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Updated: 18 दिसम्बर, 2017 01:01 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
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गुजरात चुनावों की मतगणना जारी है और नतीजे हैरान करने वाले हैं. भाजपा गुजरात की 82 सीटों पर बढ़त बना रही है और 22 सीटें जीत चुकी है जबकि कांग्रेस 66 सीटों पर आगे चलते हुए 10 सीट जीतने में कामयाब हुई है. माना जा रहा है कि जहां एक तरफ ये चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की साख से जुड़ा है तो वहीं इस चुनाव के बाद इस बात का भी निर्धारण हो जाएगा कि अध्यक्ष बनने के बाद राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी को कितनी दूर तक लेकर जाएंगे. तमाम एग्जिट पोल्स और मतगणना से प्राप्त रुझानों को देखते हुए ये कहना बिल्कुल भी गलत न होगा कि गुजरात में 22 सालों तक शासन करने वाली भाजपा फिर से सरकार बनाएगी.

चूंकि ये साफ हो चुका है कि भाजपा दोबारा सत्ता में वापसी कर रही है तो हमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के अलावा यदि किसी और को बधाई देनी चाहिए और तारीफ करनी चाहिए तो हमारे लिए भूपेंद्र यादव को जानना बेहद जरूरी होगा. जी हां बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप. भले ही गुजरात चुनाव में दिशा निर्देश अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रहे हों मगर जो असली मेहनत थी वो भूपेंद्र यादव की थी. कह सकते हैं कि इस जीत का सेहरा भूपेंद्र यादव के सिर बांधना बिल्कुल दुरुस्त रहेगा.'

गुजरात, गुजरात चुनाव, भूपेंद्र यादव, अमित शाह   भूपेंद्र के बारे में मशहूर है कि वो पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के लकी चार्म हैं

तो आखिर कौन हैं भूपेंद्र यादव

भाजपा की चुनावी रैलियों में वार रूम के अन्दर रहकर काम करने वाले  और [पद के लिहाज से पार्टी के महासचिव भूपेंद्र यादव, पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के विश्वासपात्र और बेहद करीबी हैं. बताया जा रहा है है कि यूपी में मिली आसन जीत के बाद जब अमित शाह की नजर अपने गृह प्रदेश गुजरात पर गई तो वहां उन्हें काफी जटिलताएं दिखीं. इन जटिलताओं के मद्देनजर और गुजरात के वोटर का मूड समझने के लिए,अमित शाह द्वारा उत्तर प्रदेश चुनाव के बाद यूपी के प्रमुख ओबीसी नेता और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव भूपेंद्र यादव को गुजरात का चुनाव प्रभारी बनाया गया. जिसके बाद यादव ने गुजरात की जटिलता और वहां के जातिगत समीकरणों को समझा और उसी हिसाब से अपनी रणनीति बनाई.

क्यों हैं भूपेंद्र शाह के लिए बेहद खास

भूपेंद्र को लेकर पार्टी के लोग मानते हैं कि वो पार्टी अध्यक्ष अमित शाह का लकी चार्म हैं. ज्ञात हो कि यादव 2013 में राजस्थान में बीजेपी के चुनाव प्रभारी थे और साल 2014 में झारखंड और साल 2015 में बिहार के प्रभारी रहे . बिहार चुनाव में भूपेंद्र शाह के मन मुताबिक काम नहीं कर पाए मगर राजस्थान और झारखंड में यादव ने अमित शाह को चौकाने वाले परिणाम दिए. ध्यान रहे कि तब राजस्थान की 200 विधानसभा सीट में बीजेपी के खाते में 163 सीटों आई थीं . वहीं, झारखंड में बीजेपी के गठबंधन को 82 में से 47 सीटें प्राप्त हुई थीं. आपको बताते चलें कि ये यादव का ही प्लान था कि वसुंधरा राजे ने राज्य भर में 'सुराज संकल्प यात्रा' नाम से अपनी यात्रा की शुरुआत की जो उनके लिए कई मायनों में फायदेमंद साबित हुई.

गौरतलब है कि यादव टिकट बंटवारे से लेकर बूथ लेवल तक के मैनेजमेंट को भली भांति करते आए हैं और उन्होंने शाह की कई रणनीतियों को जमीन पर उतारा है और ये भूपेंद्र की ही मेहनत है जिसके चलते आज गुजरात में भाजपा फिर एक बार ऐतिहासिक जीत दर्ज करने वाली है. कहा जा सकता है कि यदि गुजरात की राजनीति को यादव का साथ न मिलता तो आज भाजपा के लिए अपना किला दोबारा फ़तेह करना एक टेढ़ी खीर होती.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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