New

होम -> सियासत

 |  4-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 24 सितम्बर, 2018 11:46 AM
आईचौक
आईचौक
  @iChowk
  • Total Shares

हमारे देश में एक अच्छी नौकरी के लिए क्या करना पड़ता है? कोई बोलेगा पढ़ाई, कोई बोलेगा रिश्वत देनी होती है, कोई कहेगा कि मेहनत और लगन से रोजगार, लेकिन यकीन मानिए अगर ऐश और आराम वाली नौकरी करनी है और सरकारी सभी सुविधाएं चाहिए तो इंसान को एमएलए बन जाना चाहिए. सरकारी नौकरी न सही, लेकिन सरकार चलाने के लिए न तो आपको कोई खास डिग्री चाहिए और न ही किसी परीक्षा में पास होने की और किसी कोटे की जरूरत है. कम से कम कई रिपोर्ट तो यही सच्चाई बताती हैं.

हाल ही में आई Association for Democratic Reforms (ADR) और National Election Watch (NEW) की रिपोर्ट के अनुसार हिंदुस्तान में एक एमएलए की सालाना एवरेज आय 24.59 लाख रुपए है. इस रिपोर्ट को बनाया गया है 4086 सिटिंग एमएलए में से 3145 द्वारा फाइल किए गए एफिडेविट के आधार पर. हद तो ये है कि 941 एमएलए ने अपनी आय घोषित ही नहीं की है.

एमएलए, भारत, राजनीति, सोशल मीडिया, सैलरीभारतीय संसद में बैठने वाले सांसदों की सैलरी का लेखा-जोखा भी जान लीजिए.

ये फोकस सिर्फ सिटिंग एमएलए की स्वघोषणाओं के आधार पर किया गया है. ये रिपोर्ट बताती है कि इन एमएलए की एवरेज इनकम 24.59 लाख हैं. 711 दक्षिणी राज्यों के एमएलए की सालाना आय 51.99 लाख से ज्यादा है और कम आय वाले राज्य देश के पूर्वी हिस्से में हैं. हर बात की तरह यहां भी नॉर्थ ईस्ट के राज्य ज्यादा पिछड़े हुए हैं. लेकिन इनकी सालाना आय भी 8.53 लाख है.

हालांकि, सबसे कम आय की अगर बात करें तो छत्तीसगढ़ असेम्बली और झारखंड के एमएलए आएंगे. छत्तीसगढ़ के 63 एमएलए 5.4 लाख रुपए कमाते हैं और झारखंड के 72 एमएलए 7.4 लाख कमाते हैं.

जिन एमएलए की रिपोर्ट देखी गई है उनमें से 55 ने अपना व्यवसाय नहीं बताया है, 771 ने अपने व्यवसाय के कॉलम में बिजनेस लिखा है और 758 एमएलए ये बता चुके हैं कि उनका व्यवसाय खेती का है या वो किसान हैं.

खेती में सबसे ज्यादा आय..

जिस गणना के आधार पर ये रिपोर्ट बनाई गई है उसके अनुसार 397 एमएलए जो अपने व्यवसाय को खेती बता चुके हैं या बिजनेस बता चुके हैं उनकी सालाना आय 57.81 लाख से ज्यादा है. अब ये तो सोचने वाली बात है कि किसान आत्महत्या क्यों कर रहे हैं. अगर सभी किसान संसद में आ जाएं तो शायद ये दिक्कत ही खत्म हो जाएगी.

रिपोर्ट के अनुसार ऐसे एमएलए की संख्या 1% है जो फिल्म मेकिंग या रियल एस्टेट बिजनेस को अपना प्रोफेशन बता रहे हैं. हालांकि, ये सबसे ज्यादा तनख्वाह पाने वाले एमएलए की लिस्ट में शामिल हैं. इनमें 39.69 लाख और 28.48 लाख की आय वाले एमएलए शामिल हैं.

हां, गृहणी, टीचर, पेंशनर और वकील जिन एमएलए ने अपना प्रोफेशन बताया है वो सबसे कम सैलरी पाने वालों में शामिल हैं.

जितनी कम पढ़ाई उतनी ज्यादा सैलरी ऐसा कैसे?

एफिडेविट के अनुसार 1052 एमएलए जिनकी शिक्षा 5वीं से 12वीं क्लास तक की ही है उनकी एवरेज इनकम कुल एवरेज इनकम से ज्यादा है. कम पढ़े-लिखे एमएलए 31.03 लाख रुपए सालाना एवरेज इनकम कमाते हैं. 1997 एमएलए जो ग्रैजुएट हैं या उससे ज्यादा पढ़े लिखे हैं उनकी एवरेज इनकम 20.87 लाख है.

139 एमएलए तो ऐसे हैं जो 8वीं पास हैं और उनकी एवरेज सालाना आय 89.88 लाख रुपए है और ऐसे एमएलए जो खुद को अनपढ़ बताते हैं उनकी सालाना आय भी 9.31 लाख रुपए है.

इसके अलावा, 1402 एमएलए जिनकी आयु 25-50 साल है उनकी सालाना एवरेज आय 18.25 लाख है और 1727 एमएलए जिनकी आयु 51-80 साल है उनकी एवरेज आय 29.32 लाख है. और तो और 11 एमएलए जिनकी आयु 81-90 साल है उनकी सालाना एवरेज आय 87.71 लाख रुपए है और 90 साल से ऊपर वाले 60.91 लाख रुपए कमाते हैं. यानी राजनीति में जितनी आयु बढ़ती जाएगी उतनी ही सालाना आय भी बढ़ेगी. अब पारंगत तो होना ही पड़ेगा.

इनमें से सिर्फ 258 एमएलए महिला हैं और महिला एमएलए की सालाना आय 10.53 लाख है. मतलब पूरे हिंदुस्तान की तरह यहां भी मर्दों और औरतों में भेद है.

सबसे ज्यादा सैलरी पाने वाले एमएलए..

एमएलए को सबसे ज्यादा सैलरी देने वाले राज्यों में कर्नाटक सबसे ऊपर है. कर्नाटक में 203 सिटिंग एमएलए की सैलरी 111.4 लाख रुपए सालाना है. इसके बाद महाराष्ट्र है जहां 256 एमएलए सालाना 43.4 लाख रुपए कमाते हैं.

इसे देखकर अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि भारतीय टैक्स देने वालों के पैसे का क्या इस्तेमाल हो रहा है. एक आईएएस, आईपीएस, डॉक्टर, पुलिस वाले और यहां तक की हमारे देश की रक्षा करने वाले फौजियों से भी ज्यादा सैलरी पाने जैसा क्या काम ये विधायक करते हैं इसके बारे में जरा कोई बता दे. भारत में सरकारी नौकरी पाने के लिए या फिर किसी अच्छे प्राइवेट पद पर ही जाने के लिए लोगों को सालों की मेहनत लग जाती है और बहुत ज्यादा पढ़ाई करनी पड़ती है और एक हमारे देश की राजनीति है कि यहां 8वीं और 9वीं पास एमएलए और मंत्री न सिर्फ मोटी सैलरी और सरकारी बंगले पा रहे हैं बल्कि उनके काम का कोई हिसाब भी नहीं.

ये भी पढ़ें-

आखिर मध्यप्रदेश में कांग्रेस 'सॉफ्ट हिंदुत्व' अपनाने को क्यों मजबूर हो रही है

भाई और बेटे में से किसे चुनेंगे मुलायम सिंह यादव?

लेखक

आईचौक आईचौक @ichowk

इंडिया टुडे ग्रुप का ऑनलाइन ओपिनियन प्लेटफॉर्म.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय