमद पटेल को IS आतंकी से संबंधों का आरोप...

प्रदेश के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने खुद ही प्रेस कान्फ्रेंस करके कांग्रेस लीडर अहमद पटेल पर आरोप लगाए एवं कहा, "जिस हॉस्पिटल से IS का आतंकी पकड़ा गया, उसके कर्ताधर्ता अहमद पटेल हैं. उन्हें इस्तीफा देना चाहिए". इसके जबाब में अहमद पटेल एवं उनकी पार्टी कांग्रेस का कहना है कि उनकी फैमिली का कोई मेंबर ट्रस्टी नहीं है. अहमद पटेल ने आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि शांति से प्यार करने वाले गुजरातियों को आतंकवाद से लड़ने के नाम पर न बांटा जाए. भाजपा इस मुद्दे को जोर-शोर से उठा रही है. इसे भी भाजपा का प्रदेश को धर्म के नाम पर बाटने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है.

कांग्रेस के समय में दंगे एवं हिंदू यात्राओं पर हमलों का डर...

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह लगभग अपनी हर जनसभा में कांग्रेस के शासन के बारे में बताते हैं. वो कहते हैं की 1995 के पहले कांग्रेस सत्ता में थी एवं उस समय सांप्रदायिक दंगे एवं कर्फ्यू आम बात थी. और तो और रथ यात्रा भी सुरक्षित नहीं थी. यानी की हिन्दुओं के धार्मिक यात्रियों पर हमले होते थे. वो कुछ माफिया डॉन का भी नाम लेते हैं, जो की मुस्लिम थे, एवं कहते हैं कि लोगों में उनका खौफ था.

‘राम’ बनाम ‘हज’ की लड़ाई...

सोशल मीडिया में एक पोस्टर लोगों के बीच शेयर हो रहा है. ऐसा कहा जा रहा है कि गुजरात में आरएसएस एवं भाजपा की स्थानीय इकाई ने इसे जारी किया है. इस पोस्टर में एक विजय रुपानी, अमित शाह और पीएम मोदी की तस्वीर छापी है एवं इनको राम बताया गया है. R- रुपानी A- अमित शाह M- मोदी - मतलब के ये तीनों मिलके राम बन गए. जबकि इसके विपरीत पोस्टर में हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिम्नेश मेवानी की तस्वीर है. इसमें लिखा हुआ हैं H- हार्दिक A- अल्पेश J- जिग्नेश यानी की हज. ये तीनों ही भाजपा को हराने में जुटे हुए हैं. इसको भी चुनाव को साम्प्रदायिक बनाने के प्रयास में एक कदम के रूप में देख जा रहा है.

भाजपाआरएसएस एवं भाजपा की एक स्थानीय इकाई ने इसे जारी किया है

योगी आदित्यनाथ को गुजरात चुनाव प्रचार में उतारना...

वर्तमान समय में देश में हिंदुत्व के सबसे बड़े चेहरे के रूप में माने गए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गुजरात में प्रचार करने वाले बड़े नेताओं में से एक हैं. भाजपा से नाराज चल रहे पाटीदार और दलित वोटरों की नाराजगी पार्टी के लिए सिरदर्द बानी हुई है. भाजपा योगी आदित्यनाथ की कट्टर हिंदुत्ववादी छवि को भुनाकर उस कमी की भरपाई करने में जुटी हुई लगती है.

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मुद्दे का लोगों पर क्या असर होता हैं एवं ये चुनाव परिणाम पर कितना असर डालते हैं.

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लेखक

अशोक उपाध्याय अशोक उपाध्याय @ashok.upadhyay.12

लेखक इंडिया टुडे चैनल में एडिटर हैं.

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